P.K. book and story is written by Roop Singh Chandel in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. P.K. is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पी.के. (1) बालभवन के पास चाय की दुकान पर वह मित्र के साथ चाय पी रहा था. उनके हाथों में चाय के छोटे गिलास थे और वे दुकान और सड़क के बीच दुकान के निकट ही बातों में मशगूल ...Read Moreलंबे समय बाद वह मित्र से मिला था जो उन दिनों पास के कैनेरा बैंक में पो.ओ. था. वे बात
पी.के. (2) “चाय पीने.” “मैं पिलाउंगा चाय आज आपको.” पीके बोला और साथ हो लिया था. वह कुछ नहीं बोल पाया था, लेकिन तभी उसके मन में एक बात पैदा हुई थी और उसने सोचा था कि चाय पीते ...Read Moreवह पीके से अपनी बात कहेगा. “यह मेरे सहयोगी नबारिया हैं. दस बजे से पांच बजे तक की ड्यूटी पर हैं. पीछे बैठते हैं---“ उसने नबारिया से हाथ मिलाया. “पीके की ड्यूटी तीन बजे तक है. उसके बाद आपको जब भी कोई पुस्तक की जरूरत हो और न मिल रही हो तब मुझे बताएंगे.” नबारिया बिना कुछ कहे ही अपनी
पी.के. (3) पीके उन दिनों हाई स्कूल था और उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से प्राइवेट इंटरमीडिएट कर रहा था. वही नहीं नबारिया भी हाई स्कूल ही था और वह भी पीके के साथ प्राइवेट परीक्षा की तैयारी कर रहा ...Read Moreइस प्रकार पीके की पत्नी और वे दोनों परीक्षार्थी थे. पीके उससे पहले तीन बार प्रयास कर चुका था और असफल रहा था. वह उसका चौथा अवसर था. “विनोद बाबू, इंटर होता तब मैं आज जूनियर अटेण्डेण्ट नहीं होता. मैं भी सीनियर हो चुका होता----.” यह कहते हुए पीके के चेहरे पर मायूसी उभर आयी थी. “इंटरमीडिएट करना इतना कठिन
पी.के. (4) सुमन और डॉ. तनेजा की मुलाकातें बढ़ने लगी थीं. सुमन के लाइब्रेरी जाना शुरू करने के बाद वह घर के बजाय उसके ऑफिस में मिलने जाने लगा था. पीके लंच के लिए प्रति दिन घर जाता था ...Read Moreबजे और डेढ़ बजे लौट आता था. यह उसकी पुरानी आदत थी, जबकि सुमन लंच लेकर जाती थी. एक दिन बच्चों की बस सुबह आठ बजे स्टैंड पर पहुंची. आठ बजे पीके को लाइब्रेरी खोलवानी होती थी. बच्चों को छोड़कर वह सीधे लाइब्रेरी की ओर दौड़ा और काम में इतना व्यस्त हुआ कि अपनी दूसरी चाबी लेने जाने का उसे