sahib and neeshu - final part books and stories free download online pdf in Hindi

साहब और नीशू - अंतिम भाग




यहा निशा के पाठशाला छूट ने के बाद भी निशा घर ना आने पर सरोजिनी चिंता मे थी, तभी अचानक उन्हें कोई आके बताता है, कि निशा मास्टरजी के घर पर हे, तुरंत ही जमीनदार और सरोजिनी मास्टरजी के घर पहुचते है, वहा अचानक डोर बेल बजती है, निशा दरबाजा खोलती है, एकदम चौक जाती है, वहा उसके मम्मी पापा खड़े थे, वह कहते हैं कि निशा घर चलो, तभी निशा कहती हैं कि मेरी मास्टरजी के साथ शादी हुई है, मे इनको छोड़ कर कहीं नहीं जाऊँगी, आज से यही मेरा घर है। ये सुनकर मानों सरोजिनी के पैरों तले जमीन खींच दी गई हो , जमीनदार बहोत गुस्सा हो जाते हैं, ज़बरदस्ती निशा को अपने साथ लेकर चले जाते हैं, और मास्टरजी आज भी देख कर कुछ नहीं कर पाते हैं। बस चुप चाप खड़े होकर देखते हैं।


जमीनदार के घर पे जाते ही सरोजिनी निशा को समझती है, और कहती है कि मास्टरजी तुमसे बड़े है, य़ह सुन कर निशा कहती हैं, तो पहले क्यू उनके साथ मेरी शादी करदी गई, क्या तब उनकी उम्र कम थी। और कहती है कि मुजे इस घर में घुटन होती है, मे नहीं रहना चाहती यहा।

तभी डोर बेल बजती है, और सरोजिनी दरबाजा खोलती है, वह मास्टरजी को देख कर समज जाती है। मास्टरजी निशा का उनके प्रति वर्तन और लगाव देख कर, उसे वापस लेने के लिए आए हैं। लेकिन जमीनदार मुह पे माना कर देता है, निशा कहीं नहीं जाएगी, तभी निशा दरवाजे के पास आकर मास्टरजी से पूछती है, कि मे तुम्हरी पत्नी बनी थी तो तुमने मुजे पत्नी की तरह रखने की बजाय बेटी की तरह क्यू रखा था? तो ये सुन कर पहले तो मास्टरजी दंग रह गए, फिर उन्होंने कहा कि तभी तुम भले ही बीस साल की जवान लड़की थी पर तुम्हारी दिमागी हालत पाँच साल के बच्चे की तरह थी, तो मे केसे तुमसे वे सब करने की आशा कर्ता की जो एक पति अपनी पत्नी के साथ कर्ता है। ये सब सुन कर निशा ने अपने पापा जमीनदार से कहा कि मेरी यही वज़ह हे कि मे इनके साथ उनके घर जाना चाहती हूं। और यहा रहना नहीं चाहती। तभी जमीनदार गुस्से में कहते हैं, कि क्या मतलब है तुम्हारा? यहा हम तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव करते हैं? क्या यहा तुम्हारा यौन शोषण करते हैं? तभी अचानक निशा जोर से चिल्ला कर कहती हैं, कि की केसे उसे डरा धमका कर उसके ही बड़े पापा उसका यौन शोषण करते थे, वो चिल्लााती थी पर कोई सुनने वाला नहीं था। ये सब सुन कर जमीनदार के पैरों तले जमीन हिलने लगती है। उनके चहरे से साफ ज़ाहिर हो रहा था कि वह शर्मिंदा है, उनका शरीर काँपने लगा और सरोजिनी भी एक दम शांत हो गई थी बस आँखों से पानी बह रहा था। तभी मास्टरजी कहते हैं कि चलो नीशू, ये सुन कर निशा कहती हैं, कि हाँ चलो साहब मुजे यहा एक पल भी नहीं रुकना, जमीनदार और सरोजिनी उनको जाते देख कर भी कुछ नहीं कह पाते है और वो दोनों अपने घर की और बढ़ने लगे......................

ली. परिख मौलिक