भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया

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रात का अँधेरा फैल गया. जंगल में रात के कीड़े किर, किरर्ट एक विशिष्ट आवाज के साथ मृत्यु गीत गाते हैं। चमकीली पीली रोशनी साँप की पीली आँखों जैसी थी। कोंकण के जंगल में आज घना कोहरा फैला हुआ था, इसके साथ ही वातावरण में पसरा सन्नाटा इस माहौल के रहस्य को और भी बढ़ा रहा था। जैसे ही चंद्रमा की छाया पेड़ों पर पड़ेगी, शाखाएं उस छाया में विकराल रूप धारण कर लेंगी। दूर कहीं से, एक आदमी की आकृति चांदनी में जंगल में दौड़ती हुई आई। उस आदमी की लंबी दाढ़ी और बड़ी भौहें थीं। नीचे काला सदरा और सफेद धोती पहने हुए हैं। उसके हाथ में एक तेज़ धार वाली कुल्हाड़ी थी जो ताज़े खून से लाल हो गयी थी। उस अजीब इस्मा को देखकर लगा कि जरूर वह कोई चोर होगा, डाकू होगा, उसने चोरी की नियत से कुछ गलत काम किया होगा। क्योंकि उस इस्मा के चेहरे पर भयानक डरावने भाव थे. चांद की रोशनी में वह इसाम जस थोड़ा आगे चला गया, इसके साथ ही 8-9 जलती हुई मशालें लेकर 10-12 लोग अंधेरे में रास्ता बनाते हुए जंगल में घुस गए. "ग्रामीण जंगली हो जाते हैं, जंगल में जंगली हो जाते हैं..? यह गंग्या है डाकू यहीं कहीं दबाब लिये बैठा होगा! मत छोड़ो इतना ही?!.."

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 1

एपिसोड १ ताविज रात का अँधेरा फैल गया. जंगल में रात के कीड़े किर, किरर्ट एक विशिष्ट आवाज के मृत्यु गीत गाते हैं। चमकीली पीली रोशनी साँप की पीली आँखों जैसी थी। कोंकण के जंगल में आज घना कोहरा फैला हुआ था, इसके साथ ही वातावरण में पसरा सन्नाटा इस माहौल के रहस्य को और भी बढ़ा रहा था। जैसे ही चंद्रमा की छाया पेड़ों पर पड़ेगी, शाखाएं उस छाया में विकराल रूप धारण कर लेंगी। दूर कहीं से, एक आदमी की आकृति चांदनी में जंगल में दौड़ती हुई आई। उस आदमी की लंबी दाढ़ी और बड़ी भौहें थीं। ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 2

एपिसोड २ ताविजअंततः कुआँ बंद कर दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार, गंगा खवीस कुएं से निकलने वाले लोगों की ले लेती है, इसलिए कुएं की दीवार पर एक बड़ा गोल लकड़ी का दरवाजा लगाया गया और दरवाजे पर प्रतिबंध लगाया गया, जो अघोरी विद्या जानने वाले एक बाबा से प्रेरित था। जिससे गंगा की लाश बिल में ही फंस गयी यानी कुएं में फंस गयी. आमंत्रित तालियों से पूरे गाँव को लाभ हुआ। गंगाचा खवीस की योनि में प्रवेश करने वाले भूत को उसके बाद कभी किसी ने नहीं देखा, न ही कोई असाधारण गतिविधि हुई। महीने और साल ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 3

एपिसोड ३ तावीज एक बज चुका है. मात्र 1 घंटे की पैदल यात्रा के बाद वे अपने-अपने घर पहुंचने थे। "भाईलोक! अब कुछ मत कहो..! जोर से चलो..!" कृष्ण ने कहा. लेकिन राघव को अपने वाक्य का मतलब नहीं पता कि वह ऐसा क्यों कह रहा है। "क्या बात है किशन! क्या हुआ..? तुम ऐसे क्यों बात कर रहे हो..?" राघव ने बिना रुके पूछा। जयदीप ने उनकी बात का समर्थन किया. "अरे राघव! अभी 10 मिनट में कुआँ चाहिए होगा..! गंगा खविस के कुएँ की तरह जोर-जोर से चल रहा है..!" "वह गिरोह का डाकू क्यों है? मैंने ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 4

एपिसोड ४ तावीज अंत डर से कांप रहे तीनों की आकृति को देखते हुए गंग्याखविस ने कर्कश आवाज में और उसी क्षण उसने अपनी तेज धार वाली कुल्हाड़ी, जो राघव की ओर थी, के साथ कुएं के किनारे से हवा में एक अमानवीय छलांग लगाई। किसी भी क्षण झटका लग सकता था. तलवार की धार खून से लथपथ होने वाली थी. अंततः मनहूस घड़ी आ पहुँची कि कौन जीतेगा, गंग्या ने अपने चेहरे पर भयंकर राक्षसी मुस्कान के साथ कुल्हाड़ी को हवा की गति से राघव के सिर की दिशा में लाया। यह राघव के मुख से ही महाशक्तिशाली ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 5

एपिसोड ५ काळा जादू मित्रो, जिस प्रकार सत्य के सतयुग का अंत हुआ, उसी प्रकार कर्मकांडी, षडयंत्रकारी, पाखंडी-नीच, कामी, कलियुग का आरंभ हुआ...कलियुग के प्रारंभ होते ही सत्ययुग का देवपुरुष कलियुग में राक्षस जैसा व्यवहार करने लगा। राक्षसों का राह चलती लड़कियों को छेड़ना, राक्षसों का अपने बुजुर्ग माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजना, राक्षसों का दूसरों की शीघ्र सफलता से जलना....कई ऐसे लोग जिन पर कलि की आदतों का असर नहीं होता, वे राक्षसों जैसा व्यवहार करने लगते हैं कलियुग. आज इस समय मैं कलयुग के उन लोगों में से एक की कहानी बताने जा रहा हूं जो कलियुग की ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 6

एपिसोड ६ काळा जादू एपिसोड ६ काळा जादू दोस्तों हर इंसान में एक अलग शक्ति होती है... अगर कोई है हमारे पीछे और हमें घूर रहा है, तो उस क्षण हमारे मस्तिष्क को ऐसा लगता है। हमारा आदमी उस सिग्नल पर चारों ओर देखता है, सेम-हुबे-हब। इसी तरह, नीताबाई को पता चलता है कि कोई उसे देख रहा है। वह अपनी आँखें दो बार झपकती है , नीचे, बाएँ और दाएँ देखती है... और सीधे खिड़की से बाहर देखती है। दूर काली साड़ी पहने एक महिला दिखाई दी, जिसका चेहरा धूप में सफ़ेद चमक रहा था। उसके बाल बिखरे ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 7

एपिसोड ७ काळा जादू एपिसोड ७ काळा जादू "देखो...विलास! ..क्या तुम नहीं जानते...? कि मैं वास्तुकला में विश्वास रखने व्यक्ति हूं...! और क्या...इसके लिए इंतजार करो...! मैं...अगर तुम मुझे इस बारे में पहले ही बता दिया होता... नहीं तो मैं तुम्हारे लिए यहीं घर बना देता...!" रामचन्द्र राव ने कहा. "अरे बाप रे..." विलासराव ने उतना ही कहा होगा जितना रामचन्द्रराव ने उनके अगले वाक्य को काटते हुए कहा था।"तुम मेरे साथ चलना चाहते हो...तुम थे...दोस्त..." रामचन्द्र राव ने थोड़ा कहा दुखी होकर बोला, "अरे यार... आज.. ना... कल.. हमारा भी टाइम फिक्स है..., उसमें गलत क्या है...!" विलासराव ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 8

Qएपिसोड 8 काळा जादू "नंगा...! आसमान कब इतना भर गया...!" नीताबाई ने रसोई की खिड़की से बाहर देखते हुए इस समय सूर्य का प्रकाश, जो पहले दिखाई दे रहा था, काले बादलों द्वारा अवरुद्ध था। वातावरण में गर्मी ख़त्म हो गई थी और उसकी जगह अनैच्छिक ठंड ने ले ली थी। कुछ क्षणों में बदले हुए माहौल की प्रकृति ने मानव मन को यह अहसास करा दिया कि कुछ होने वाला है।मानवीय समझ से परे का दृश्य था। कभी-कभी उन काले बादलों से भारी वर्षा होने लगती थी। इसके साथ ही मन को चकरा देने वाली बिजली एक के ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 9

एपिसोड ९ काळा जादू "हाँ..! हाँ...! माँ, रुको...मैं यहाँ हूँ...!" इतना कहकर नीताबाई रसोई से बाहर आ गईं। 15-16 चलने के बाद उन्हें बाहर जाने के लिए दरवाजा दिखाई दिया। उसके बाद नीताबाई अपनी आंखों से खुशी के आंसू पोंछते हुए दरवाजे तक पहुंची और एक हाथ से कुंडी खोलने लगी। बता रही थी कि जन्मे बच्चे की जान खतरे में है।नीताबाई पूरी ताकत से दरवाजे का हैंडल खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन दरवाजे का हैंडल नहीं खुल रहा था। उस कादी की केवल और केवल एक विशेष प्रकार की ध्वनि थी। उसी पीछे से फिर एक ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 10

एपिसोड १० काळा जादू विलासराव ने एक बार फिर इधर-उधर देखा, काले साँप जैसा अँधेरा और बुलबुल की चहचहाहट अलावा बाहर कुछ भी नहीं था। विलासराव ने दोनों हाथों से खिड़की की एक झपकी लेकर खिड़की बंद कर दी। उसने आह भरी और फिर से अपने कमरे की ओर चलने लगा, जब वह रसोई के दरवाजे पर पहुंचा, तो उसे फिर से खिड़की खुलने की आवाज सुनाई दी। एक पल के लिए वह अपनी जगह पर ठिठक गया। धीरे से वह पीछे मुड़ा और एक खुली खिड़की देखी। तभी विलासराव एक बार फिर खिड़की के पास पहुँचे और बाहर ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 11

एपिसोड ११ काळा जादूविलासराव के साथ घटी अंधेरी रात की वह भयानक घटना उनकी आँखों से हटने को तैयार थी, आँखों की पलकें थोड़ी झुक गईं जैसे ही उस भयानक महिला का चेहरा उनकी आँखों के सामने आया और स्मृति टेप शुरू हो गया , उस अघोरी औरत की धमकियाँ, और भयानक चिढ़ाने वाली हँसी अभी भी विलासराव के कानों में सुनी जा सकती थी।, जिसे दौरा पड़ रहा था। "मतलब नीता सच कह रही थी अब तक, उसने उन सभी घटनाओं का अनुभव किया है...!... हे भगवान, मुझे इस संकट का समय रहते कोई समाधान निकालना होगा अन्यथा.... ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 12

एपिसोड १२ काळा जादू "विलासराव...! आपके घर का निरीक्षण करते के दौरान मुझे एक बात समझी.. कि... आपके घर लेआउट पूरी तरह से गलत .. है..! अब इसका एक बिंदु देखते हैं। .! रसोई की खिड़की ही कब्रिस्तान की ओर है...: वास्तु शास्त्र के अनुसार यह गलत है...! और तो और मुझे आपके घर में बहुत ही बुरी शक्ति की लहरें महसूस हुई है.. ऐसा लगता है जैसे कुछ है तुम्हारे घर में क्या हो रहा है.. कोई राज़ है..!” जगदीश राव ने उन दोनों को बारी-बारी से तो कभी घर के आस-पास देखते हुए कहा।लेकिन...! यह क्या है...और ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 13

एपिसोड १३ काळा जादू "विलासराव..! मैंने आज तक भूत-प्रेत की बहुत सी घटनाएँ देखी हैं देखा और उसमें से को बाहर भी निकाला.. लेकिन.. "लेकिन...........!......क्या जगदीश जी....जारी रखिए....बात कर रहे हैं...!" " विलासराव ..! कुछ ..चीज़ें इंसान की जानकारी के बिना घटित होती हैं। वहाँ हैं ...! और कम से कम कहने के लिए....मैं बस इसी तरह चीज़ों को बदलता हूँ मैं तो मदद ही करता हूँ..., बाकी भूत-प्रेत तो मैं ही प्रकट कर देता हूँ नहीं कर रहा... ! परन्तु जो विपत्ति तुम पर पड़ी है वह बड़ी भयानक है और इसका समाधान और मैं भी वो कौन ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 14

एपिसोड १४ काळा जादू “विलास शांत हो जाओ…!” "मैं कैसे शांत हो सकता हूं...! क्या आप जानते हैं कि किस बारे में बात कर रहे हैं..., मेरे परिवार के लोग ऐसा व्यवहार क्यों करेंगे...? और मान लीजिए मैं विश्वास करता हूं, तो आपके पास क्या सबूत है?"इसका प्रमाण है...विलास! क्योंकि इन सभी बुरी शक्तियों ने जगदीश जी को बुलाकर बता दिया, लेकिन उस दुष्ट शक्ति ने जगदीश जी को यह नहीं बताया कि वह ईसम या वह औरत कौन है,..जगदीश जी ने बहुत कोशिश की, वह दुष्ट सत्य को शक्ति से, परन्तु उस सत्य को उस दुष्ट शक्ति से ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 15

एपिसोड १५ काळा जादू "तो... ठीक है... विलासराव...! सुनो तो..!" ये कहते हुए जगदीश जी आगे की बात करने “तुम्हारी भाभी ने जो कुछ किया है..तुम पर विद्या (जादू-टोना) किया है..! हम यह सब उन पर थोप देंगे...! जिससे ये सब यहीं रुक जाएगा....! ".!" जगदीशराव के इस वाक्य पर विलासराव कुछ देर चुप रहे तो कभी विलासराव ने कहा उसने उन दोनों की ओर देखा और आह भरते हुए इस जादू-मुक्त शिक्षा के लिए हामी भर दी "जगदीश जी, अगर मेरा परिवार इस नजर से बच जाएगा.. तो... मुझे ये मंजूर है..!" विलासराव ने विचार करने के बाद ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 16

एपिसोड १६ काळा जादू "विलासराव..डरो मत...! हमने तो इस हत्यारे की सिर्फ लाश ही स्थापित की है..इसलिए डरने की नहीं...नहीं! बस मैं जो कह रहा हूं...वो सुनो...?'' " . "विलासराव...रामचन्द्र एक काम करो...?" "कहिए जगदीश जी..!" रामचन्द्र ने कहा. "रामचंद्र क्या तुम पानी से भरा एक बर्तन ला सकते हो...?"और विलासराव...आप...? एक बड़ा गोल (ऊपर)...युक्त..एक बर्तन ले आओ.'' ...जगदीश जी ने सबको एक-एक काम देकर काम पर लगा दिया, इतना कहकर विलासराव गोल कटोरा और रामचन्द्र पानी से भरा घड़ा लाने के लिए चले गये। "ओ भाटिया...! मैं अक्खा को..यहाँ.. लाना चाहता हूँ...! हेहेहेहे" कैक्रिलक ने भयानक मुस्कान के ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 17

एपिसोड १७ काळा जादू : अंत "ए. भंचो××××नहीं , यह सब बंद करो वरना....! हीही, हीही..!" अंदर चीखना-चिल्लाना, हंसना कभी-कभी गंदे शब्दों का प्रयोग करना, उपद्रव मचाना, कभी खिड़कियों को खटखटाने और कभी बाहर से दरवाजा पटकने की आवाज अब असहनीय हो रही थी, कि यह वही है। दरवाज़ा ज़ोर से पीटने की आवाज़ आ रही थी, दरवाज़े के छोटे-छोटे लकड़ी के टुकड़े टूट रहे थे, जगदीशराव का मंत्र अभी भी चल रहा था, लेकिन विलासराव रामचन्द्र की नज़रें दरवाज़े के बाहर ही टिकी थीं।, बहुत धीरे-धीरे धुंध छंट रही थी, जा रही थी, तभी अचानक रोल प्ले हुआ ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 18

एपिसोड १८ शैतानी बगीचा १धाऊ एक गरीब आदमी था, उसकी उम्र लगभग पैंतालीस वर्ष थी। उनके परिवार में कोई था, उनकी पत्नी की कोरोना के कारण मौत हो गई थी, उनके पास जो सहारा नहीं था वो भी ख़त्म हो गया. भगवान ने ऐसा खतरनाक खेल खेला कि उसे अपनी पत्नी का अंतिम समय में चेहरा भी देखने को नहीं मिला, कोरोना के कारण पत्नी की लाश को अस्पताल स्टाफ जला रहा था. उनकी पत्नी को मरे हुए अभी एक साल ही हुआ था, धाऊ गांव में भोजन और पानी के लिए काम कर रहे थे, उनकी मृत्यु के ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 19

एपिसोड १९ शैतानी बगीचा २ ऊपर आकाश में एक सफ़ेद चाँद उग आया। लेकिन कभी-कभी बड़े-बड़े काले बादल आ थे और चंद्रमा की रोशनी को छिपा लेते थे। जैसे ही काले बादल चंद्रमा के सामने आते थे, धरती पर अंधेरा छा जाता था। खून का प्यासा अंधेरा. बुलबुलों की चहचहाहट की ध्वनि चारों ओर भूतिया घंटी की ध्वनि के समान सुनाई दे रही थी, कभी-कभी उल्लू की आवाजें सुनाई देती थीं, अँधेरे में देखने पर ऐसा लगता था मानो कोई काले कपड़े पहने हुए खड़ा हो चलना। हाथ में पीली लालटेन की रोशनी लिए धाऊ एक-एक कदम बढ़ाते हुए ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 20

एपिसोड २० शैतानी बगीचा ३ उसके स्वर में घुल मिल गया. हंसने-हंसाने, बातें करने की आवाज धाऊ के कानों पड़ रही थी और उसके शरीर पर एक कांटा खड़ा हो गया था। कुछ भी नहीं था लेकिन आवाज़ आ रही थी. प्रकृति को अमानवीय सनक का आभास होते ही वह कुछ संकेत देती है, क्या आपने कभी देखा है? कब्रिस्तान में लगी ट्यूब रोज शाम को क्यों चटकती है, अनजान राहों पर रात-रात कुत्ते क्यों भौंकते हैं? इंसान के मरने से पहले पर्यावरण क्यों बदल जाता है क्या आपने कभी सोचा है! कि ये सब अमानवीय लहरों के संकेत ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 21

एपिसोड २१ शैतानी बगीचा ४ धाउने कभी जयेश जोमटे की तीन घंटे सात मिनट तक की फिल्म द इनहुमन देखी थी, फिल्म में जो भयावह दृश्य था, जो अमानवीय तरंगें थीं, जो मन में डर पैदा हो रहा था, उस डरावने दृश्य से इंसान को डर लगने लगा था फिल्म में भूतों की डरावनी कहानी मन में घर कर जाती है, ऐसा हर बार होता है, आपमें से कुछ पाठकों के पास भी नहीं होगा! धौ की आंखें अंधेरे में हर दिशा में उस अनजान लड़की को ढूंढ रही थीं, तभी अचानक बिजली चमकने लगी और धौ ने भगवान ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 22

एपिसोड २२ शैतानी बगीचा ५इसके साथ ही धौ के शरीर को मानो एक झटका सा लगा सम्मोहन से बाहर गया होगा. "चाचा वह गुड़िया उठाओ, चाचा वह गुड़िया उठाओ!" धाऊ के कानों ने फिर लड़के की आवाज सुनी। इस समय धाऊ के हाथ और पैर उसका साथ दे रहे थे। शरीर नियंत्रण में था। "अंकल उस गुड़िया को उठाओ? इससे पहले कि वह दोबारा खड़ा होता, उस गुड़िया को उठाओ और भाग जाओ!" धौ एक बार चिल्लाया सामने देखा तो वह सचमुच अपने दोनों पैरों पर खड़ा था। "अंकल वो गुड़िया उठाओ, अंकल वो गुड़िया...!" एक के बाद एक ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 23

Ep २३शैतानी बगीचा ६ अगर मैं तुम्हें नुकसान पहुंचाना चाहता! तो मैं तुम्हें वे शैतान से क्यों बचाएंगे!" लड़के आवाज़ चार दीवारी वाले कमरे में गूँज रही थी मानो वह गेंद की चोट की तरह यहाँ से वहाँ कूदना चाहता हो। लड़के की ये बातें सुनकर आगे-पीछे बढ़ रहे कदम रुक गए । आया "तुम मेरी मदद क्यों कर रहे हो? और तुम मुझे यहाँ क्यों लाए हो? और वह शैतान मेरे पीछे क्यों आया?" धाऊ के मुँह से एक के बाद एक सवालों की झड़ी लग गई। तो वो लड़के धाऊ की तरफ बढ़े और धौ के करीब ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 24

Ep २४ शैतानी बगीचा ७ मैं आपकी मदद क्यों कर रहा हूँ? सुनना! अंकल मैं इंसान नहीं बल्कि एक हूं, एक अतृप्त आत्मा! जो मोक्ष के लिए प्रयत्नशील है. और मुझे वह मुक्ति चाहिए जो केवल आप ही दे सकते हैं! बालक के इस वाक्य पर धौ ने बालक की ओर देखा और उसके मन में विचार आया, "कि हम किसी आत्मा से संवाद कर रहे हैं।" एक बार तो कानों से सुनी बात पर उसे विश्वास ही नहीं हुआ मिथ्या हो सकता है, पर आँखों देखा दृश्य मिथ्या नहीं होगा। यही है ना "अंकल!" फिर लड़के की आवाज ...Read More

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 25

Ep २५ शैतानी बगीचा ८ आनंद आया. इसके लिए कुछ लोगों ने उस शैतान से अपनी आत्मा का सौदा कर लिया, आज देश के विभिन्न क्षेत्रों में गुप्त रूप से इल्लुमिनाती संस्था के करोड़ों-अरबों उपासक हैं। इस संगठन में बड़े-बड़े फिल्मी सितारे/सितारे भी शामिल हैं। आधी रात के आसपास घने जंगलों, गुफाओं, हिमालय, कब्रिस्तानों, समुद्र के नीचे की गुफाओं, मुर्दाघरों, बड़ी इमारतों के फ्लैटों में काले कपड़े पहने ये शैतान उपासक रात्रिकालीन पूजा शुरू करते हैं, जो आज तक वहीं है। एकता है, लेकिन एकता के बिना इस पूजा को आज तक किसी ने नहीं देखा! और जो कोई ...Read More