Adhuri Milakaat book and story is written by Sonali Rawat in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Adhuri Milakaat is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अधूरी मुलाकात... - Novels
by Sonali Rawat
in
Hindi Love Stories
कुछ मुलाकातों की भी अपनी ही एक अलग किस्मत होती है जो एक तय मुकाम पर ही आकर रुकती है ।
ऐसी मुलाकातें जाने कब, कहां और कैसे हो जाएं, ये न तो हम जानते है और न ही वो जो इससे होकर गुजरते है पर हां एक बात तो हमेशा तय रहती है कि इन्हे चाहकर भी भुलाया नही जा सकता और कोई चाहे जितना अपने जेहन से झगड़ ले पर दिल तो इन्ही मुलाकातों के पन्नों को बार-बार पलटता रहता है, भला जिद्दी जो ठहरा । ऐसी ही एक मुलाकात से आज राजीव भी गुजरने वाला था जो कॉफी शॉप पर बैठा, गर्मागर्म कॉफी की चुस्कियों के साथ अपने नोवॅल के अंतिम चैप्टर पर उलझा पड़ा था । बार-बार शब्दों से उलझते हुए उसकी अंगुलियां लेपटॉप के डिलीट बटन पर आकर रुक जाती और फिर न चाहते हुए भी स्क्रीन पर उभरे शब्द एक-एक करके गुमनामी की दुनिया में विलीन हो जाते । सांसो में घुलती कॉफी की सुगंध, रह-रहकर उसके दिलोदिमाग को मुग्ध कर जाती । आस-पास बैठे लोगो की गुफ्तगू से अनजान, वो अपने ही मन की गलियों में अपनी कहानी के किरदारों के साथ खोया हुआ सा था । कुछ सूझता तो झट से उसकी अंगुलियां लेपटॉप पर चल पड़ती पर वही अगले ही पल अपने ख़यालों से झगड़कर वो फिर उलझ जाता ।
कुछ मुलाकातों की भी अपनी ही एक अलग किस्मत होती है जो एक तय मुकाम पर ही आकर रुकती है ।ऐसी मुलाकातें जाने कब, कहां और कैसे हो जाएं, ये न तो हम जानते है और न ही वो ...Read Moreइससे होकर गुजरते है पर हां एक बात तो हमेशा तय रहती है कि इन्हे चाहकर भी भुलाया नही जा सकता और कोई चाहे जितना अपने जेहन से झगड़ ले पर दिल तो इन्ही मुलाकातों के पन्नों को बार-बार पलटता रहता है, भला जिद्दी जो ठहरा । ऐसी ही एक मुलाकात से आज राजीव भी गुजरने वाला था जो कॉफी
कॉफी के कप में उठते धुएं को फूंक मारकर उड़ाती हुई अर्चना रह-रहकर कप को होंठो तक ले आती और फिर बारिश की बूंदो में सुकून ढूंढने का असफल प्रयास करती । अब क्या लिखता वो, लफ्ज़ तो कुछ ...Read Moreपहले ही उसका साथ छोड़ चले थे अब तो बस लेपटॉप के भटकते कर्सर को वो सिर्फ ताक ही सकता था कि अचानक अनचाहे कदमों के आगमन से राजीव चौंक उठा । नजरें उठाकर देखा तो उसने वेटर को पाया जो उससे आगे के ऑर्डर की फरमाइश करता दिखा । राजीव ने न चाहते हुए भी एक कॉफी मंगवा ली
राजीव ने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखकर, जवाब का इंतजार किया और अर्चना अपने दिमाग पर जोर देते हुए कुछ भुले-बिसरे शब्द अपने होंठो पर जुटा ही रही थी कि राजीव बोल पड़ा,” बारिश की हर एक बूंद का ...Read Moreचखना है, मुझको । कुछ यूं भीगना है आज मुझे कि…”तभी अर्चना ने आखिरी वाक्य को खत्म करते हुए कहा, ” अपने तन से घुलकर, रुह मे मिल जाऊं कही, ” ।राजीव का चेहरा दमक उठा पर वही अर्चना शायद अपने बीते कल में ही कही ठहर गई कि उसकी नजरें गुमराह हो चली । ”हैरानी होती है मुझे, कि
राजीव उसकी बात पर सिर हिलाकर सिर्फ मुस्कुरा पाया और बदले में अर्चना भी मुस्कुरा उठी । कुछ ही पलों बाद वो उसकी नजरों से दूर होती चली गई और राजीव बिना पलकें झपकाए, शीशे की आड़ में उसे ...Read Moreतक देखता रहा जब तक की वो उसकी आंखो से ओझल नहीं हो गई । न जाने क्यो मन ये ख्याल पाल बैठा था कि शायद वो उसी दरवाजे से वापस चली आए, जहां से वो खो गई थी, बस इसी इंतजार में राजीव यूं ही टेबल पर कुछ पल बैठा रहा । पर वो वापस नही लौटी । वो