Jindagi Satrang book and story is written by Sarita Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jindagi Satrang is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ज़िन्दगी सतरंग.. - Novels
by Sarita Sharma
in
Hindi Moral Stories
अम्मा की नजरें सामने आती स्कूटी की तरफ़ ही टिकी हुई थी.. कौन है? कौन नहीं ये जानने के लिए अम्मा बेख़ौफ़ होकर सड़क पर स्कूटी के सामने ही आ रही थी.. पी..ईईईप....पीईईईईईईईप........ मैं जोर जोर से हॉर्न दे रही थी.. "अम्मा सामने से हट जाओ"..हॉर्न नहीं सुनाई दे रहा है तो कम से कम दिख तो रहा होगा.. मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा.. हैं...ऐं..ऐं... कु छे तू..(आंखे पैनी करके, हाथों को माथे पर भींचते हुए अम्मा औऱ भी स्कूटी के नज़दीक आने लगी)! "अरे! अम्मा सामने से तो हट जाओ"..!!! अम्मा अनसुनी करते हुए स्कूटी के सामने आने
अम्मा की नजरें सामने आती स्कूटी की तरफ़ ही टिकी हुई थी.. कौन है? कौन नहीं ये जानने के लिए अम्मा बेख़ौफ़ होकर सड़क पर स्कूटी के सामने ही आ रही थी.. पी..ईईईप....पीईईईईईईईप........ मैं जोर जोर से हॉर्न दे ...Read Moreथी.. "अम्मा सामने से हट जाओ"..हॉर्न नहीं सुनाई दे रहा है तो कम से कम दिख तो रहा होगा.. मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा.. हैं...ऐं..ऐं... कु छे तू..(आंखे पैनी करके, हाथों को माथे पर भींचते हुए अम्मा औऱ भी स्कूटी के नज़दीक आने लगी)! "अरे! अम्मा सामने से तो हट जाओ"..!!! अम्मा अनसुनी करते हुए स्कूटी के सामने आने
लोग कोरोना से कम पुलिस के डर से घरों में बैठे थे..इसलिए मौका देखकर बाहर घूम रहे थे और जैसे ही पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनाई पड़ता, तो दौड़ कर घरों में दुबक जाते..शाम के 6:30 बजे होंगे ...Read Moreअंधेरा सा होने लगा था..कुछ घुम्मककड लोग सड़क पर घूम रहे थे। इधर सड़क से पुलिस की गाड़ी गुज़री। आज पुलिस भी चकमा देकर आयी थी । सायरन की कोई आवाज नहीं हुई ना ही भोपूं पर lockdown के नियम समझाने वाली रिकॉर्ड आवाज , लोगो को आभास भी नही हुआ, इधर एक दो के चलती गाड़ी से डंडे बरसे
इंसान के अंदर अगर ज़िन्दगी जीने इच्छा हो तो चाहे कितनी भी मुश्किलें हो, कोई न कोई बहाने निकल ही आते है जीने के.. भले ही सब रास्ते बंद हो गए हों दिल अपने आप ही कई रास्ते ढूंढ ...Read Moreहै.. भले ही गेट पर ताला लग गया हो पर अम्माजी ने दूसरी तरकीब सूझ ली थी.. अब वो छत पर बैठी रहती. सामने गांव की हर चहलकदमी पर पैनी नजर और गांव की ख़ुफ़िया खबरें रास्ते मे आने-जाने वालों से पूछ लेती.. अब वो सबसे बुजुर्ग उन्हें कौन मना कर पाए किसी बात के लिए..औऱ कोई कुछ ना भी
अम्मा जी और फ़ौजी अंकल अब बूढ़े हो चुके थे..ईर्ष्या,काम, क्रोध, लोभ, मोह.. इन सबसे कोसो दूर..हां क्रोध और मोह अभी बाकी था और बाकी था ढेर सारा बचपना भी...बच्चे जैसे दिमाग से नही सोचते मन के निश्छल होते ...Read Moreना सम्मान की चिंता ना अपमान का डर..बस चाहिए तो ढेर सारा प्यार...ऐसे ही अम्माजी और फौजी अंकल भी किसी साथ, किसी बहाने की तलाश थी.. देवर-भाभी-ये ऐसा खट्टा मीठा रिश्ता है जो मन से मानो तो इनसे बेहतर दोस्त और कौन हो सकता है?...और दोस्तों के साथ ज़िन्दगी तो बेहतरीन ही होती है..अब छत पर हर रोज़ हंसी ठहाका,