Par-Kati Paakhi book and story is written by Anand Vishvas in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Par-Kati Paakhi is also popular in Children Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पर-कटी पाखी - Novels
by Anand Vishvas
in
Hindi Children Stories
बालक के माता और पिता, दो पंख ही तो होते हैं उसके, जिनकी सहायता से बालक अपनी बुलन्दियों की ऊँचे से ऊँची उड़ान भर पाता है। एक बुलन्द हौसला होतें हैं, अदम्य-शक्ति होते हैं और होते हैं एक आत्म-विश्वास, उसके लिये, उसके माता और पिता।
आकाश को अपनी मुट्ठी में बन्द कर लेने की क्षमता होती है उसमें। ऊर्जा और शक्ति के स्रोत, सूरज को भी, गाल में कैद कर लेने की क्षमताहोती है बाल-हनुमान में। अदम्य शक्ति और ऊर्जा के स्रोत सूरज और चन्दा तो मात्र खिलौने ही होते हैं बाल-कृष्ण और बाल-हनुमान के लिये।
क्योंकि ऊर्जा और शक्ति का अविरल स्रोत होता है उसके साथ, उसके पास, उसके माता और पिता।
शिव और शक्ति के इर्द-गिर्द ही तो परिक्रमा करते रहते हैं बाल-गणेश और उनकी कृपा मात्र से ही तीनों लोकों में वन्दनीय हो जाते हैं, पूजनीय हो जाते हैं और प्रथम-वन्दन के योग्य हो जाते हैं बाल-गणेश।
इस उपन्यास में पाखी हर घटना का मुख्य पात्र है। उपन्यास की हर घटना पाखी के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। पाखी के पिता सीबीआई अफसर भास्कर भट्ट जी की भ्रष्टाचारी और असमाजिक तत्वों के द्वारा हत्या करा दी जाती है। पाखी किस प्रकार से समाज और कानून की व्यवस्था से लड़ कर उन्हें दण्डित कराती है, अत्यन्त रोचक घटना बन पड़ी है।
प्रस्तावना बालक के माता और पिता, दो पंख ही तो होते हैं उसके, जिनकी सहायता से बालक अपनी बुलन्दियों की ऊँचे से ऊँची उड़ान भर पाता है। एक बुलन्द हौसला होतें हैं, अदम्य-शक्ति होते हैं और होते हैं एक ...Read Moreउसके लिये, उसके माता और पिता। आकाश को अपनी मुट्ठी में बन्द कर लेने की क्षमता होती है उसमें। ऊर्जा और शक्ति के स्रोत, सूरज को भी, गाल में कैद कर लेने की क्षमताहोती है बाल-हनुमान में। अदम्य शक्ति और ऊर्जा के स्रोत सूरज और चन्दा तो मात्र खिलौने ही होते हैं बाल-कृष्ण और बाल-हनुमान के लिये। क्योंकि ऊर्जा और
1.पर-कटी पाखी. कल से ही तो चालू होने वाले हैं पाखी के प्रिलिम ऐग्ज़ामस्। पढ़ते-पढ़ते मन बदलने के लिये वह टैरस पर आ गई। ऊपर आकाश पतंगों से अटा पड़ा था और नीचे टैरस लोगों से। ऐसी कोई भी ...Read Moreन थी जिस पर कि दस-बीस लोगों का जमावड़ा न हो। उत्तरायण का पर्व जो था, अपने चरम पर। और उसके अड़ौस-पड़ौस के सभी लोग अपनी-अपनी पतंगों को ऊँचे से ऊँचा उड़ाने में और दूसरों की पतंगों को काटने में प्रयत्न-शील थे। सभी ओर से बस एक ही तो आवाज़ आ रही थी और वो थी, वो काटा..., वो काटा...
2. अपना ही प्रतिविम्ब. अपना ही प्रतिविम्ब तो दिखाई दे रहा था पाखी को, इस बेचारी, बेवश, विवश और घायल *पर-कटी चिड़िया* में। हाँ, अपना ही प्रतिविम्ब। कुछ इसी तरह से तो, पाखी का भी एक पर कट गया ...Read Moreअभी, कुछ दिन पहले ही। जब पाखी के पापा का रोड-ऐक्सीडेन्ट हो गया था। और रोड-ऐक्सीडेन्ट ही क्यों, अगर इस घटना को फुटपाथ-ऐक्सीडेन्ट कहा जाय तो ज्यादा उचित होगा। फुटपाथ पर ही तो चल रहे थे पाखी के पापा। रोज़ की तरह ही तो गये थे वे अपने मित्र डॉक्टर गौरांग पटेल के साथ, सुबह-सुबह मॉर्निंग-वॉक पर। और तभी किसी
3. सुरक्षा-कवच. अपनी *पर-कटी चिड़िया* की सुरक्षा और सुरक्षित स्थान को लेकर पाखी बहुतचिन्तित थी। वह एक ऐसे स्थान की तलाश में थी जहाँ उसकी *पर-कटी* को सम्पूर्ण-सुरक्षा मिल सके और उसकी उचित देखभाल भी हो सके। और जब ...Read Moreमन में सम्पूर्ण-सुरक्षा और सुरक्षा-कवच का ख्याल आया तो उसे पक्षियों के पिंजरे से अधिक सुरक्षित और दूसरा कोई भी स्थान नज़र नहीं आया। जिसमें बन्द होने के बाद, पक्षीस्वयं में पूर्ण रूप से सुरक्षित हो जाता है और फिर उसे किसी भी सुरक्षित स्थान पर रखा जा सकता है। वहाँ पर उसके लिये दाना-पानी आदि की व्यवस्था भी की
4. नया ठिकाना. -आनन्द विश्वास आज स्कूल में भी सारे दिन उदास ही रही पाखी। शायद उसे अपनी कम और अपनी *पर-कटी* की चिन्ता कुछ ज्यादा ही सता रही थी। उसे रह-रह कर यही ख्याल आ रहा था कि ...Read Moreकिस प्रकार से, और कैसे कर सकेगी अपनी *पर-कटी चिड़िया* की उचित सुरक्षा-व्यवस्था। उसने अपने प्रिलिम-ऐग्ज़ामस् तो दिये, पर बे-मन और बिना पढ़े ही। रात भर तो बीता था उसका जागते ही जागते अस्पताल में अपनी *पर-कटी चिड़िया* की देख-भाल में और रिसेस में भी उसका नाश्ता करने का मन ही नहीं हुआ। भूख न लगने का कारण भी समझा