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साहब और नीशू - Novels
by PARIKH MAULIK
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Hindi Anything
एक वक़्त की बात है, वहा एक बड़े जमीनदार रहते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नि सरोजिनी और एक लड़की थी निशा। वो थी तो सत्रह साल की पर सिर्फ उम्र में ही। क्यों कि उसकी दिमागी हालत से तो सिर्फ पांच साल की बच्ची थी।
जबकि वो बड़ा घराना था वो जमीनदार था! तो सब साथ मे ही रहते थे। उस जमीनदार का बड़ा भाई भी था पर वह बहुत बुरा इंसान था। और उसका भतीजा था जिसका नाम सुभाष था।
साहब और नीशू (यह एक रचनात्मक कहानी है। ) एक वक़्त की बात है, वहा एक बड़े जमीनदार रहते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नि सरोजिनी और एक लड़की थी निशा। वो थी तो सत्रह साल की पर सिर्फ ...Read Moreमें ही। क्यों कि उसकी दिमागी हालत से तो सिर्फ पांच साल की बच्ची थी। जबकि वो बड़ा घराना था वो जमीनदार था! तो सब साथ मे ही रहते थे। उस जमीनदार का बड़ा भाई भी था पर वह बहुत बुरा इंसान था। और उसका भतीजा था जिसका नाम सुभाष था। एक दिन निशा उसकी मम्मी सरोजिनी के साथ मंदिर में पूजा करने के
वहा सारे गाव मे ये अफवाह फैल चुकी थी कि जमीनदार की बेटी को मास्टरजी घर ले गए थे। तभी जमीनदार मास्टरजी के घर जाते हैं, वहा मास्टरजी के घर का डोर बेल बजता है। कि तुरंत मास्टरजी घरसे ...Read Moreआते हैं। तो वो जमीनदार को खड़ा पाते हैं। एकदम डरी हुई आवाज मे कहते हैं! कि अब क्या हुआ, तब जमीनदार उसे बताते हैं। तुमने मेरी बेटी को अपने घर में बुलाकर मेरी आबरू को उछाला है। तो मेरी बेटी की शादी मे तुमसे करूंगा। और यह सुन कर मास्टरजी अचंभित हो गए। और
मास्टरजी तुरन्त ही सरोजिनी और जमीनदार को बुलाते हैं। थोड़ी देर बाद सरोजिनी और जमीनदार आ पहुँचते हैं, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था, वो जाकर निशा से मिलते हैं। तो निशा उनको घर चलने का कहती है? तभी ...Read Moreऔर सरोजिनी उसे ले कर बहार आते हैं। तब ये सब देखकर मास्टरजी चुप चाप खड़े हुए थे। पर निशा ने उनकी ओर एक बार भी नहीं देखा, वह सोचते हैं कि ईन चार सालो मे कभी भी देखने तक नहीं आए, आज अपनी बेटी को साथ ले
पूरी रात अपने कमरे में पडी रही, अगले दिन सुबह जब निशा उठी तो उसने कमरे में खुद को अकेला पाया, तभी वहा उसके बड़े पापा आ पहुचें उन्होंने निशा को डराते हुए कहा कि अगर तुमने हमारे बारेमे ...Read Moreभी बताया तो अच्छा नहीं होगा, डरी हुई निशा तकिये में मुह छुपाए रोने लगी, तभी उसकी पाठशाला की सहेली उसके कमरे में आई, उसे पाठशाला लेजा ने के लिए, पर वहा उसे रोता हुआ देखकर पूछा क्या हुआ निशा? रो क्यों रही है? पहले पहल उसने कुछ नहीं कहा पर सहेली के जोर देने पर
रास्ते मे ये सब सोचते सोचते कब पाठशाला कब आ गई ये पता ही नहीं चल पाया कि तभी पाठशाला जाने के बाद मास्टरजी को देखा तो उसे सब याद आ जाता है, उसने तभी तो कुछ कहा नहीं ...Read Moreउसे उस दिन की याद आने पर खुद को शर्म महसूस करने लगी। कि केसे उसने उनको चिकित्सालय के कमरे से बहार निकाला था,और खुद को कोस रही थी। उसी पल उसे वो सब याद आता है कि केसे उसने उसका ख्याल रखा था। कि उसे खाना ना खाने पर अपनी माँ की ममता के जेसे