ख़ाम रात - Novels
by Prabodh Kumar Govil
in
Hindi Classic Stories
मैंने नींद से जाग कर फ़ोन हाथ में उठाया ही था कि उस व्हाट्सएप मैसेज पर नज़र पड़ी। लिखा था- जब फ़्री हों बात करें।
मैसेज के साथ डीपी पर भी दृष्टि गई और मन ही मन तय कर लिया ...Read Moreबात तो करनी ही है। सुबह का समय कुछ हड़बड़ी का होता है। कुछ बातों की मन को जल्दी होती है और कुछ बातों की तन को जल्दी।
जल्दी से मैसेज का जवाब दिया कि लगभग ग्यारह बजे दिन में बात करता हूं, और अपने दैनिक कार्यों में उलझ गया।
ग्यारह तो बजने ही थे। मैंने फ़ोन मिलाया। दुआ सलाम हुई। उधर से आने वाली टोन शायद ये परखना चाहती थी कि परिचय की वही गर्मजोशी अभी तक बरकरार है या नहीं। इधर मैंने भी अपनी आवाज़ से भरसक ये आभास देने की कोशिश की- कि आपको कैसे भूला जा सकता है!
मैंने नींद से जाग कर फ़ोन हाथ में उठाया ही था कि उस व्हाट्सएप मैसेज पर नज़र पड़ी। लिखा था- जब फ़्री हों बात करें। मैसेज के साथ डीपी पर भी दृष्टि गई और मन ही मन तय कर ...Read Moreकि बात तो करनी ही है। सुबह का समय कुछ हड़बड़ी का होता है। कुछ बातों की मन को जल्दी होती है और कुछ बातों की तन को जल्दी। जल्दी से मैसेज का जवाब दिया कि लगभग ग्यारह बजे दिन में बात करता हूं, और अपने दैनिक कार्यों में उलझ गया। ग्यारह तो बजने ही थे। मैंने फ़ोन मिलाया। दुआ
मैं लॉन में चलता हुआ महिला की ओर कुछ दूर बढ़ा ही था कि शायद कुछ आहट पाकर महिला ने पीछे मुड़कर देखा। मैं चौंक गया। अरे, ये तो शायद हमारे स्टेट की चीफ मिनिस्टर साहिबा हैं? देखो, कितने ...Read Moreसे यहां एकांत में अकेली बैठी हैं। अपने देश में होतीं तो कमांडो और कारों के काफिले के बीच मंच की किसी तनावग्रस्त कठपुतली की तरह दिखाई देतीं। इसीलिए तो ये नेता लोग दौड़ - दौड़ कर जाते हैं विदेश! ये सोचता हुआ मैं कुछ थम सा गया। उधर जाऊं या नहीं, ये सोचता हुआ। लेकिन तभी उनके हाथ की
अभी हमारी बातचीत में कुछ आत्मीयता आई ही थी कि उन्होंने दूर से गुज़र रहे एक वेटर को आवाज़ दे ली। वो बोलीं - चलिए जूस पीते- पीते बात करेंगे। वेटर पास आकर खड़ा हो गया। शायद मलेशियन लड़का ...Read Moreछोटा, स्कूल जाने वाले बच्चों जैसा। उन्होंने उसे अनार का रस लाने का आदेश दे दिया। फ़िर कुछ सोच कर बोलीं- ओह, मैंने आपसे नहीं पूछा, कुछ और लेना चाहें तो! - नहीं - नहीं, अनार का रस कोई ख़राब चयन नहीं। मैंने कहा। वह मुस्कुराईं। लड़का चला गया। एकबारगी मुझे लगा, अरे ये लड़का हिंदी समझता है क्या! ये
- उसे ज़रूर किसी की नज़र लग गई। मैडम ने कुछ सहज होकर कहा। मैं अपनी पलकें मूंद कर बैठ गया और उनकी बात सुनने लगा। वो कहती गईं, लगातार। जैसे किसी रुकी हुई नहर को बहाव का रास्ता ...Read Moreगया हो... मेरा ये छोटा बेटा बचपन से ही बहुत संवेदनशील था। इसे सब प्यार करते थे। इसे सबसे मुहब्बत भी खूब थी। इसके होठ तो इतने खूबसूरत थे जैसे शुद्ध दूध पर मलाई आई हो। इसे अपना कोई भी काम अपने हाथ से करने की कभी आदत ही नहीं थी। इसका सब काम दूसरे कर देते। यहां तक कि
रस तो दोनों में अनार का ही था मगर एक ग्लास थोड़ा डार्क और दूसरा बिल्कुल ब्राइट रेड। मलेशियन लड़के ने गिलास रखे ही इस तरह थे कि हमने अपने- अपने सामने वाला गिलास उठा लिया। हंसमुख मलेशियन लड़का ...Read Moreतरह उजली मुस्कान फेंकता वापस लौट गया। मैडम ने एक सिप लेने के बाद अपने आप ही मुझे स्पष्टीकरण दिया कि दोनों गिलासों के रंग में फ़र्क क्यों है। उनके जूस में एक दवा मिली हुई थी। ये दवा भी क्या, जामुन की गुठलियों का चूर्ण था जिसे वो हमेशा अपने साथ रखती थीं। वेटर जानता था क्योंकि वो पहले
मैडम बोलीं- मैंने बताया न आपको, एक बात थी। लड़का अच्छे डांस स्कूल में था, सभी सुविधाएं थीं। सीख भी बहुत कुछ गया था, मगर मैंने गौर किया कि बीच- बीच में वो बुझ सा जाता था। उसकी आँखें ...Read Moreलगती थीं, वह बोलते समय हकलाने लग जाता था और एक एक बात को कई कई बार दोहराता, मानो सब भूल गया हो। मैं बुरी तरह घबरा गई। मैंने जब ऐसा दो तीन बार गौर से देखा तो एक दिन अपने पति से कहा। उन्होंने पहले तो इसे हल्के में लिया और इसे मेरा ही वहम बताया, पर जल्दी ही
मैडम बोलीं- मैं आपको सच- सच बताऊं, मुझे न जाने क्यों एक अनजाना डर सा लगने लगा। मैं देख रही थी कि दोनों भाइयों के बीच एक तिरस्कार की खाई बन रही है। मेरे दोनों लड़कों के बीच फासला ...Read Moreजा रहा है। बड़ा छोटे के प्रति प्यार से नहीं बोलता था। - छोटा उन्हें प्यार और सम्मान देता था? बड़े भाई को। मैंने पूछा। - नहीं जानती। वो तो चला गया था न। वहां इतना व्यस्त रहता था कि मुझसे ज़्यादा बात नहीं करता था। जब एक- दो मिनट बात करता था तब ख़ुद बोल देता कि आप मत
अचानक मैडम को जैसे कुछ याद आया। वो बोलीं- ज़रा मुझे थोड़ी मोहलत देंगे, मैं अभी दस मिनट में वापस आती हूं। जाइएगा नहीं। अभी तो आपसे परिचय भी नहीं हुआ। मुझे ये भी मालूम नहीं कि आप किस ...Read Moreमें ठहरे हैं और आपका नाम क्या! गुम गए तो किसी से पूछ भी नहीं पाऊंगी। कुछ रुक कर वो बोलीं- मेरा दवा का समय हो गया है। कमरे में जाकर आना होगा। जैसे ही धीरे- धीरे चलती हुई मैडम घास के मैदान से मुख्य बिल्डिंग की ओर बढ़ीं, संयोग से वही मलेशियन लड़का मेरे पास चला आया। उसने टूटी-
- हो गई सैर? मैंने कुछ व्यंग्य से कहा। वे बोलीं- बताया न आपको, दवा लेने गई थी। मैंने कुछ तल्खी से कहा- हां, फ़िर बताया नहीं आपने, कि आपको बेटों को क्या तकलीफ़ है, जिनके कारण आप यहां ...Read Moreमें भी चिंतित हैं? उन्होंने चौंक कर मेरी ओर देखा। शायद मेरे स्वर की रुखाई उन्हें भायी नहीं। वो भी कुछ सनक गईं। तुनक कर बोलीं- क्या करेंगे पूछ कर? आप कोई जादूगर तो हैं नहीं, जो मेरी तकलीफ़ दूर कर देंगे। मैं तो अकेली बैठी थी, आप आए, आपने जिज्ञासा और हमदर्दी जताई तो मैं आपसे खुल कर बोलने
रात का खाना खाते ही मैं होटल के मुख्य द्वार से निकल कर थोड़ा टहलने के इरादे से सड़क पर आ गया। मेरी उत्तेजना अभी तक कम नहीं हुई थी। बल्कि मैं तो खाना खाते समय भी यही सोच ...Read Moreथा कि आज रात को अपने मिशन के बारे में ज्यादा से ज्यादा प्रामाणिक जानकारी इकट्ठी कर सकूं। मेरा मन कहता था कि मैडम एक तो किसी रॉयल फ़ैमिली से हैं और दूसरे वो पॉलिटिकल एस्पायरेन्ट भी हैं तो उन पर की गई मेरी स्टोरी तहलका मचाने वाली होगी। मज़ा आ जाएगा। मैंने जेब से एक सिगरेट निकाली ही थी
मैं असमंजस में था। क्या करूं? क्या अपना इरादा छोड़ कर चैन से अपने कमरे में जा सोऊं? भूल जाऊं मैडम और उनके आशिक को? नहीं- नहीं, इतनी आसानी से हार नहीं मानूंगा। हाथ में आया हुआ मौका यूं ...Read Moreछोड़ूंगा। क्या हुआ जो वो मलेशियन लड़का डर कर भाग गया। उस बेचारे की भी क्या ग़लती? उसे भी तो अपनी नौकरी प्यारी है। वो फ़िज़ूल मेरे खातिर इतना बड़ा जोखिम क्यों लेता? उसके लिए तो मैं दो रात का कस्टमर ही ठहरा न! और कस्टमर तो उसकी मैडम भी हैं। बल्कि वो तो मेरे से ज्यादा दिन से यहां
सामने एक लड़की खड़ी थी। - एनी सर्विस? आपको कोई सेवा चाहिए? लड़की ने तपाक से कहा। मैं सकपका गया। संभल कर बोला- कैसी सेवा? मतलब कौन हो तुम? क्या करती हो? लड़की हंसी। धीरे से बोली- मैं एक ...Read Moreहूं। आप मेरे देश में हैं। आप ख़ुश रहें, ये मेरी ज़िम्मेदारी है। आप जो कहें, करूंगी। निश्चित ही, मेरी सेवा का वाजिब मूल्य आप चुकाएंगे! अब तक मैं काफ़ी संभल चुका था। मैंने पूछा- तुम्हें किसने भेजा? - मेरी ज़िम्मेदारी ने! मेरी सेवा भावना ने। लड़की इठलाई। अब मेरे दिमाग़ ने प्रत्युत्पन्नमति से काम लिया। मैंने सोचा- वाह, एक
मैंने कुछ उत्साहित होकर अपनी जेब से वही ब्रोच जैसा छोटा कैमरा निकाला और उसे दिखाते हुए उसके बारे में लड़की को बताने लगा। ऐसा करते हुए मेरी कोहनी लड़की के वक्ष से जैसे किसी चुंबक की तरह चिपक ...Read Moreलड़की कुछ मुस्कुराई और बोली- मैं आपको समय के हिसाब से बिल दूंगी। ये नहीं गिनूंगी कि आपने मुझसे कितने काम लिए। - मतलब? लड़की ज़ोर से हंसी। फ़िर बोली- मतलब ये कि हड़बड़ी मत कीजिए, पहले एक काम निपटाइए फ़िर दूसरा। - ओह, अच्छा! समझदार हो। मैं उसका आशय समझते हुए बोला। मैंने उसका कंधा कुछ दबा दिया। -
थोड़ी देर के लिए मैं भूल गया कि घड़ी चल रही है, समय चल रहा है, दुनिया चल रही है! मैं ये भी भूल गया कि हर बीतते लम्हे का मैं भुगतान करने वाला हूं। समय मेरे ही ख़र्च ...Read Moreगुज़र रहा है। मेरी सांसें तेज़ी से चल रही थीं। मुझसे थोड़े से फासले पर एक और देश के सुरीले बदन में धड़कनें किसी धौंकनी की तरह चल रही थीं। मैं इस उधेड़बुन में था कि क्या मैं बगल वाले बिस्तर की ओर बढ़ जाऊं? क्या मैं सचमुच मुझे मिले मौक़े का फ़ायदा उठा कर इस पल के वर्तमान में