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भेद - Novels
by Pragati Gupta
in
Hindi Fiction Stories
"माँ! आप कितना लड़ती है पापा से|.....लगभग हर रोज ही किसी न किसी बात पर आप दोनों की झड़प होती है|...हमेशा लड़ाई आप ही क्यों शुरू करती हैं? बताइये न....पापा भी इंसान है। पापा को एक बार उल्टा बोलना शुरू करती हैं....तो चुप ही नही होती। बस लगातार गुस्सा होती जाती है। उनको बोलने ही नहीं देती|"...
सृष्टि सालों साल से माँ-पापा की झगड़ते देख रही थी| आज न जाने कैसे सृष्टि ख़ुद को बोलने से रोक नहीं पाई| बेटी की बात को सुनकर विनीता और भी उख़ड़ गई…
"मैं बोलती जाती हूँ....बस यही समझ आता है तुम्हें|....अभी बहुत छोटी हो तुम। ऐसा भी नहीं होता….सिर्फ़ बेटी होने से तुमको सब समझ आ जाएगा| तुम्हारे पापा और मेरे बीच में मत बोला करो। अभी ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं हुआ है....और बातें ऐसे करती हो मानो बहुत बड़ी और समझदार हो गई हो। बस इतना ध्यान रखो जो दिख़ता हैं...जरूरी नहीं वही सही हो|.."
प्रगति गुप्ता ------ 1. "माँ! आप कितना लड़ती है पापा से|.....लगभग हर रोज ही किसी न किसी बात पर आप दोनों की झड़प होती है|...हमेशा लड़ाई आप ही क्यों शुरू करती हैं? बताइये न....पापा भी इंसान है। पापा को ...Read Moreबार उल्टा बोलना शुरू करती हैं....तो चुप ही नही होती। बस लगातार गुस्सा होती जाती है। उनको बोलने ही नहीं देती|"... सृष्टि सालों साल से माँ-पापा की झगड़ते देख रही थी| आज न जाने कैसे सृष्टि ख़ुद को बोलने से रोक नहीं पाई| बेटी की बात को सुनकर विनीता और भी उख़ड़ गई… "मैं बोलती जाती हूँ....बस यही समझ आता
2. एक रात जब सृष्टि नींद न आने की वज़ह से दादी के बगल में लेटी हुई करवटें ले रही थी| तो दादी का उस पर लाड़ उमड़ पड़ा और उन्होंने पूछा... "सृष्टि! क्या हुआ बेटा?..नींद नही आ रही। ...Read Moreठीक तो है| गरम दूध लेकर आऊँ तेरे लिए....दूध पीकर जल्द नींद आ जाएगी|” “दादी! मैं दूध पी चुकी हूँ| माँ ने बनाकर दिया था|”...सृष्टि ने ज़वाब दिया| “आज तेरे कॉलेज में सब ठीक तो था न| तेरे इम्तहान कब से हैं? ख़ूब मन लगा कर पढ़ना.... ख़ूब मेहनत करना| तू कहती है न...‘दादी मैं बहुत बड़ी वकील बनना चाहती
3. “जब शादी होकर आई तो मेरा अधिकतर समय जेठुतियों के काम करने और उनको लाड़-प्यार करने में गुजरता था| महेंद्र भी मेरी शादी के आठ साल बाद हुआ| तब उनकी बड़ी बेटी पंद्रह साल की थी| सारे रिश्तेदार ...Read Moreभी थे। जेठानी के बच्चों को खूब लाड़-प्यार कर....तब तेरी गोद हरी होगी। तेरी बड़ी दादी को मैं जीजी पुकारती थी।..... जीजी तो बेटियां जनने के कारण हमेशा ही शोक में रहती थी। उनको तेरे बड़े दादा का कड़वा बोलना बहुत चोट पहुँचाता था| कभी-कभी तो कई-कई दिन तक कमरे से बाहर ही नही निकलती थी| मैं उनका खाना ले
4. दादी के मुंह से मम्मी की तारीफ़ सुनकर सृष्टि को कुछ और नया सोचने को मिला। दादी कभी माँ की बुराई नही करती थी। दरअसल उनकी आदतों में किसी की बुराई करना नही था। अभी तक दादी ने ...Read Moreअतीत से जुड़ा जो भी बताया....सृष्टि को लगा कि दादी ने परिवार के हर सदस्य के लिए बहुत दिल से किया। तभी उसने दादी से कहा... "आप घर के बारे में बता रही थी दादी। आगे बताओ न क्या हुआ।" "हाँ तेरे बड़े दादाजी के बारे में बता रही थी। वह अधिकतर नीम के पेड़ की छांव तले एक कोने
5. शायद यही वज़ह थी जब दादाजी ने दूसरी स्त्री के साथ नाता जोड़ा, तो उनको यह बात बहुत अख़र गई| कोई भी औरत ख़ुद के जीते-जी यह बर्दाश्त नहीं कर सकती| उन्होंने हर तरह से बड़े दादा जी ...Read Moreसाथ निभाने की कोशिश की| पर दादाजी की दिनों-दिन बढ़ती मनमानियां उनको आहत करने लगी थी|.... जब तेरे बड़े दादा ने घर छोड़कर जाने का फ़ैसला लिया, तब बड़ी दादी ने ख़ुद को ख़त्म करने का कुछ जल्दीबाज़ी में ही फ़ैसला कर लिया| उस फ़ैसले को लेते समय वह नहीं सोच पाई कि उनके पीछे से उनकी बेटियों का क्या