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Champa pahadan by Pranava Bharti | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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चंपा पहाड़न by Pranava Bharti in Hindi
Novels

चंपा पहाड़न - Novels

by Pranava Bharti Matrubharti Verified in Hindi Social Stories

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चंपा पहाड़न (1) आसमान की साफ़-शफ्फाक सड़क पर उन रूई के गोलों में जैसे एक सुन्दर सा द्वार खुल गया | शायद स्वर्ग का द्वार ! और उसमें से एक सुन्दर, युवा चेहरा झाँकने लगा, उसने देखा चेहरे ने ...Read Moreहाथ आगे की ओर किया जिसमें से रक्त टपकता हुआ एक गाढ़ी लकीर सी बनाने लगा, उसका दिल काँप उठा| हालांकि वह इस दृश्य की साक्षी नहीं थी लेकिन यह भी इतना ही सच था कि वह दृश्य बारंबार उसकी आँखों के सपाट धरातल को बाध्य करता कि वह उसकी साक्षी बने ! उसका मन वृद्ध होते हुए शरीर के

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चंपा पहाड़न - 1

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  • 1.4k

चंपा पहाड़न (1) आसमान की साफ़-शफ्फाक सड़क पर उन रूई के गोलों में जैसे एक सुन्दर सा द्वार खुल गया | शायद स्वर्ग का द्वार ! और उसमें से एक सुन्दर, युवा चेहरा झाँकने लगा, उसने देखा चेहरे ने ...Read Moreहाथ आगे की ओर किया जिसमें से रक्त टपकता हुआ एक गाढ़ी लकीर सी बनाने लगा, उसका दिल काँप उठा| हालांकि वह इस दृश्य की साक्षी नहीं थी लेकिन यह भी इतना ही सच था कि वह दृश्य बारंबार उसकी आँखों के सपाट धरातल को बाध्य करता कि वह उसकी साक्षी बने ! उसका मन वृद्ध होते हुए शरीर के

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चंपा पहाड़न - 2

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चंपा पहाड़न (2) अठारह-उन्नीस वर्ष की चंपा शहर के किसी सलीके से परिचित नहीं थी | यद्धपि हमारे देशभक्तों की कुर्बानियों से देश आज़ाद होने के पूरे आसार थे किन्तु यह तो तथ्य था ही कि अंग्रेजों का प्रभुत्व ...Read Moreपर बुरी प्रकार हावी था | ये अंग्रेज़ अपनी अंग्रेजियत को भुनाने के प्रयास में रत रहते थे | अपने भोग-विलास के दुष्कृत्यों से पहाड़ों पर निवास करने वाली भोली-भाली घास काटने जाती खूबसूरत नवयौवनाओं को किसी न किसी प्रकार अपने लपेटे में ले ही लेते थे | ज़माना उनके प्रभुत्व से बरी होने की फ़िराक में था किन्तु बरी

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चंपा पहाड़न - 3

  • 464

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चंपा पहाड़न (3) “शी नीड्स ए डॉक्टर ---” जैक्सन बुदबुदाए और पास खड़े मह्तू से आस-पास के बारे में पूछताछ करने लगे “साहेब ! दूसरे गाँव में एक बैद जी रहते हैं, नाथूराम बैद, वो बहुत मशहूर ...Read Moreयहाँ ” “कितनी दूर है गाँव --?” जैक्सन ने पूछा “लगभग पन्द्रह मील तो होगा साहब !” “ हूँ—“जैक्सन सोच में पड़ गए थे “फ्रैंड !एक काम हो सकता है हम मह्तू को लेकर चलते हैं फिर आप लड़की को लेकर सुबह कहीं इसको ठिकाना दिलाने की कोशिश करना मुझे नहीं लगता यह बिना दवाई के

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चंपा पहाड़न - 4

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चंपा पहाड़न 4 गुड्डीकी माँ एक अध्यापिका थीं, अन्य लोगों से कुछ अधिक समझदार और संवेदनशील ! उनके कमरे से एक लंबा, संकराछज्जा चंपापहाड़नकी रसोई तक जाता, वह एक भाग से दूसरे भाग में ऐसे जुड़ा हुआ था जैसे ...Read Moreही घर के दो भाग हों|छुट्टी के दिन माँ की दृष्टि भी अपने पीछे के दरवाज़े से चंपा कीकोठरीपरचिपकीरहती|आते-जाते वे चंपा पर ऐसे दृष्टि रखतीं मानो कोतवाल हों और उन्हें यह‘ड्यूटी’सौंपी गई हो कि उस खूबसूरत कातिल पर दृष्टि रखी जाए|उसे तो क्या मालूम?वह तो बिलकुलनन्हीसी थी, इत्तीसी !माँ के साथ ही कभी कभी नानी भी आमिलतींजो कुछ ही दूरी

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चंपा पहाड़न - 5

  • 449

  • 1.2k

चंपा पहाड़न 5. वकील साहब केअंग्रेज़मित्रमि. जैक्सन भारतीय संगीत, नृत्य व अन्य भारतीयकलाओंके प्रति बेहद संवेदनशील थे| वे वकील साहब के शौक सेभलीप्रकार परिचित हो चुके थे और इसी शौक के कारण उन दोनों की मित्रतापरवानचढ़ीथी|दिल्ली आने पर वे ...Read Moreबाई’के पास ठुमरी सुनाने ले जाया करते थे|जैक्सन के बाक़ी मित्रों को शराब वशबाबमें रूचि थी, उनकीटोलीमेंगोरोंके साथ सांवले हिन्दुस्तानी भी थे जिन्हें मुफ़्त के मज़े लूटने की आदत पड़ चुकी थी और जब कभी जैक्सन का शिकार पर जाने वालों काकाफ़िलादिल्ली से शुरू होता उसमें कई लोग ऐसे भी आ जुड़ते जिन्हें जैक्सन पसंद नहीं करते थेकिन्तुउनको कई अन्य

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चंपा पहाड़न - 6

  • 448

  • 1.1k

चंपा पहाड़न 6 मह्तूजैक्सन साहब का विश्वासपात्र बावर्ची भी था और ड्राइवर भी रात के अंधेरों में ऊबड़-खाबड़ रास्तों में से किस प्रकार गन्तव्य तक पहुँचा जा सकता है, वह बखूबी जानता था यह सब तो ठीक परन्तु वकील ...Read Moreयह समझने में अपने आपको असफल पा रहे थे कि वे उस युवती को किसके पास और कहाँ ठिकाना दिला सकेंगे?उनका अपना परिवार तो उसे अपने यहाँ स्वीकार नहीं करेगा तब?यह भी समस्या थी कि यदि वे जैक्सन को मना कर देते हैं तब वह गोरा क्यासोचेगाकि इस हिन्दुस्तानी को अपने देश की लड़की के प्रति इतनी भी हमदर्दी नहीं है?बेचारेपशोपेश में

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चंपा पहाड़न - 7

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चंपा पहाड़न 7. मायाको एक-दो बार और लोगों ने भी सचेत किया थाकिन्तुवह पूरी तरह से उस पर विश्वास करती थी, उसे लगता लगभगपचपनवर्ष से ऊपर की गंगादेई, जिसके दो बड़े-बड़े भरपूरमर्दबेटे थे और न जाने कितने नाती-पोते भी, ...Read Moreसब बातों मेंक्योंपड़ेगी?मायाको उसकी ज़रुरत थी, कई वर्षों से वह उस घर में थी, गुड्डीके पिता गंगादेई को न जाने कहाँ से बहुत खोज-बीनकरलाए थे, वर्ष भर में ही उन्हें काल ने अपना ग्रास बना लिया थाअत:मायाके मन में गंगादेई के प्रति एक नाज़ुक सा भाव बना हुआ था|माँ के ऊपर वह अपनीपुत्रीका उत्तरदायित्व छोड़कर उन्हें उस बंधन में नहींबाँधनाचाहती

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चंपा पहाड़न - 8 - अंतिम भाग

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चंपा पहाड़न 8. चंपा अब लगभग पैंतालीस वर्ष की होने को आई थी, उसका यज्ञादि कानित्यकर्मवैसे ही चलता लेकिनगुड्डीके विवाह के पश्चात वह फिर से बंदकोठरीके एकाकीपन से जूझने लगी थी|हाँ !मायाका साथ हर प्रकार से उसके लिए बहुत ...Read Moreथा| उन दिनों फ़ोन आदि की अधिक सुविधा न होने के कारण चिट्ठियाँ लिखी जातीं| माँ केममतापूर्णस्नेहमय शब्दों में चंपा माँ कीलोरियोंकी गूँज सुनाई देती, चंपा हर चिट्ठी में उसे अपना प्यार-दुलारअवश्यप्रेषितकरती| गुड्डीके पति एक बड़े सरकारी संस्थान में कार्यरत थे|कुछ वर्षों के पश्चात उनका दिल्ली से बंबईतबादलाहो गया और स्थानीय दूरियाँ और बढ़ गईं|उनको बंबई में निवास के साथ

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