Nasbandi book and story is written by Swatigrover in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Nasbandi is also popular in Drama in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नसबंदी - Novels
by Swatigrover
in
Hindi Drama
आज धूप बहुत तेज़ है, चला भी नहीं जा रहा है। प्रेमलता उसका नहर के किनारे इंतज़ार कर रही होगी। यहीं सब सोचते हुए सुयश मोहन के कदमों की गति बढ़ती गई। जब नहर के पास पहुँचा तो उसने देखा कि प्रेमलता पत्थर के छोटे टुकड़े नहर में फ़ेंक रही है । उसके कदमों की आहट सुनकर वह पीछे मुड़ी और उसे देखकर बोली, "मोहन कभी तो समय से आया कर । क्या करो? तुझे तो पता ही है कि बेला की शादी है। और अम्मा ने मुझे दौड़ा रखा है।" वैसे एक बात बोलो, प्रेमलता ने उसे गौर से देखते हुए कहा । "मुझे तेरी अम्मा बिल्कुल अच्छी नहीं लगती । मेरी अम्मा को भी तू ज़्यादा पसंद नहीं है," यह कहकर वो ज़ोर से हँसा तो वह भी हँस दीं । हम ब्याह के बाद शहर चलेँगे न? कोशिश तो मेरी यही रहेंगी कि मैं दिल्ली निकल जाओ और तुझे भी अपने साथ ले चलो, बारहवीं तो मैंने जैसे तैसे कर ली है। अब किसी तरह दिल्ली के किसी कॉल सेंटर में नौकरी भी मिल जाए तो ज़िन्दगी अच्छे से कटेगी । हर महीने माँ और राजू को पैसे भेज दिया करूँगा । तू और मैं मज़े से रहेंगे। उसने प्रेमलता के गले में बाहें डालते हुए कहा । प्रेमलता शरमाई और बोली, "वाह! मोहन तूने तो सब सोच रखा है और फ़िर दोनों घंटो अपने भावी जीवन के सपने संजोते हुए, अपनी ही दुनिया में खोए रहें। तभी छिपते हुए सूरज को देखकर बोली, "मैं चलती हूँ, बापू भी खेतों से आ गए होंगे । यह कहकर प्रेमलता तो चली गई, मगर मोहन शाम के बाद चुपचाप आई रात को बहुत देर तक बैठा देखता रहा।
आज धूप बहुत तेज़ है, चला भी नहीं जा रहा है। प्रेमलता उसका नहर के किनारे इंतज़ार कर रही होगी। यहीं सब सोचते हुए सुयश मोहन के कदमों की गति बढ़ती गई। जब नहर के पास पहुँचा तो उसने ...Read Moreकि प्रेमलता पत्थर के छोटे टुकड़े नहर में फ़ेंक रही है । उसके कदमों की आहट सुनकर वह पीछे मुड़ी और उसे देखकर बोली, मोहन कभी तो समय से आया कर । क्या करो? तुझे तो पता ही है कि बेला की शादी है। और अम्मा ने मुझे दौड़ा रखा है। वैसे एक बात बोलो, प्रेमलता ने उसे गौर से
अब बहन को ही देखा जायेगा? या फ़िर कुछ कहेगा भी ? मोहन ने अपनी खोई हुई आवाज़ को ढूँढा और फ़िर ज़ोर से बोला, "क्यों री बेला यह सब क्या है? बच्चा किसका-----? वह अपना वाक्य पूरा नहीं ...Read Moreसका और तभी माँ बोल पड़ी, उस नन्द किशोर का ही है। मोहन ने जैसे चैन की सांस ली । यह सुनकर उसकी जान में जान आई और उसने कहा कि कोई नहीं, अगले रविवार उसकी दुल्हन ही बनना है तो फ़िर क्या परेशानी। वह चारपाई पर आराम से लेटते हुए बोला । तुम दोनों भाई- बहन लपनटर हो। एक
माखनलाल और उसका भाई अपना फरमान सुनाकर चले गए और अम्मा ने रोना शुरू कर दिया । बताओ, रिश्ता तोड़ने का बहाना भी सही ढूँढा है। मैं पगली बेकार में सोच रही थी कि भगवान ने हमारी सभी मुश्किल ...Read Moreकर दी, बिना दहेज़ के रिश्ता हो गया । चार कपड़ों में बेटी ले जाते तो गरीब पर एहसान नहीं हो जाता, मगर गरीब पर भगवान को दया नहीं आ रही तो इन्हें कहाँ से आएगी। मेरा बस चलता तो इस रिश्ते को न कह देती, मगर इस कुल्टा ने हमें कहीं का न छोड़ा । अम्मा ने रोती हुई
अगले दिन जब वह नन्दकिशोर से मिला तो वह भी मोहन की बात सुनकर पीपल के पेड़ के पास सिर पकड़कर बैठ गया । भाई, यह सब कैसे हो गया, मैंने तो छतरी का प्रयोग किया था। मेरे दोस्त ...Read Moreने मुझे शहर से लाकर दी थीं । मोहन ने एक खींचकर चाटा उसके मुँह पर मारा, और गुस्से में बोला, "अगर यह कांड न किया होता तो रिश्ता कबका ख़त्म कर देते"। नन्द किशोर अपने गाल को सहलाते हुए बोला, "भाई गलती हो गई, फ़ोन में वो अंग्रेज़ो की फिल्म देखी तो .....मोहनको गुस्से में देखकर आगे बोलने की
बेला की शादी हो गई, वह हँसी-ख़ुशी से अपने नन्द किशोर के घर आ गई। मगर मोहन की पूरी दुनिया ही उजड़ गई थीं । उसने सोच लिया कि वह अपनी ज़िन्दगी ख़त्म कर देगा क्योंकि अब जीने का ...Read Moreफ़ायदा नहीं है। यही सोचकर, वह नहर में कूदने के उद्देश्य से चला गया और जैसे ही उसने छलाँग लगानी चाही, किसी ने उसकी बाजू पकड़ ली और उसने पीछे मुड़कर देखा तो बिरजू खड़ा था, मोहन, क्या करने जा रहा है? दिमाग बस में नहीं है, क्या? मोहन की रुलाई फूट पड़ी। और मोहन को ऐसी हालत में देखकर