प्रायश्चित. - Novels
by Devika Singh
in
Hindi Fiction Stories
यह कहानी चोर की है जिसका नाम राज है।
अपने दोस्त के साथ रह रहा है उसके दोस्त का नाम अंकित है। जिंदगी से उसे खास उम्मीद तो नही है। उसे पता है। जिंदगी से क्या मिलने वाला है। और ...Read Moreउसे किस रास्ते पर ले कर जाने वाली है उसी चोरी करना पड़ता है। ताकि वह अपनी बीमारी के लिए दवाईयो का बंदोबस्त कर सके। अपने इस बीमारी के बारे में उसने अभी तक किसी को नहीं बताया हैं।
राज: भाई आज कहा चला जाए ?
अंकित: मुझे पता नहीं यार !
राज: भाई कब तक एसे ही छोटी चोरिया करते रहेंगे हमे कुछ बड़ा भी करना चाहिए ये रोज के खाने की तरह हो गया है,हम रोज जिस तरह भूख लगने पर खाना कहते है उसी तरह हमे चोरी भी करनी पड़ती है।
अंकित: हां बात तो तू बिल्कुल सही कह रहा है लेकिन अगर हम बड़ा कुछ करेंगे तो हम फस भी सकते हैं। और छोटे-मोटी चोरियां करने में कोई ज्यादा ध्यान देता नहीं है तो भलाई इसी में है। कि हम अपना चादर उतना ही चादर फैलाए जितना हमें जरूरत है।
यह कहानी चोर की है जिसका नाम राज है।अपने दोस्त के साथ रह रहा है उसके दोस्त का नाम अंकित है। जिंदगी से उसे खास उम्मीद तो नही है। उसे पता है। जिंदगी से क्या मिलने वाला है। और ...Read Moreउसे किस रास्ते पर ले कर जाने वाली है उसी चोरी करना पड़ता है। ताकि वह अपनी बीमारी के लिए दवाईयो का बंदोबस्त कर सके। अपने इस बीमारी के बारे में उसने अभी तक किसी को नहीं बताया हैं।राज: भाई आज कहा चला जाए ?अंकित: मुझे पता नहीं यार !राज: भाई कब तक एसे ही छोटी चोरिया करते रहेंगे हमे
अब राज कुछ समझे उससे पहले ही अंकित जग गया था दूसरा आदमी : वहा!!! भाई आपकी नींद तो बहुत जल्दी ही टूट गई, मुझे अब जल्दी उठोअंकित और राज को ऐसा लग रहा था कि कल रात की ...Read Moreदेने के लिए यह दोनों आएगा वह दोनों एक दूसरे को देख रहे थे लेकिन मैं अभी तक उनको इसी सवाल का जवाब नहीं मिला थ मिला था तो एक नाम वो भी कोई माथुर साहबराज: ठीक है हम चलते हैं बाद में आराम से राज ने अंकित को देखा और अंकित भी अब मन गया वो दोनो खड़े हो
राज लेने के लिए तो निकल चुका था लेकिन रास्ते में उसे एक बात याद आई कि वह कार्ड उसके जेब में की थी जब वह कार्ड निकाल कर वह देखा तो पता चला वह एक बड़े वकील का ...Read Moreकार्ड था। अब उसे दिन में ही चोरी कर ली थी और दिन में तो मुश्किल काम था लेकिन वही जोखिम लेने के अलावा और कुछ नही कर सकता था सकता था अब उसका दोस्त जो दाव पर लगा था उस समझ में नहीं पा रहा था कि उसे करना क्या है और यही सोचते सोचते हो वकील के घर
होटल से बाहर निकलने के बाद राज के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था कुछ दूर जाने के बाद उसने फाइल खोलकर देखा तो उसे पता चला इसमें माथुर किस-किस बैंक में कहां-कहां पैसे जमा थे इसका ...Read Moreथा और यह फाइल साल्वे कोर्ट में ये दिखा कर साबित करने वाला था। फाइल उसके पास थी वो सोच रहा था। की क्यू ना ये फाइल वो उससे दे ही ना क्यू कि उस फाइल के जरिए वो उन बैंकों पैसे निकाल सकता था। जो की एक अनजान लड़की के नाम से थे उसने सोचा कि ये पैसे वही
राज ने उसकी बात सुनी और चौक गया और वोही रूक गया उसे समझ में नही आ रहा था। अचानक इसको क्या हो गया अब भी तक तो यह मुझ पर भरोसा नहीं कर पा रही थी। अभी यह ...Read Moreपूछ रहीं है। राज: क्यू अब क्या हुआ बोलो क्या तुमें मुझ पर भरोसा हो गया है। यह तुम कुछ और सोच रहीं हो। पायल: मुझे तुम भरोसा तो नहीं है पर मैं अपने आप पर तो भरोसा कर सकती हु। राज: कहना क्या चाहती हो तुम मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।पायल: तुम्हें समझने की की जरूरत
राज सकते में आ गया था वह समझ नहीं पा रहा था कि यह तीसरा आदमी कौन है जो गोली चला सकता है अचानक वह पीछे देखता है तो वह वकील विशाल साल्वे और पुलिस वाले उसके पीछे खड़े ...Read Moreने उसे कहा।साल्वे: तुम्हें क्या लगा मैं तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ दूंगा ना ना ना यह तुम्हारी भूल है मैंने तुम्हें इसीलिए जाने दिया ताकि मैं तुम्हारा पीछा कर सकूं अगर मैं चाहता तो तुम्हें वही पकड़वा सकता था तुम वहां से भाग गए तो उसके बाद मैंने पुलिस के साथ तुम्हारा पीछा किया और पीछा करते-करते यहां तक
साल्वे जहां खड़ा था राज उसके पास जाकर वो खड़ा हो गया लेकिन साल्वे को जरा सा भी महसूस नहीं हुआ कि राज उसके पास ही खड़ा है साल्वे की बात सुनकर उसे कुछ समझ में आ रहा था ...Read Moreअसल में यह सब पूरा का पूरा प्लान था और जिस में राज फस चुका था।असल में यह साल्वे का ही प्लान था साल्वे जानता था कि माथुर उसके घर में चोरी करवाएगा और चोरी करा करवाने के लिए उसने एक आदमी को उस रात भेजने वाला था साल्वे यह बात जानता था इसलिए उस रात उसने अपने वॉचमैन को
पायल और राज दोनों ही एयरपोर्ट से उन दोनो ने लंदन की फ्लाइट पकड़े थे उनकी नई शुरुआत यहा से हो सकती थी लेकिन राज का दिल इंडिया में अंकित के लिए धड़क रहा था सोच रहा था कि ...Read Moreक्या होगा कैसा होगा वह उन लोगों ने उसका कुछ बुरा तो नहीं किया होगा यह सोच सोच कर उसका दिल बैठा जा रहा था पायल हर वक्त उसके साथी उसे दिलासा देते जा रही थी कि एक बार सब शांत हो जाए तो हम वापस जरूर जाएंगे।राज सोच रहा था इतना बड़ा धोखा मिलने के बाद साल्वे अंकित को
राज की हालत खराब थी यह सोचकर पायल ने उसे हॉस्पिटल ले गई हॉस्पिटल में उसे डॉक्टर ने उसे बताया कि यहडॉक्टर: सर्दियों में या मौसम बदलने पर एक ओर नाक का बंद हो जाना सामान्य बात है. आम ...Read Moreपर दो-चार दिन बाद नाक अपने आप खुल जाती है. हालांकि अगर इसके बाद भी एक ओर की नाक बंद रहे तो आपके लिए खतरे की बात हो सकती है. मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक, यह लक्षण आपमें नाक के कैंसर (Nose Cancer) का संकेत हो सकता है, जिसे Nasopharyngeal Cancer (NPC) भी कहते हैं. इतना सुनने के बाद पायल के
डैनी के लोग अंकित को उसके अड्डे पर लेकर आ जाते हैं डैनी उसका स्वागत करता है पर वहां पर अंकित की नजरें राज को ही ढूंढती रहती है अंकित को समझ में नहीं आ रहा होता है कि ...Read Moreयह आदमी है कौन जो उसे यहां पर ले आया है। डैनी उसे से आराम से बैठने के लिए कहता है और ड्रिंक ऑफर करता हैलेकिन अंकित पूछता हैअंकित: राज कहां पर है।डैनी उसे आराम से बैठने के लिए कहता है और बताता है डैनी: असल में वह तुम्हारी दोस्ती के लायक ही नहीं है।इतना सुनते ही अंकित को थोड़ा
हेलो मैं डैनी बोल रहा हूं 10 नवंबर की रात को किन-किन लोगों ने लंदन की टिकट करवाई थी क्या उन लोगों का नाम बता सकते होंडैनी ने अपने आदमी से फोन पर बात करते हुए राज और पायल ...Read Moreबारे में पूछा उधर से उस आदमी ने उसे कुछ टाइम मांगा डैनी सर मुझे इसमें थोड़ा सा टाइम लगेगा मैं तुम्हें देख कर बताता हूं डैनी इतना कहकर फोन रख देता है।क्या हुआ तुम्हारे आदमी ने क्या कहा माथुर ने उसे उत्साह पूर्वक पूछा डैनी: तुम यार हर चीज में इतना उतावलापन क्यों कर रहे हो आराम से रहो
कुछ ही घंटों के सफर के दौरान अंकित अब लंदन पहुंच चुका था अब उसे यहां से राज की तलाश करनी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था। कि वह कहां से शुरू करें उसके पास राज की फोटो ...Read Moreथी। लेकिन उसका पता नहीं था वह एयरपोर्ट से निकलने के बाद एक रेस्टोरेंट में बैठकर नाश्ता करते हुए यही सोचे जा रहा था कि अब आगे उसे करना क्या है तभी कुछ समय बाद डैनी उसे कॉल आता है वह उससे पूछता है कि उसकी खैरियत पूछता है।डैनी: तुम्हें वहां पर जिस जिस चीजों की जरूरत रहेगी तुम मुझे
कुछ घंटों बाद अंकित को होश आ चुका था अंकित ऐसे ही पढ़े नहीं रह सकता था उसे राज की तलाश करनी थी वह सोच रहा था इस मुसीबत से कैसे निकले और साल्वे भी अब तक हॉस्पिटल तक ...Read Moreचुका था। हॉस्पिटल का मुआयना करते हुए उसे पता चला कि अंकित को ज्यादा चोटें नहीं आई थी। और अंकित के कमरे बाहर दो लोगों उस कमरे पर ध्यान लगा कर खड़े थे उन्हीं दो लोगों को देखने के बाद उसे पता चल गया था कि शायद माथुर के आदमी उसके पीछा करते हुए यहां तक पहुंच चुके थे।उसने वहां
अंकित ने अपनी बात खत्म करके हॉस्पिटल के गलियारे में से मुड़कर गलियारों से बाहर आ गया। के बाहर आने पर उसने साल्वे को एक लड़की के साथ बैठे हुए देखा वह समझ नहीं पा रहा था। कि साल्वे ...Read Moreदूर उसके पीछे उसका पीछा करते हुए आया था और वह लड़की कौन है अंकित को अब कुछ कुछ समझ में आ रहा था अंकित को भी एक क्लू मिल चुका था वह लड़की उसे कुछ बता सकती है और वह साल्वे के कुछ और करीब जाकर दीवार की ओट लगाकर उनकी बातें सुनने लगा।पायल: मेरी बात समझो पैसे मेरे
इतने पढ़े बाप की लड़की की गाड़ी में पेट्रोल ही नहीं था क्या घंटे की इतनी बड़ी थी उनकी फैमिली।अरे कम से कम पेट्रोल भरा ही लेती तो मुझे आज यहां फसना नहीं होताउसने कार मैकेनिक का नंबर सर्च ...Read Moreएक कार मैकेनिक को फोन किया और उसे अपने पास बुलाकरीब डेढ़ घंटे के बाद गाड़ी सही हो गई थी। मैकेनिक अपने साथ कुछ पेट्रोल भी लाया था। इससे अंकित का काम और आसान हो गया।उसने मैकेनिक को कुछ पैसे दिए और वहां से चलता बनाअंकित ने सोचा यही मौका है उस नकचड़ी का अकड़ सुधारने का वो गाड़ी में
जैसे ही अंकित ने उस कमरे का दरवाजा खोला वह राज को देखकर बहुत खुश हूं और साथ-साथ उसे इस हालत में पाकर उसे बड़ा दुख हो रहा था राज की हालत खराब थी उसके मुंह से ऑक्सीजन पाइप ...Read Moreहुआ था अंकित को यह सोचने में बड़ी दिक्कत हो रही थी कि आखिर राज के साथ ही ऐसा क्यों हुआ राज इतना अच्छा है। तब उसे समझ में आया कि अच्छे लोगों के साथ ही अच्छा होता है राज उससे बहुत प्यार करता था लेकिन आज उसे इस तकलीफ में देखते हैं देखने के बाद उसे समझ आ गया
उधर डैनी फोन पर फोन लगाया जा रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रॉबर्ट कहां गया उसका फोन भी नहीं लग रहा था उसे लग रहा था क्या पता अंकित ने रॉबर्ट को मार तो ...Read Moreदिया।क्या अंकित को उसकी सच्चाई पता चल गई क्या अंकित को राज मिलने के बाद भाग गया।इन सारे सवाल डैनी को खाए जा रहे थे। अब उसके चेहरे पर शिकन साफ नजर आ रही थी।माथुर साहब : क्यू डैनी साहब रोबोट मारा गया क्या मैंने कहा था अंकित पर भरोसा मत करो वह भरोसे लायक नहीं है।डैनी: तुमने कब कहा
डैनी इन सब से थक चुका था ।अब उसे खेल में खुद ही उतरना था। माथुर के खिलयो की वजह से उसका दिल में जल रहे ज्वाला को माथुर ने और भड़का दिया था।उसके हिसाब से उसके सारे प्यादे ...Read Moreमर चूके थे।अब उसे खेल में खुद कूदना था उसने थूर से कहा कि मेरी आज दोपहर की टिकट करवा दो अब मैं खुद लंदन जाऊंगा।डैनी का आया गुस्सा देख माथुर अब थोड़ा थोड़ा सा सहम गया था। वह अब सीरियस लग रहा था माथुर के समझाने के बाद भी डैनी नहीं माना वह अपने अटल फैसले पर अड़ा हुआ
डेविल मेघा का पीछा करते-करते हॉस्पिटल पहुंच गया था। हॉस्पिटल में उसे पता चला कि उसका पति भी गायब है। और वह भी गायब थी। उन दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा था उन लोगों ने अभी तक ...Read Moreभी पे के नहीं किए थे।इसलिए डॉक्टरों को उनके नाम बिल्कुल याद थे।डैनी को हॉस्पिटल से कोई क्यों सबूत नहीं मिला था। और ना ही कोई सीसीटीवी पर उनका फुटेज मिला था।उस नर्स ने सारी फुटेज डिलीट कर दी थी। अब उसके पास कोई क्लू नहीं बचा था।डेविल आगे बढ़ता हुआ हॉस्पिटल में पूछते चला जा रहा था किसी ने
उधर राज अंकित के पास पड़े यही सोच रहा था कि उसके प्यार में क्या कमी हो गई अंकित ने जब उसे सच्चाई बताइ तो उसका दिल ही टूट चुका था उसके आंखों से आंसू नहीं आ रहे थे ...Read Moreउसका दिल अंदर रोए जा रहा था।और अंकित भी यही सोच रहा था। कि उसे अपने दोस्त के लिए उसे ही आखरी काम पूरा ही करना पड़ेगा चाहे उसे पायल (मेघा) को ढूंढने में कितने ही साल कितनी साल क्यू ना लग जाए।और इधर मेघा डैनी के साथ इंडिया आ चुकी थी। और इधर डैनी मेघा को अपने घर लेकर
2 साल पूरे हो चुके थे लेकिन अंकित अभी भी मेघा को ढूंढ नहीं पाया था वह अपने काम में कामयाब नहीं हो पाया था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मेघा को कहा और कैसे ढूंढे।राज ...Read Moreडेथ हो चुकी थी रात को खोने के बाद अंकित का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था उससे मेघा से अपने दोस्त का बदला लेना था।उसे जब समझ नहीं आया तो उसने सोचा क्यों ना मैं अपनी शुरुआत शुरुआत से ही करूं वह पहले मेघा के पड़ोसियों से जाकर उसने पूछा तो उसे ज्यादा कुछ तो पता नहीं चला