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Salakhon se Jhankte Chehre by Pranava Bharti | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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सलाखों से झाँकते चेहरे by Pranava Bharti in Hindi
Novels

सलाखों से झाँकते चेहरे - Novels

by Pranava Bharti Matrubharti Verified in Hindi Fiction Stories

(14)
  • 10.1k

  • 34k

  • 1

जैसे ही इशिता ने उस कमरे में प्रवेश किया उसकी साँसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं | एक अजीब सी मनोदशा में वह जैसे साँस लेना भूल गई, लड़खड़ा गई जैसे चक्कर से आने लगे | "व्हाट हैपेंड ...Read More?" कामले कमरे में प्रवेश कर चुके थे | पीछे -पीछे एक नवयुवक भी जिसके हाथों में गाड़ी में से निकाले गए बैग्स व दूसरा सामान था | इशिता के मुख पर किसी ने टेप चिपका दिया था जैसे | वह बोलना चाहती थी लेकिन शब्द थे कि उसके मुख में गोल-गोल भरकर न जाने तलवे में कहाँ चिपक रहे थे |

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सलाखों से झाँकते चेहरे - Novels

सलाखों से झाँकते चेहरे - 1
1 ---------------- जैसे ही इशिता ने उस कमरे में प्रवेश किया उसकी साँसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं | एक अजीब सी मनोदशा में वह जैसे साँस लेना भूल गई, लड़खड़ा गई जैसे चक्कर से आने लगे | ...Read Moreहैपेंड मैडम ?" कामले कमरे में प्रवेश कर चुके थे | पीछे -पीछे एक नवयुवक भी जिसके हाथों में गाड़ी में से निकाले गए बैग्स व दूसरा सामान था | इशिता के मुख पर किसी ने टेप चिपका दिया था जैसे | वह बोलना चाहती थी लेकिन शब्द थे कि उसके मुख में गोल-गोल भरकर न जाने तलवे में कहाँ
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 2
2-- रैम किचन में घुसा, शायद उसने कॉफ़ी के लिए गैस पर दूध रख दिया था, फिर बाहर निकलकर उसने कहा ; "मैडम ! बस, पाँच मिनिट ---मैं गर्मागर्म दाल-बडे भी खिलाएगा आपको ---" वह तेज़ी से कमरे से ...Read Moreनिकल गया | अब इशिता की दृष्टि उस कमरे के चारों ओर घूमने लगी | कमरा बहुत बड़ा नहीं था लेकिन उसमें सभी चीज़ें सुव्यवस्थित रूप में रखी थीं | चार कुर्सियों की डाइनिंग -टेबल थी, फ़ाइव सीटर सोफ़ा था | डाइनिंग-टेबल की साइड में ऊपर से नीचे तक एक अलमारी बनी हुई थी जिसका ऊपरी भाग लकड़ी से बंद
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 3
3-- कुछ देर में ही नीरव सन्नाटा छा गया | यह छोटा सा बँगला सड़क पर ही था | इशिता के कमरे की एक खिड़की सड़क पर खुलती थी लेकिन कमरे के बाहर छोटा लेकिन सुंदर सा बगीचा था ...Read Moreरैम की मेहनत दिखा रहा था | यह उसने यहाँ प्रवेश करते ही देख लिया था लेकिन उस समय बेहद थकान थी और वह सीधे कमरे में आना चाहती थी लेकिन कमरे में सीधे आ कहाँ पाई थी? बाहर के कमरे में ही उस दीवार ने उसे रोककर असहज कर दिया था | मि. कामले भी कमाल के आदमी हैं
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 4
4-- वैसे इशिता का वहाँ आना इतना ज़रूरी भी नहीं था, वह सीरियल की लेखिका थी | इससे पहले कई वर्षों से झाबुआ क्षेत्र पर शोध -कार्य चल रहे थे, उसके पास सूचनाओं का पूरा जख़ीरा था | उसने ...Read Moreसे कहा भी था कि वह घर बैठे हुए ही लिख सकती है लेकिन कामले का मानना था कि सीरियल का लेखक होने के नाते उसे एक बार प्रदेश की सारी बातों, उनके सारे रहन-सहन, रीति-रिवाज़, भाषा, कार्य-कलाप को जान लेना चाहिए जिससे सीरियल के लेखन में जान आ सके | अनुभव से लेखन सतही न रहकर समृद्ध होता है,
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 5
5 - " तुम्हारा नाम रैम किसने रखा ? क्या मतलब है इसका ? " रैम थोड़ा हिचकिचाया फिर बोला ; "मैडम ! आपको यहाँ की गरीबी के बारे में तो पता होगा, हम लोको बी भोत गरीब थे ...Read Moreअमारी मम्मी बताते हैं के उनके परिवार के सारे बच्चा लोको अपने को छुपाने का वास्ते अपने मुख पर चूला का राख मलके भीक माँगने को जाता | दादा जी के पास हमेरे परिवार को खिलाने का वास्ते कुछ बी नहीं था | उन दिनों में ---आपने देखा --रास्ते में जो बड़ा सा चर्च है ने --तब्बी वो बनरा था
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 6
6--- होटल से क्रू के सब लोग आ चुके थे | तब तक नाश्ता भी ख़त्म हो चुका था |कामले ने बताया था कि रैम भी हमारे साथ में 'लोकेशन -हंट' पर जा रहा है | मिसेज़ जॉर्ज ने ...Read Moreको भी नाश्ता करवा दिया था और कुछ नाश्ते के पैकेट्स एक थैले में रखकर उसको पकड़ा दिए थे | पानी के थर्मस तो साथ ही रहते थे | सबके गाड़ी में बैठने के बाद मिसेज़ जॉर्ज ने कामले को याद दिलाया कि वे हम लोगों का डिनर बनाकर रखेंगी | उनको मैडम को लेकर उनके घर आना है |
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 7
7--- उस गाँव से निकलकर कामले ने गाड़ी का रुख एक छप्पर वाले होटल जैसी जगह पर करवाया | तब तक शाम के चार बजने वाले थे |सबके पेटों में बैंड बज-बजकर शांत होने लगे थे | " सर ...Read Moreपाँच बजे हमको कलेक्टर साहब को भी मिलना है ---" सुबीर ने कहा | " हाँ, याद है, नहीं तो कल कैसे अलीराजपुर जा सकेंगे ?" अहमदाबाद से लाए गए आज्ञा-पत्र पर कलेक्टर साहब के हस्ताक्षर करवाकर उनका आज्ञा-पत्र भी लेना था | अलीराजपुर की जेल के कैदियों से मिलने जाना था और वहाँ यह भी नोट करवाना था कि
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 8
8 --- इशिता अपने कमरे में आकर गहरी नींद सो गई, उसे बिलकुल पता नहीं चला कि रात में किस समय मि. कामले आए थे | रोज़ की तरह चिड़ियों की चहचहाहट के साथ ही उसकी आँखें लगभग पाँच ...Read Moreके करीब खुलीं | उसने कमरे का दरवाज़ा खोलकर देखा, रैम करवट बदल रहा था | दरवाज़ा खुलने की आवाज़ से उसकी आँखें खुलीं, वो हड़बड़ाकर उठने लगा | "अरे ! सो जाओ रैम, मेरी नींद पूरी हो गई तो आँखें खुल गईं |" "गुड मॉर्निंग मैडम। मैं भी जाग गया है ---" वह उठकर अपनी चटाई लपेटने लगा |
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 9
9 -- अलीराजपुर पहुँचते हुए रात के दस बज गए | एस्कॉट की जीप अलीराजपुर की सीमा पर ही एक छोटे से होटल पर खड़ी मिल गई थी | उसमें से उतरे हुए सिपाही और ड्राइवर आराम से ठहाके ...Read Moreहुए चाय पी रहे थे | "कमाल है, इन लोगों को ये भी ध्यान नहीं कि जिन लोगों के लिए इनकी ड्यूटी लगी है, वे सही सलामत पहुँचे भी या नहीं ?"इशिता ने फुसफुसाकर रैम से कहा | " मैडम ! सब ऐसेइच चलता है ---" वह भी इशिता के कान में फुसफुसाया | इशिता को गुस्सा आ रहा था।
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सलाखों से झाँकते चेहरे - 10 - अंतिम भाग
10 -- एक भद्र महिला को अपने सामने देखकर लुंगी वाले महानुभाव कुछ खिसिया से गए, उन्होंने अपनी लुंगी नीचे कर ली फिर अपने पास खड़े हुए दो युवा लड़कों को देखकर उनमें से एक से कहा ; "रौनक ...Read Moreइसको अंदर लेकर कोठरी में बैठाओ, मैं बाद में इससे बात करूँगा --" "जी, कहिए --" वे लुंगी वाले महाशय इशिता की ओर मुखातिब हुए | "मैं डॉ.इशिता वर्मा, अहमदाबाद से ---मि. कामले के साथ ----" "अरे ! आपको तो आज जेल की मुलाकात लेनी है, लेकिन आप इस तरह से ?---माफ़ करिए, मैं यहाँ का जेलर अनूप सिन्हा ----"
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