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बेवजह... - Novels
by Harshad Molishree
in
Hindi Women Focused
बेवजह....भाग १....राजस्थान की जलाने देने वाली गर्मी मैं... एक लड़का जो महज १४ - १५ साल का होगा, सुनसान रास्ते पर लडखडाते हुए चल रहा है, पिघलादेने वाली गर्मी... सामने सब कुछ धुन्दला सा दिख रहा था उसके... लडखडाते हुए कदम मानो रास्ते से कोई जंग लड़ रहे थे... धीरे धीरे आगे बढ़ता हुआ वो लड़का आखिर थक हार कर गिर पड़ा मगर उसका हौसला ना गिर पाया... पानी पानी कहते हुए पानी की प्यास से जूझते हुवे रेंगते रेंगते वो आगे सरकने लगा और बस कुछ ही देर मैं बेहोस होगया....
बेवजह....भाग १....राजस्थान की जलाने देने वाली गर्मी मैं... एक लड़का जो महज १४ - १५ साल का होगा, सुनसान रास्ते पर लडखडाते हुए चल रहा है, पिघलादेने वाली गर्मी... सामने सब कुछ धुन्दला सा दिख रहा था उसके... लडखडाते ...Read Moreकदम मानो रास्ते से कोई जंग लड़ रहे थे... धीरे धीरे आगे बढ़ता हुआ वो लड़का आखिर थक हार कर गिर पड़ा मगर उसका हौसला ना गिर पाया... पानी पानी कहते हुए पानी की प्यास से जूझते हुवे रेंगते रेंगते वो आगे सरकने लगा और बस कुछ ही देर मैं बेहोस होगया....
बेवजह...भाग २...इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है, इस कहानी का किसी भी जीवित या मृद व्यक्ति से की संबंध नही ...Read Moreयह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है जो कि जाति वाद, स्त्री भ्रूण हत्या, बलात्कार, जबरन और अवेद कब्ज़ा, आत्महत्या आधी के खिलाफ निंदा करते हुए यह कथा प्रदान की गई है.....अब तक....आपने इसके पहले भाग मैं अब तक देखा कि, कैसे कियान अपने अंदर कई रहस्यमयी बातें छुपाये... जीविका की मां को अधमरी हालत मै मिलता है... उनके
बेवजह... भाग ३इस कहानी का हेतु किसी भी भाषा, प्रजाति या प्रान्त को ठेस पोहचने के लिए नही है... यह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है, इस कहानी का किसी भी जीवित या मृद व्यक्ति से की संबंध ...Read Moreहै, यह पूरी तरह से एक कालपनित कथा है जो कि जाति वाद, स्त्री भ्रूण हत्या, बलात्कार, जबरन और अवेद कब्ज़ा, आत्महत्या आधी के खिलाफ निंदा करते हुए यह कथा प्रदान की गई है.....अब तक...अब तक आपने इसके दूसरे भाग मै यह देखा कि कियान कैसे जीविका की और आकर्षित होता है, जीविका और उसकी मां अपने आप मे ही बहोत
अब तक....देखते ही देखते नौ महीने बीत गए... सरला को बहोत तेज़ दर्द होरहा था, किसीभी वक़्त प्रसर्ग हो सकता था, सभी लोग बहोत उकसूक्त थे... सरला को बार बार विक्रम से हुई वह बातें याद आ रही थी, ...Read Moreशहर गया था, यह बहोत ही सोचा समझा नुस्खा था, विक्रम की माने कुछ दिनों के लिए विक्रम को शहर भेज दिया ताकि प्रसर्ग के वक़्त वह यहां मौजूद ना हो और जो लड़की पैदा हो तो उससे आसानी से रास्ते से हटाया जाए....अब आगे....इंतज़ार खत्म हुआ, दाईमां कमरे से बाहर आई... और उन्होंने धीमे शब्दों मै उदासी भरे स्वर
अब तक...ठक ठक की आवाज़ स सरला जाग गयी, सरला समझ गयी कि दरवाज़े पर ठाकुर होगा... मारे घबराहट के सरला पसीने मैं लटपट होचुकीथी, सरला वही घबराहट के मारी बैठी रही, सरला की हिम्मत ही नही हो रही ...Read Moreकी दरवाजे को खोल सके...ठाकुर के आदमियों ने दरवाजा तोड़ दिया... सरला वही सामने बैठी हुई थी, ठाकुर दरवाजा टूटते ही अंदर आया और सरला के करीब आकर उसने कहा...किधर है थारी छोरी..."सरला ने उसपर हँसकर जवाब दिया... दूर इस पाप की नगरी से बहोत दूर चली गई वो"..."यह सुनते ही ठाकुर ने सरला को कसके तमाचा मारा और सरला