Sahab and Nishu - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

साहब और नीशू - 3


मास्टरजी तुरन्त ही सरोजिनी और जमीनदार को बुलाते हैं। थोड़ी देर बाद सरोजिनी और जमीनदार आ पहुँचते हैं, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था, वो जाकर निशा से मिलते हैं। तो निशा उनको घर चलने का कहती है? तभी जमीनदार और सरोजिनी उसे ले कर बहार आते हैं। तब ये सब देखकर मास्टरजी चुप चाप खड़े हुए थे। पर निशा ने उनकी ओर एक बार भी नहीं देखा, वह सोचते हैं कि ईन चार सालो मे कभी भी देखने तक नहीं आए, आज अपनी बेटी को साथ ले जा रहे हैं। पर फिर भी मास्टरजी कुछ नहीं कहते क्यों कि उनको पता था, कि निशा की सारी यादे मीट गई है।


कुछ समय के बाद निशा के घर में उसे शादी की बात करते हैं। पर निशा पढ़ना चाहती थी, इसलिए उसे दसवीं कक्षा की छात्रा बना कर पाठशाला मे दाखिल किया गया । वहा उसने वापस मास्टरजी को देखा, तो उसे वहा देखकर चौक उठी, कि ये इंसान यहा? उसने अपनी आसपास की लड़कियों को पूछा, तो पता चला कि ये मास्टरजी है। और निशा के पति भी, तो वो एकदम दंग हो कर वहा से उठ कर चली गई अपने घर की और,घर जाने पर उसने सरोजिनी से पूछा कि सब कहते हैं मास्टरजी मेरे पति है? क्या ये बात सच है ? पर सरोजिनी चुप रही, उसकी इस तरह चुप रहने की वज़ह से उसे ये बात अंदर ही अंदर से खाने लगी। वह उसी बात को लेकर चिंतित होने लगी, कि ये केसे हो सकता है? इसी वजह से उसके दिमाग पर जोर पड़ने पर एकदम से वहीं गिर पड़ी, फिर वापस खड़ी हुई और अपने कमरे में जाकर खुद को बंद कर दिया। अगले दिन वह उठी तभी उसका सर दर्द से भारी भारी लगने लगा कि मानो किसीने सर पर जोर से कुछ मारा हो। फिर भी वह तैय्यार हो कर पाठशाला गई। वहा वापस मास्टरजी को देख कर वह वापस चिंतन करने लगी। तो वापस चक्कर आने लगे और वहीं गिर पड़ी, तभी मास्टरजी तुरंत उसे लेकर चिकित्सालय गए। वहां चिकित्सालय मे उसके पास एक लड़की को बिठा कर पाठशाला आ गए। और जमीनदार तक खबर पहुंचाते हैं।


वहा चिकित्सालय में सरोजिनी और जमीनदार आ पहुँचते हैं। वह सुनते हैं कि निशा बेहोशी की हालत में साहब साहब पुकार रही थी। वहीं सब सुन कर सरोजिनी समझ जाती है, कि उसे सब याद आ रहा है। सरोजिनी निशा के पास जाकर सर पर हाथ रखकर कहती हैं, कि क्या हुआ निशा बेटा होश में आओ तब चिकित्सक वहा आ पहुचे उन्होंने कहा कि उसने अपने दिमाग पर जोर देने की वज़ह से अपनी पुरानी यादे वापस आ रही है। उतनी ही देर में निशा होश में आती है उसे घर ले जाते है।

घर पहुचे की वहा वो अपने बड़े पापा को देखते हैं, और जोरों से चिल्लाने लगती है। चिल्लाते चिल्लाते कह रही थी कि ये इंसान बुरा है। उसे दूर लेजा ओ, उसे मुझसे दूर रखो, तभी जमीनदार कहते हैं, निशा ये तुम्हारे बड़े पापा हे। एसे बर्ताव मत करो उनके साथ पर निशा तो बहोत डरी हुई थी, वो जो हाथ में आए वो अपने बड़े पापा पर फेंक रही थी। जमीनदार को गुस्सा आता है, वहीं निशा को जोर से चांटा लगा देते हैं। निशा बेहोश हो जाती है, और जमीनदार वहा से चले जाते हैं उसके पीछे सरोजिनी भी जाती है। उनको समझती है, कि एसा ना करे वह अभी अभी ठीक हुई है। रात को अपने कमरे में वैसी ही हालत में पडी रहती है।