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बोलती गुड़िया by Asha Saraswat in Hindi Novels
भाग (1) जिस दिन मैंने पहली पहली बार शीतल को देखा, उसे देख कर मन वात्सल्य भाव से भर गया। वह पहला दिन, मेरी शादी के बादससु...
बोलती गुड़िया by Asha Saraswat in Hindi Novels
भाग (2) परेशान मन से जैसे-तैसे कार से मैं घर पर पहुँच गई । वहाँ जल्दी से बच्चों को तैयार किया और अपनी मनपसंद सिल्क की बन...
बोलती गुड़िया by Asha Saraswat in Hindi Novels
भाग (3) शीतल अपने घर चली गई कभी-कभी लैंडलाइन नंबर पर उससे बात हो जाती । वह अपनी ससुराल में बड़ी बहू होने के कारण सभी की...