Budhape se Jawani ki Aur - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) - 1

बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना)

आर० के० लाल

 

“अरे अंकल! चल रहे हैं “? राहुल ने पूछा।

कहां चलना है, पूछने पर राहुल ने उत्तर दिया, “आपको पता नहीं है, दो दिन पहले राकेश अंकल गिर पड़े थे जिससे उनके कमर की हड्डी टूट गई थी, अस्पताल में भर्ती थे। अभी एक घंटे पहले घर आ गए हैं। डॉक्टर ने तीन महीने तक बेड रेस्ट बताया है”।

अंकल ने कहा, भाई हमें तो पता ही नहीं। चलो चलते हैं उन्हें देखते हैं।

दोनों जब उनके घर पहुंचे तो देखा कि राकेश जी बिस्तर पर सीधे पड़े थे और उनके पैर से एक ईट लटका कर तनाव दिया गया था। उनकी पत्नी पास ही बैठी थीं। बोली, “देखा भाई साहब! इस उम्र में इनको जवानी सूझ रही थी, कल रात एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में गए थे। केक कटने के बाद कुछ पुरुष और महिलाएं डांस करने लगीं। पहले भी शादी ब्याह में अक्सर इनको गाने और डांस का शौक चढ़ता था। इन्होंने अपनी पसंद का गाना बजवाया, दिल लेने वालों दिल देना सीखो, फिर कहा कि बजाओ ये लड़की जरा सी दीवानी लगती है । ऐसी धुन सुनकर चार-पांच बुजुर्गों को लेकर ये भी फ्लोर पर उतर गए और देवानंद की तरह थिरकने की भोदी एक्टिंग करने लगे। अचानक इनका पैर फिसला और धड़ाम से स्टेज पर ही गिर गए। बहुत उठने की कोशिश की लेकिन इनसे उठा नहीं गया। लोग उठा कर अस्पताल ले गए । डॉक्टर ने बताया कि इनके कमर की हड्डी टूट गई है। 75 साल के हो रहे हैं और इन पर जवानी सवार हो रही है। उनकी पत्नी बड़बड़ा रही थी। कह रही थी कि मेरे तो कर्म ही फूटे हैं खुद बीमार रहती हूं अब इनकी भी तीमारदारी करनी पड़ रही है।”

अंकल से कुछ कहते नहीं बन पड़ रहा था इसलिए वे राकेश की ओर देखने लगे।

राकेश ने कहा, “भैया! ऐसी खा जाने वाली नजरों से क्यों घूम रहे हो? अब मुझसे गलती हो ही गई है उसी की तो सजा तो मैं भुगत रहा हूं”।

फिर एक लंबी सी गाली देते हुए अपनी भड़ास निकाली कि यह सब आधुनिक सोच का नतीजा है। आजकल सोशल मीडिया भी बुजुर्गों को चैन से जीने नहीं दे रही है। रोज तरह-तरह के वीडियो और व्हाट्सएप पर मैसेज आते रहते हैं कि अपने को बूढ़ा और मजबूर मत समझो। अभी भी दिल आपका जवान है इसलिए अपने सोचने समझने का नजरिया बदलो और मस्ती में रहना सीखो। यह भी बताते हैं कि आजकल कैसे युवा बच्चे अपने बुजुर्ग पैरेंट्स को इग्नोर कर रहे हैं। इस प्रकार अक्सर वे हमारी दुखती रगों को कुदेरते रहते हैं । लिखते हैं कि अगर सुखी रहना है तो घर में सब की सुनो मगर कुछ बोलो नहीं । यह सब बार-बार देखने पर हमें लगने लगता है कि हमारे परिवार वाले हमसे विरक्त हो चुके हैं और हम वास्तव में दुखी हो गए हैं।

दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर अनेकों वीडियो ऐसे दिखाए जाते हैं जिसमें 60 से 80 वर्ष की नर नारी नाइट क्लब अथवा घरेलू फंक्शन में एक साथ रॉक एंड रोल कर रहे होते हैं। यह सब देखकर किसका मन नहीं होगा कि वह भी मस्ती में झूमे। मन होता है कि जो काम जवानी में नहीं किया वह अब कर लें। लोग तो इतना मॉडर्न होते जा रहे हैं कि बहु बेटियों के साथ भी अपनी अदाएं दिखाने में शायद गौरवान्वित महसूस करते हैं।

इन्हीं सबके चक्कर में आकर कल मैं अपने दोस्त के यहां डांस कर रहा था। न जाने क्या हुआ एकाएक मैं गिर पड़ा और सारी हेकड़ी आपके सामने है।

फिर राकेश बोले, “एक बार ठीक हो जाऊं तो मैं मीडिया वालों को दिखाता हूं कि वह कैसे हमारा दिमाग खराब करते हैं”।

यह सब सुनकर राहुल अंकल के साथ धीरे से वहां से खिसक गया। उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा था कि लोग बुढ़ापे में जवान क्यों बनना चाहते हैं।