Pustak Samiksha book and story is written by Yashvant Kothari in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pustak Samiksha is also popular in Book Reviews in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पुस्तक समीक्षा - Novels
by Yashvant Kothari
in
Hindi Book Reviews
पागल खाना पर पाठकीय प्रतिक्रिया याने समय का एक नपुंसक विद्रोह यशवंत कोठारी राजकमल ने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है.२७१ पन्नों का ५९५रु. का उपन्यास ओन लाइन ५९५ रूपये (५३६+३०+२९)का पड़ा. १४ दिनों में डिलीवरी मिली. मेरा अनुरोध है की पाठक राजकमल का मॉल भी अमेज़न आदि से ले सस्ता व् जल्दी मिलेगा.हिंदी के प्रकाशक इन लोगो से बहुत कुछ सीख सकते है.कवर पर शेर और उसकी परछाई देख कर ही डर लगने लगा.मगर हिम्मत कर के किताब खोल डाली . नरक यात्रा से चले पागल खाना तक पहुचें .बीच के रास्तें में मरीचिका आई ,बारामासी आया और
पागल खाना पर पाठकीय प्रतिक्रिया याने समय का एक नपुंसक विद्रोह यशवंत कोठारी ...Read Moreने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है.२७१ पन्नों का ५९५रु. का उपन्यास ओन लाइन ५९५ रूपये (५३६+३०+२९)का पड़ा. १४ दिनों में डिलीवरी मिली. मेरा अनुरोध है की पाठक राजकमल का मॉल भी अमेज़न आदि से ले सस्ता व् जल्दी मिलेगा.हिंदी के प्रकाशक इन लोगो से बहुत कुछ सीख सकते है.कवर पर शेर और उसकी परछाई देख कर ही डर लगने लगा.मगर हिम्मत कर के किताब खोल डाली . नरक यात्रा से चले पागल खाना तक पहुचें .बीच के रास्तें में मरीचिका आई ,बारामासी आया और
समीक्षा फिक्शन (रचनात्मक लेखन) में समय लगता है -अरुंधती ...Read More यशवंत कोठारी अरुंधती रॉय का दूसरा उपन्यास –मिनिस्ट्री ऑफ़अत्मोस्ट हैप्पीनेस(चरम प्रसन्नता का मंत्रालय ) आया है.इस से पहले वे मामूली चीजों का देवता लिख कर बुकर पुरस्कार जीत चुकी हैं .गोड ऑफ़ स्माल थिंग्स अंग्रेजी में ३३८ पन्नो का है लेकिन हिंदी में यह मात्र २९६ पन्नों का बना.अंग्रेजी वाला मोटे फॉण्ट में छितराए अक्षरों में था.व्यावसायिक मज़बूरी . ताज़ा उपन्यास के बारे में गार्जियन ने अरुंधती रॉय का एक साक्षात्कार व् उपन्यास के २ पाठ(चेप्टर )छापे हैं, साथ में कव्वे का एक चित्र भी. देखकर मुझे
समीक्षा पुस्तक :पंच काका के जेबी बच्चे /डा.नीरज दईया /व्यंग्य संग्रह /२०१७ /मूल्य २००रुप्ये,प्रष्ठ ९६ /सूर्य प्रकाशन मंदिर,बीकानेर पुस्तक;आप तो बस आप ही है /बुलाकी शर्मा /व्यंग्य संग्रह २०१७ /सूर्य प्रका शन मंदिर ,बीकानेर कवि-आलोचक नीरज जी इन दिनों ...Read Moreमें सक्रिय है.इस पोथी में उनके ताज़ा व्यंग्य संकलित है जो उन्होंने विभिन्न पत्र पत्रिकाओं हेतु लिखे हैं.इन व्यंग्य रचनाओं के बारे में सुपरिचित व्यंग्य कार –संपादक सुशिल सिद्धार्थ ने एक लम्बा,सचित्र ब्लर्ब लिखा है जो उनके फोटो के साथ अवतरित हुआ है. संकलन में नीरज जी के चालीस व्यंग्य है, भूमिका महेश चन्द्र शर्मा ने लिखी है जो स्वयं
समीक्षा हम सब दीमक हैं यशवंत कोठारी पिछले दिनों मैंने कुछ व्यंग्य उपन्यास ...Read Moreतेज़ गर्मी ,लू के थपेड़ो के बीच लिखना संभव नहीं था सो कूलर की ठंडी हवा में पांच व्यंग्य उपन्यास पढ़ डाले. एक दीमक सबसे बाद में पढ़ा गया,लेकिन मुझे इस से बढिया शीर्षक नहीं मिला.जो अन्य उपन्यास पढ़े गए वे हैं-शरद जोशी का –मैं मैं और केवल मैं ,सुरेश कान्त का ब से बैंक ,हरी जोशी का घुसपैठिये ,गिरीश पंकज का माफिया . इसी बीच फे स्बूक पर कवि सम्मेलनों पर एक उपन्यास अंश देखा,अधिकांश कवि सम्मेलन हास्यास्पद रस के होते हैं
सफल और सार्थक व्यंग्य ...Read More सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार पूरन सरमा का सोलहवां व्यंग्य संकलन घर घर की राम लीला’ आया है। वे राप्टीय स्तर पर चर्चित व्यंग्यकार है। उन्होने व्यंग्य के अलावा उपन्यास एवं नाटक विधा पर भी कलम चलाई है। उनका एक उपन्यास समय का सच काफी चर्चित रहा है। पूरन सरमा व्यंग्य - लेखन के क्षेत्र में अपनी मौलिकता तथा कथात्मक रचनाओं के कारण जाने जाते है। वे साहित्य अकादमी से समाद्रत है। लगभग हर पत्र पत्रिका में उनको स्थान मिलता रहा हैं। व्यंग्य हिन्दी में आधुनिक काल में पुप्पित पल्लवित हुआ है। भारतेन्दु काल से लगाकर हरिशंकर