Mahavir Lachit Badfalun book and story is written by Mohan Dhama in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mahavir Lachit Badfalun is also popular in Biography in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
महावीर लचित बड़फूकन - Novels
by Mohan Dhama
in
Hindi Biography
अपने महापुरुषों का स्मरण भारत में एक श्रेष्ठ परम्परा रही है। कथा-कहानियों से लगाकर पुस्तकों तक उनके कर्तृत्व और आदर्श जीवन का सजीव चित्रण किया गया है। यदा-कदा पर्वों के माध्यम से भी हमने उनका स्मरण करना अपना पुनीत कर्तव्य समझा है। रामनवमी में भगवान राम का, जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का, शिवरात्रि को भगवान शिव का, नवरात्रों में भगवती दुर्गा माँ का स्मरण, वसन्तोत्सव में वाणी की अधिष्ठात्री सरस्वती की वन्दना, हिन्दू साम्राज्य दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि का स्मरण हमारे लिए शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कृत्य रहे हैं।
इसी क्रम में हमने महापुरुषों, वैज्ञानिकों, ऋषि मुनियों, साधु संतों, समाज सुधारकों, विभिन्न क्षेत्रों में कीर्ति प्राप्त व्यक्तियों व क्रान्तिकारियों का भी स्मरण किया है। इस पुस्तक के माध्यम से हम प्रस्तुत कर रहे हैं असम के अहोम साम्राज्य के सेनापति लचित बड़फूकन का जीवन वृत्त, जो अपने अद्भ्य साहस, कुशल नेतृत्त्व, पराक्रम व देशप्रेम के कारण इतिहास में अमर स्तम्भ बन गये हैं। मुगल आक्रांताओं से कड़ा संघर्ष करते हुये उन्होंने शत्रु प्रत्येक दुस्साहस को विफल कर दिया। मुगलों के विरुद्ध उनकी रणनीति व सैन्य कौशल अद्भुत था।
जब तक इस देश में स्वतंत्रता के प्रति प्रेम का इतिहास लिखा व स्मरण किया जायेगा, लचित बड़फूकन जैसे वीर बहादुर योद्धा सभी के हृदय में सदा अमर रहेंगे।
अपने महापुरुषों का स्मरण भारत में एक श्रेष्ठ परम्परा रही है। कथा-कहानियों से लगाकर पुस्तकों तक उनके कर्तृत्व और आदर्श जीवन का सजीव चित्रण किया गया है। यदा-कदा पर्वों के माध्यम से भी हमने उनका स्मरण करना अपना पुनीत ...Read Moreसमझा है। रामनवमी में भगवान राम का, जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का, शिवरात्रि को भगवान शिव का, नवरात्रों में भगवती दुर्गा माँ का स्मरण, वसन्तोत्सव में वाणी की अधिष्ठात्री सरस्वती की वन्दना, हिन्दू साम्राज्य दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज इत्यादि का स्मरण हमारे लिए शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कृत्य रहे हैं। इसी क्रम में हमने महापुरुषों, वैज्ञानिकों, ऋषि मुनियों, साधु संतों,
भारत एक ऐसी पावन एवं पुनीत भूमि है जो प्राचीन काल से महापुरूषों की जननी रही है। यहाँ पर अनेक साधु-संत, ऋषि मुनि, साधक, वीर सम्राट, समाज सुधारक व राष्ट्रभक्ति एवं देश प्रेम से ओतप्रोत महापुरुष अवतरित हुये जिन्होंने ...Read Moreजप-तप, संस्कारों, शौर्य व अदम्य साहस से प्रेरित आदर्श कृत्यों, विचारों द्वारा मानव समाज का मार्गदर्शन किया। ऐसे ही एक वीर पुरूष थे - लचित बड़फूकन।लचित बड़फूकन के जन्म के पीछे एक विचित्र कथा है।सर्दी की सुबह हो चुकी थी। सूर्य की किरणें धरती पर अपनी छटा बिखेरने वाली थीं। मोमई तामुली बरबरुआ दिनचर्यानुसार शाही बगीचों की देखरेख कर रहा
हमारे देश की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही कि कई शताब्दियों तक इस देश पर मुसलमान शासक आक्रमण करते हुए इस देश की अस्मिता, वैभव व संस्कृति पर प्रहार करते रहे। कालान्तर में आपसी फूट के कारण हिन्दू राजा ...Read Moreहोकर मुगलों का प्रतिरोध नहीं कर सके व परिणामस्वरूप मुगल भारत पर शासन करने में सफल रहे। इसके बावजूद भी देश के कुछ भागों ने मुस्लिम शासकों की सत्ता को स्वीकार नहीं किया। मुगलों ने कई बार चढ़ाई की, परन्तु वे असम को नहीं जीत सके। बख्त्यार खिलजी अपनी विशाल सेना के साथ दिल्ली से रवाना हुआ और उसने अपनी
औरंगजेब जब मुगल साम्राज्य की गद्दी पर बैठा, तो उसने अपने सेनापति मीर जुमला को विशाल सेना के साथ असम पर आक्रमण करने के लिए भेजा। मीर जुमला वहाँ के सेनापति को घूस देकर सीधे असम की राजधानी गड़गाँव ...Read Moreगया। 1662 में मीर जुमला ने असम को जीत लिया, पर वह वहाँ अधिक समय नहीं रुका क्योंकि असम की जलवायु उसकी सेना के लिए उपयुक्त नहीं थी । मुगल वहाँ की मूसलाधार वर्षा एवं मच्छरों के अभ्यस्त नहीं थे । 1663 में पश्चिमी असम के अहोम राजाओं एवं मुगलों के मध्य हुई संधि के अनुसार युद्ध की क्षतिपूर्ति कर
राजदूत ने दिल्ली लौट कर सारी बातें औरंगजेब को बता दीं। वह क्रोधाग्नि से जल उठा। उसने निश्चय किया कि वह घमंडी असमियों को सबक सिखायेगा । औरंगजेब बहुत धूर्त व कपटी राजा था। उस समय शिवाजी आगरा से ...Read Moreमें सफल हो गये थे। औरंगजेब को राम सिंह पर संदेह था कि उसने शिवाजी को भाग जाने में मदद की है। फिर भी उसने राम सिंह को बुलाया और उसे असम पर आक्रमण का संचालन व नेतृत्व सौंप दिया। असम में जाना ही एक भयभीत करने वाली बात थी। असम काले जादू का गढ़ माना जाता था। वहाँ का