Nasbandi - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

नसबंदी - 9

वक़्त फ़िर पंख लगाकर उड़ रहा है, मोहन ने कर्ज लेकर अपनी दुकान खरीद ली। अब उसकी दुकान भी अच्छी चल रही हैं । वो अपनी दुकान पर ही बैठा सोच रहा है, बिरजू और श्याम को गए पाँच महीने हो चुके हैं। कहाँ हम तीनो एक साथ इस शहर में आए थें और कहाँ अब सिर्फ़ मैं अकेला रह गया हूँ । जूही के घरवाले अब भी श्याम और जूही को ढूंढ रहे हैं । दोनों एक शहर से दूसरे शहर भागते फ़िर रहे हैं, मैं समझता था सिर्फ मेरे साथ ही दिक्क़ते हैं, मगर मेरे दोस्त भी कौन सा सुखी हैं। तभी किसी ग्राहक ने मोहन का ध्यान अपनी तरफ खींचा तो वह फ़िर काम में उलझ गया। घर पहुँचा तो माँ का फ़ोन आ गया।

हाँ, माँ सब ठीक है?

हाँ, बेटा वो तेरी शादी की बात चलाई है।

माँ, अभी रुक जाओ बताऊँगा आपको। फिलहाल नहीं, पहले छोटे को काम पर लग जाने दो।

लेकिन बेटा, लड़की अच्छी है , एक बार .........।

माँ आवाज़ नहीं आ रहीं, आपसे बाद में बात करता हूँ। कहकर उसने फ़ोन काट दिया ।

माँ भी न, कैसे समझाओ । यही सब सोचते हुए, उसे नींद आ गई ।

सुबह जब उसने दुकान खोली तो साथ वाली दुकान पर काम करने वाले रौनक को देखा, जो उसे देखकर हँस रहा है । वह अपने साथ दो-चार लड़के और लेकर खड़ा था, जब मोहन से रहा नहीं गया तो उसने पूछ ही लिया, क्यों बे क्या बात है? क्यों दाँत दिखा रहा है?

मोहन भाई, एक बात तो बताओ कि वो ऑप्रेशन करवा लेने के बाद तुम ठीक से कर पाए ?

क्या बकवास कर रहा है? उसने उसे धक्का दिया ।

इतना बुरा लग रहा है तो अपने कारनामों की वीडियो क्यों बनवाई?

क्या मतलब?

यह देखकर मोहन के पसीने छूट गए, उसने देखा कि जब उसने रेशमा को सब सच बताया था और उसके बाद जो हमारे बीच हुआ उसकी का यह वीडियो है। वह दिन उसे याद आने लगा।

रेशमा मैं, तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ?

क्या ?

यहीं कि कुछ मज़बूरी और पैसे की ज़रूरत चलते मैंने ऑपरेशन करवा लिया था ।

मैं समझी नहीं, मोहन ने उसे सारी बात विस्तार से बता दीं ।

रेशमा हैरान हुई और कुछ सोचकर बोली, "मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए। हम मिलकर कोई रास्ता निकाल लेंगे । यह कहते हुए उसने मोहन के होंठो को चूम लिया। और मोहन भी उसकी आँखों में अपने लिए प्यार देखकर, उसे बेतहाशा चूमने लगा और फ़िर जो कुछ हुआ इस वीडियो में नज़र आ रहा है । सबको अपनी ओर हँसते देखकर, वह शर्मिंदा सा दुकान में घुस गया । और अपने फ़ोन पर रेशमा का नंबर तलाशने लगा।

जैसे ही रेशमा ने फ़ोन उठाया, उसके बोलने से पहले ही वह बोल पड़ी ।

और मोहन कैसी रहीं?

तुझे शर्म नहीं आती, ऐसी घिनौनी हरकत करते हुए, मेरे नहीं अपने बारे में तो सोचा होता ।

तूने ध्यान से देखा नहीं, कैसे मैंने इंटनेट के कमाल से अपना चेहरा ढक लिया है । उस दिन गलती से यह वीडियो बन गया था, दरअसल मुझे टिकटॉक पर अपनी वीडियो बनाने का शौक है, उस दिन मैं कोई वीडियो बना रही थीं कि यह ऑन कैमरा रह गया था । और सच कहो, मैंने बाद में जब यह वीडियो देखा तो इस वीडियो को हटाने का मन नहीं हुआ । और जब पैसे की ज़्यादा ज़रूरत थीं तो मैंने इसे किसी को बेच दिया । और देख, लोग देखना चाहते हैं कि तेरे जैसे लड़के भी कोई टैलेंट रखते हैं।

इससे पहले मोहन गाली देता, उसने फ़ोन काट दिया । चार पाँच दिन वो अपने घर स नहीं निकला। मगर यह वीडियो पूरी तरह पूरे देश में वायरल हो रहा है। कोई भी आहट होती तो वह डर जाता, उसे लगने लगा कि उसके आसपास के लोग उसके घर पर पत्थर फ़ेंक रहें हों । मोहन की हालत खऱाब हैं, उसे लग रहा है, अब ज़िंदगी में कुछ नहीं बचा । उसने यही सोचकर अपने खाते के पैसे भाई के अकाउंट में डाले, और रात के दो बजे घर से निकल पड़ा । उसने सोच लिया है, हाईवे पर जाकर गाड़ी के सामने आकर जान दे देगा ।


हाईवे पर लगातार चलती गाड़ियों को देखकर उसे डर तो बहुत लगा, मगर अब उसे जिंदगी से ज्यादा डर लग रहा है, जब गॉंव से शहर आया था तो सोच रहा था कि प्रेमा के बिना ज़िन्दगी कैसे कटेंगी। मगर किस्मत ने उसका साथ दिया और वह ज़िन्दगी के साथ अब कुछ बेहतर कर रहा है। और जब रेशमा उसे मिली तो उसे लगा उसे भी सपने देखने का हक़ है। मगर वह फ़िर से शून्य पर पहुँच गया, जहाँ से उसने शुरू किया था, अब उसे नहीं जीना, बस बहुत हुआ। यह सोचकर, वह गाड़ी के सामने आ गया, और फ़िर सबकुछ ख़त्म। चारों तरफ़ हल्का शोर है, उसे लगा कि वह प्रभु की नगरी में आ गया है, उसके पैरों में बहुत दर्द है, शायद उसके कर्मो के लिए उसे बहुत मर पड़ी है, तभी उसे एक हाथ अपने माथे पर महसूस हुआ, आप ठीक है? उसने यह सुना और धीरे से आँखें खोली, उसे सफ़ेद कपड़ों में एक लड़की नज़र आई, मगर यह क्या यह तो नर्स है, मैं यहाँ कहाँ कैसे गया? अभी वह यह सोच ही रहा है कि उसकी नज़र उसके सामने खड़ी एक लड़की पर पड़ी। उसने उसकी आँखों में उठे प्रश्न को समझ लिया और कहने लगी। अभी तुम आराम करो, अस्पताल से छुट्टी मिले तो मेरे घर आ जाना, उस लड़की ने एक परचा उसके पास रखी टेबल पर रख दिया। मोहन ने आँखें बंद कर ली और सोचने लगा अब यह सब क्या है, चैन से मरने भी नहीं देते।

पंद्रह दिन बाद मोहन उसी पते पर पहुँच गया । उसके चेहरे और बाजू पर अब भी चोट के निशान है । उसने देखा घर ज़्यादा बड़ा नहीं है, मगर छोटे से बगीचे से सजा बहुत सुन्दर लग रहा है। उसने घंटी बजाई और दरवाज़ा उसी लड़की ने खोला । उसे देखकर वो मुस्कुराई और बाहर बगीचे में रखी कुर्सियों पर बैठने का ईशारा किया । वह थोड़ा संकुचित सा वहीं कुर्सी पर बैठ गया, वह थोड़ी देर बाद आकर उसके पास बैठ गई और गौर से देखते हुए बोली-

मरना क्यों चाहते थें ?

मोहन नज़रे नीची करके बोला, आपको पता नहीं है कि मेरे साथ क्या हुआ है?

मुझे सब पता है, पिछले एक महीने से नेटिज़ेंस तुम्हारे बारे में ही बात कर रहे हैं, तुम्हारा वीडियो, हर कोई हर सोशल प्लेटफॉर्म पर शेयर कर रहा है । उस लड़की ने अपना फेसबुक दिखाया, मोहन ने देखा कि उसकी वीडियो के ऊपर लिखा हुआ था, "नसबंदी पुरुष भी ले सकता है, सेक्स का आनंद, तो आप क्यों नहीं " यह पढ़कर मोहन फूट-फूटकर रो पड़ा । थोड़ी देर रोने के बाद, लड़की ने उसे पानी दिया और एक घूँट पीकर, उसने अपनी सारी कहानी उसे सुना दीं । मुझे तुमसे हमदर्दी है, पर इससे तुम्हें कुछ फ़ायदा नहीं होगा। अब अगर बच गए हो तो कुछ ऐसा होना चाहिए, जिसे तुम्हें भी फ़ायदा हो और मुझे भी । मोहन उसकी बात को समझ न सका और उसके चेहरे की तरफ ताकने लगा। चेहरे से तो समझदार और सुलझी हुई लगती है, पर शरीर की संरचना से पता नहीं चलता कि इसकी क्या उम्र होगी, कोई कम उम्र की नहीं है, मगर बड़ी भी नहीं लगती। मोहन उसे देखते हुए बोला, "आप कहना क्या चाहती हैं"?