Prayaschit - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रायश्चित- 1 - Raaj or Ankit

यह कहानी चोर की है जिसका नाम राज है।

अपने दोस्त के साथ रह रहा है उसके दोस्त का नाम अंकित है। जिंदगी से उसे खास उम्मीद तो नही है। उसे पता है। जिंदगी से क्या मिलने वाला है। और जिंदगी उसे किस रास्ते पर ले कर जाने वाली है उसी चोरी करना पड़ता है। ताकि वह अपनी बीमारी के लिए दवाईयो का बंदोबस्त कर सके। अपने इस बीमारी के बारे में उसने अभी तक किसी को नहीं बताया हैं।

राज: भाई आज कहा चला जाए ?

अंकित: मुझे पता नहीं यार !

राज: भाई कब तक एसे ही छोटी चोरिया करते रहेंगे हमे कुछ बड़ा भी करना चाहिए ये रोज के खाने की तरह हो गया है,हम रोज जिस तरह भूख लगने पर खाना कहते है उसी तरह हमे चोरी भी करनी पड़ती है।

अंकित: हां बात तो तू बिल्कुल सही कह रहा है लेकिन अगर हम बड़ा कुछ करेंगे तो हम फस भी सकते हैं। और छोटे-मोटी चोरियां करने में कोई ज्यादा ध्यान देता नहीं है तो भलाई इसी में है। कि हम अपना चादर उतना ही चादर फैलाए जितना हमें जरूरत है।

राज् छोटी-मोटी चोरियां कर के थक चुका था वह चाहता था कि कुछ बड़ा करके कहीं सेटल हो जाए क्योंकि यह बार-बार चोरी करने का मन भी उसका करता नहीं था वह सोचता था कि मैं कुछ काम है ऐसा करूं कि मुझे यह सब काम करने के वापस जरूरत ना पड़े और कहीं दूर जाकर बस जाऊं

एक दिन उससे कह साइकिल चोरी करने का मौका मिला और वह साइकिल किसी फ्लावर शॉप के बाहर खड़ी थी साइकिल एक अच्छी कंडीशन में थी तो उसने सोचा कि इसे बेचकर कुछ अच्छे पैसे मिलेंगे और वह साइकिल चोरी करने के लिए सोच ही रहा था। की फ्लावर शॉप में एक लड़की को देखकर वह साइकिल का चोरी करने का ख्याल उसके दिमाग से निकल गया वह लड़की को देखता ही रह गया वह लड़की वहा पर जॉब करती थी।

उसे उस लड़की का नाम नहीं पता था अब वो चोरी का ख्याल निकलते हुए सीधा उस फ्लावर शॉप के अंदर घुसा और उसके पास खड़ा हो गया वो अपने लाइफ में कोई भी मौका जल्दी से खोता नहीं था

राज: यह फूल कैसे दिए?

पायल: सर यह फूल नहीं है,गुलदस्ता है। आपको सिर्फ फूल चाहिए या फिर गुलदस्ता।

अब राज को फूलों की समझ नहीं थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या बोले उसने बोला कि,

राज: आपको जो अच्छा लगे आप मुझे दे दो।

पायल: आपको ये किस्से देना है कोई दोस्त या किसी फैमली वाले को आप उसका नाम बता सकते है।

राज: 🤔 हां किसी दोस्त को ही देना हैं। पर मुझे उसका नाम पता नहीं हैं।

पायल: अच्छा तो में समझ गई किसी लड़की को देना है।

राज: हा ऐसा ही है कुछ तो अब मुझे क्या करना चाइए क्या जब में इसे उसे दूंगा तो क्या वो बुरा मान सकती हैं?

पायल: वेल अब इसके बारे में तो कुछ नहीं कह सकती हा पर गुलदस्ते 150 रुपए हुए।

राज ने वो गुलदस्ता लिया और बाहर आ गया उसके कुछ दिनों तक वो हर रोज उस शॉप पर जाने लगा अब उसका रोज का यही जैसे की काम हो चुका था आने जाने से वो लड़की भी उससे अब पहचानने लगी थी लेकिन अब तक वो उसका नाम नहीं पता कर सका था

कुछ दिन बाद अंकित उससे मिलने आया

अंकित: अरे भाई कहां गायब हो आजकल दिख ही नहीं रहे हो और आजकल आता क्यो को नहीं है भाई मुझसे मिलने काम छोड़ दिया क्या ए पैसे बहुत आ गया आपके पास

राज ने सब बता दिया ।

राज: भाई मुझे लगता है मुझे इसके साथ ही जिंदगी बितानी है तू क्या कहता है।

अंकित: हां बेटा जब तुझे उसे पता चलेगा कि तू कौन है, जिंदगी क्या तुझे फ्लॉवर शॉप पर आने भी नहीं देगी।

राज: इसलिए तो सोच रहा हुं सब छोड़ दूं मेरा मन भी नहीं करता हैं यह सब काम करने के लिए

अंकित: अरे भाई लेकिन करेगा क्या फिर सोचा है कुछ और

उससे पहले उस लड़की की मर्जी तो पूछ ले क्या पता तेरे सब छोड़ने के बाद वही तुझे छोड़ दे। उसके पास ना तेरे पास लड़की रही मैं तेरे पास पैसा तो सोच और अच्छे से फैसला कर और कल जाकर उसे सब बता दे।

राज ने सोचा अंकित भी सही कह रहा है क्यों टाइम वेस्ट करने से अच्छा है ना की उससे पूछ लूं

राज: ठीक है मैं कल जाकर उसे सीधा पूछ लूंगा।

वैसे आज कहां था तू?

अंकित: कुछ नहीं यार आज पटेल गैंग के लड़के मेरे पीछे पड़ गए थे तो आज मैं दिन भर बस्ती में आया ही नहीं

राज: पटेल गैंग के !!! पर हुआ क्या था

अरे तू तो जानता है ना मेरा उनसे जमता नहीं है और वैसे भी हमेशा झगड़ा होता ही रहता है

राज जानता था पटेल गैंग के लड़के इतने भी पावर फुल नहीं थे पर उसे डर लगा रहता था कि कभी अंकित उनके हत्थे ना चढ़ जाए क्योंकि इससे पहले भी वह अंकित को मार चुके थे और अंकित हमेशा अकेला पड़ जाता था इसीलिए ही चोरी छुपे उनके साथ रहता था पटेल गैंग के लोग ज्यादातर कमजोर लोगों पर अपना दबाव बनाना चाहते थे और कमजोर लोगों से इस बस्ती पर हफ्ता वसूल करते थे और यह अंकित को ये पसंद नहीं था की कोई उसके पैसे ले।

राज: अच्छा ठीक है चल कहीं बाहर चलते हैं घूमेंगे मूड फ्रेश हो जाएगा यार वैसे भी आजकल कहीं बाहर नहीं गया मैं।

अंकित: अब तू बोल रहा है तो चलना ही पड़ेगा कहां चलना कहा है बता

राज: किसी बार चलते। क्या बोलता

अब दोनों एक बार में जाते हैं वहा पर अंकित कुछ ज्यादा ही नशे में हो जाता है ।

राज: अब बस बहुत हो गया है आज के लिए तू अकेले जा तो सकता है ना,

अंकित: अबे यार तू क्या मुझे इतना कमजोर समझता है । में चल सकता हूं

इतना बोलते ही अंकित अपनी जगह से उठता है और उससे उठने के कुछ देर बाद वह वहीं पर गिर जाता है यह देखने पर वहां के लोग उसे देखने लगते है।

राज: हां मैं देख सकता हूं कि तू चल सकता है अब चल जल्दी उठ।

उसे उठाने की कोशिश करता है

राज उसे उठाता हुआ बाहर के दरवाजे पर चलता रहता है और और अचानक से दरवाजे पर एक कोट पहना हुआ आदमी बाहर के अंदर आता अंदर आता हुआ दोनों आपस में भिड़ जाता हैं अंकित वहां पर फिर से गिर जाता है और यह देखकर वह कोट वाला आदमी उन पर गुस्सा करता है। लेकिन इससे पहले उस आदमी के पीछे उसके दो बॉडीगार्ड उन दोनों को पकड़ लेते हैं और उससे खड़ा करते हैं और इसके बाद वह कोट वाला आदमी उसे कहता है देख नहीं सकते क्या

राज: माफ कीजिएगा सर मेरा दोस्त को ज्यादा ही पी लिया है ठीक है मैं उसे उठाता हूं

इतना कहते ही माहोल शांत हो जाता है वो बॉडीगार्ड पीछे हट जाते है

राज: चल भाई आज के लिए कुछ ज्यादा ही हो गया है अब इससे ज्यादा तमाशा मत कर

राज उसे उठाता हुआ बार से कुछ दूर आता है और उसके कुछ दूर आने के बाद अंकित अपने आप ही आराम से चलने लगता है।

अंकित: अबे तुझे चोर किसने बना दिया पागल मैं तो बस नाटक कर रहा था ताकि उस कोट वाले आदमी का पर्स चोरी कर सकूं और तुझे पता है मैंने कर भी लिया

राज: तू नहीं सुधारने वाला ना? ठीक है चल देख कितना माल है माल निकाल और चलते हैं यहां से

अंकित: भाई यह तो बहुत मालदार पार्टी है यार बहुत पैसे थे इसके पास और क्या नहीं है एक विजिटिंग कार्ड भी है शायद इसी का होगा।

वह दोनों पर्स फेंकते हुए अपने घर चलते हैं घर आने के बाद

अंकित: यार अगर उसके पर्स में इतना पैसा है तो उसके घर में कितना पैसा होगा तूने कभी सोचा है उसके बारे में क्या तू वही सोच रहा है जो मैं सोच रहा हूं।

देख मेरे पास एक प्लान है इस वक्त वह आदमी उस बार में बैठा होगा और उसे कुछ देर के बाद पता चलेगा कि उसकी जेब कट चुकी है और हमारे पास इतना ही वक्त है उसके घर तक जाने के लिए घर में चोरी करने के लिए तो क्या बोलता है हम चले उसके घर में चले चोरी कर लो क्या पता कुछ अच्छा मिल जाए।

राज: तू बिना तेरा पर्स चोरी करने के बाद पेट नहीं भरा अभी तो उसके घर में भी डाका डालने को बोल रहा है।

अंकित: अरे चलना भाई क्या पता ही है ऊपर वाले का इशारा हो हमें उसके घर के जाने का।

राज: हां ऊपर वाला कहता है ना दूसरो के घर में चोरी करने के लिए।

अंकित: देख यार अब तू साधू जैसी बात मत कर।

राज सोच रहा था आईडिया तो पूरा नहीं है पर उसे डर लग रहा है। और इसी डर में उसने हां भी बोल दिया।

बस कुछ देर में वो दोनों उस घर के सामने थे उन्होंने जल्दी से घर के अंदर घुसे घर में पूरा सन्नाटा था और उनके प्लान के मुताबिक उनके घर में कोई नहीं था।

वह दोनों तिजोरी ढूंढने लगे लेकिन उनके यहां हाथ कुछ ना लगा अलमारी में कुछ पैसे पड़े हुए थे उन्हें वह मिले और कुछ कीमती सामान थे उन्होंने सब उठा लिया लॉकर ढूंढने पर उन्हें कुछ लॉकर जैसी कोई चीज उस घर में नहीं मिली और कुछ देर बाद उस घर में कोई घुस रहा था वो दोनो ने सारे सामान बैग में भरे और निकल गए

घर जाकर वह दोनों बहुत खुश थे उन्होंने दो दो पैग मारी सो गए

राज भी खुश लग रहा था वो सोच रहा था की कल जाकर उस लड़की सीधा अपने दिल की बात कह देगा

अगली सुबह।।।।।।।

राज की आंख खुली तो उसने देखा दो लोग उसके जागने का इंतजार कर रहे थे। और एक की बंदूक तो सीधा अंकित के मूंह पर थी अंकित अभी भी सोया ही था।

उनमें से एक ने बोला।

पहला आदमी: हां तो भाई साहब उठ गए आप लोग अब अपने दूसरे दोस्त को भी उठा दो माथुर साहब आप दोनों को मिलने के लिए कब से तरस रहे है तो हम दोनों को आप लोग को वहां पर ले चलेंगे आपकी मर्जी हो या ना हो।

माथुर साहब का नाम राज ने पहली बार सुना था वह जानता नहीं था कि वह कौन है उसे लग रहा था कि उसने जो चोरी की है शायद वही आदमी उन दोनो को बुला रहा होगा।