Anuthi Pahal book and story is written by Lajpat Rai Garg in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Anuthi Pahal is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अनूठी पहल - Novels
by Lajpat Rai Garg
in
Hindi Fiction Stories
शनिवार का दिन था। कॉलेज की छुट्टी थी। सुबह के दस ही बजे थे, लेकिन सूर्य-नारायण अपने पूर्ण यौवन की ऊर्जा उत्सर्जित कर रहे थे। पृथ्वी-लोक के प्राणियों का गर्मी ने हाल बेहाल कर रखा था। जिनके पास आधुनिक विज्ञान द्वारा आविष्कृत साधन थे, वे उनका भरपूर उपयोग करते हुए गर्मी को धत्ता बता रहे थे। प्रवीण को भी पारिवारिक समृद्धि के कारण ये सुविधाएँ उपलब्ध थीं और वह चौबारे में बैठा ए.सी. चलाकर आराम से पढ़ाई कर रहा था कि कृष्णा ने आकर कहा - ‘बेटे, एक बार तुझे दुकान तक जाना होगा। तेरे पापा का शिकंजी के लिए फ़ोन आया था, उन्हें दे आ।’ पढ़ाई के बीच विघ्न अच्छा तो उसे नहीं लगा, लेकिन वह उन बच्चों जैसा नहीं था जो मम्मी-पापा की बात मानने में आनाकानी करते हैं। अतः अन्यमनस्क-सा वह उठा, ए.सी. बन्द किया और मम्मी के पीछे-पीछे नीचे उतर आया।
(देहदान के प्रति जागरूकता लाने का एक प्रयास) लाजपत राय गर्ग समर्पण हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान’ से विभूषित, रक्तदान अभियान के अग्रदूत, अग्रज भ्राता, डॉ. मधुकांत जी को अपना पाँचवाँ उपन्यास समर्पित करते ...Read Moreमुझे अतीव प्रसन्नता हो रही है। ******** जय माँ शारदे! आत्मकथ्य प्रात: वन्दनीय माँ शारदे के आशीर्वाद एवं ‘महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान’ से अलंकृत अग्रज भ्राता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधुकांत जी की प्रेरणा से यह उपन्यास ‘अनूठी पहल’ लिख पाया हूँ। डॉ. मधुकांत जी ने रक्तदान को अपने जीवन का मिशन बनाया हुआ है। इन्होंने व्यवहारिक जीवन में
- 2 - गाँव का घर बड़ा तो था, किन्तु आधा कच्चा, आधा पक्का था। लेकिन यहाँ का घर पूर्णतया पक्का था। ड्योढ़ी, रसोई के अलावा तीन कमरे थे। बीच में खुला आँगन। गाँव में आँगन कमरों के सामने ...Read Moreचाहे दो-ढाई फुट की कच्ची चारदीवारी थी, फिर भी गर्मी के दिनों में रात के समय किसी कुत्ते-बिल्ली अथवा अराजक तत्त्वों का डर बराबर बना रहता था, विशेषकर प्रभुदास के पिता के कत्ल के बाद से। लेकिन दौलतपुर आकर इस तरह की दुश्चिंताओं से निजात मिल गई। चाहे आँगन में सोवो, चाहे खुली छत पर। किसी तरह के ख़तरे की
- 3 - शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि सात पग एक साथ चलने से बन्धुत्व हो जाता है। रात प्रभुदास के घर पर बिताने के बाद प्रथम सूर्योदय के साथ दोनों मित्रों ने रात को बनाई योजना पर ...Read Moreविचार करना आरम्भ किया। रामरतन ने कहा - ‘भाई, हमारी फ़र्म का नाम होगा - मैसर्ज प्रभुदास रामरतन, कमीशन एजेंट्स।’ ‘नहीं भाई, नाम होगा - मैसर्ज रामरतन प्रभुदास, कमीशन एजेंट्स। आप बड़े हैं, अधिक अनुभवी हैं। फ़र्म के नाम में आपका नाम पहले होना चाहिए।’ ‘मैं आपकी भावनाओं की कद्र करता हूँ, परन्तु भाई! ऐसे कामों में भावुकता की बजाय
- 4 - आढ़त का काम करने के लिए जो दुकान किराए पर ली गई थी, उसके ऊपर दो कमरे बने हुए थे। काम शुरू करने के उपरान्त रामरतन ने अपना बोरिया-बिस्तर उन्हीं कमरों में जमा लिया था। जब ...Read Moreधर्मशाला में रहता था तो वहाँ एक पन्द्रह-सोलह साल की युवती रहती थी जोकि मुलतान से उजड़कर आई थी। उसका भी कोई संगी-साथी नहीं था। साझी रसोई में सहायता करने के अलावा बाक़ी समय में वह गुमसुम रहती थी, किसी से अधिक बातचीत नहीं करती थी। रामरतन ने एक बार किसी को कहते सुना था कि दंगाई उसके साथ दुष्कर्म
- 5 - विवाह के उपरान्त रामरतन और जमना जीवन की दुखद स्मृतियों को विस्मृत कर सुखद, प्रेममय जीवन व्यतीत करने लगे। कुछ समय पहले तक भरे-पूरे परिवारों में रहने वाले इन दो प्राणियों को कभी-कभी बहुत अकेलापन महसूस ...Read Moreरामरतन तो फिर भी सारा दिन दुकान पर व्यस्त रहता और उसे अकेलेपन की टीस कम सालती, किन्तु रामरतन के दुकान पर जाने के बाद जमना के लिए समय व्यतीत करना बड़ा मुश्किल हो जाता। चाहे वह स्वयं को किसी-न-किसी काम में उलझाए रखती, फिर भी उसका मन कभी-कभार उचाट हो जाता। ऐसे में वह नीचे रामरतन के पास आ