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Sima par ke kaidi by राजनारायण बोहरे | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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सीमा पार के कैदी by राजनारायण बोहरे in Hindi
Novels

सीमा पार के कैदी - Novels

by राजनारायण बोहरे Matrubharti Verified in Hindi Children Stories

(25)
  • 10k

  • 18k

  • 1

फौजी जासूस केदारसिंह अपने दोनों बेटों के साथ सीमा की एक चौकी पर आये हुए थे और सब लोग सीमा पार की दूसरे देश की चौकी की ओर ताक रहे थे। कुछ देर बार ...Read Moreफौजी ट्रक सीमा पार की चौकी पर आकर रूका और उसमें से सेना के जवानों के साथ दस-बारह ऐसे लोग उतरे जो देखने में बड़े गरीब और परेशान लग रहे थे। उन दस बारह लोगों को सीमा पार की चौकी के जवानों ने भारत की सीमा पर बनी इस चौकी की ओर इशारा कर के जाने की अनुमति दे दी तो वे लोग उन जवानों के प्रति हाथ जोड़ कर श्रद्धा प्रकट करते हुए उस देश की सीमा पार करते हुए ऐसी जगह में से आगे बढ़ने लगे जिसे नो मैन्स लैण्ड कहा जाता है, यानी कि दोनों देश की सीमाओं के बीच की जगह जहां किसी देश का कब्जा नही होता था।

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सीमा पार के कैदी - 1

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सीमा पार के कैदी 1 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) एक फौजी जासूस केदारसिंह अपने दोनों बेटों के साथ सीमा की एक चौकी पर आये हुए थे और सब लोग सीमा पार की दूसरे ...Read Moreकी चौकी की ओर ताक रहे थे। कुछ देर बार एक फौजी ट्रक सीमा पार की चौकी पर आकर रूका और उसमें से सेना के जवानों के साथ दस-बारह ऐसे लोग उतरे जो देखने में बड़े गरीब और परेशान लग रहे थे। उन दस बारह लोगों को सीमा पार की चौकी के जवानों ने भारत की सीमा पर बनी

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सीमा पार के कैदी - 2

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सीमा पार के कैदी2 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 2 बाल जासूसों की एक संस्था बनाई गई थी, अजय और अभय उसके सक्रिय सदस्य थे। आपस में विचार करके अगले दिन उन्होंने ...Read Moreचीफ मिस्टर सिन्हा को सीमा पर गरीबों के साथ हो रहे अन्याय के बारे में लिखा और यह बताया कि वे दोनों गोपनीय रूप से ऐसे बे गुनाह लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं, कोई योजना बनाई जाये। कुछ दिनों के बाद ही मिस्टर सिन्हा ने इन दोनों को दूसरे देश भेजने का प्रोग्राम बनाया और इनकी सुरक्षा

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सीमा पार के कैदी - 3

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सीमा पार के कैदी3 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 3 इसके बाद उनकी यात्रा आरंभ हुई । पहले पैदल ,इसके बाद ऊँटों से। अभय को बड़ा मजा आया ! ...Read Moreदूर तक फैली रेत ही रेत, जो कहीं ऊँची कही भयानक खाइयों का रूप धारण किये थी। ऊँट बड़ी मस्ती से चला जा रहा था। अभय ने अपना ऊंट दौड़ा दिया, हिचकोले खाता हुआ अभय प्रसन्नता में डूबा जा रहा था। वह भारत का अन्तिम शहर था। शाम होते-होते एक्स, वाय व जेड वहाँ पहुँचे। बाजार में विशेष राजस्थानी

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सीमा पार के कैदी - 4

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सीमा पार के कैदी -4 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 4 सीमा पार करके अब वे उसी पहाड़ी के नीचे बसी ढाणी की ओर बड़े जा रहे थ जिसके बारे में ...Read Moreके पटेल ने बताया था। आस पास की छोटी छोटी झाड़ियां और धीरे- धीरे बढ़ता अंधेरा उनका सहायक बन रहा था। लगभग एक घंटा चलने के बाद अंधेरे में दूर, एक धीमा सा उजाला दिखने लगा । लगता था कि ढाणी नजदीक ही थी। वे बहुत धीमे से कदम बढ़ाते हुये बिना आवाज करे आगे बढ़ने लगे।

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सीमा पार के कैदी - 5

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सीमा पार के कैदी5 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 5 तीनों अपने रास्ते बढ़े। आधी रात को इन्हें वह ढाणी दिखी। बौने आकार की छोटी-छोटी झोपड़ियों वाली उस ढाणी में मुश्किल ...Read Moreबीस-पच्चीस झोपड़ी थी। पटैल को बुलाकर पत्र दिखाया तो उसने बड़ी आव भगत की और रात को ही खाना बनवाकर खिलाया। दूसरे दिन यह लोग अपने पथ पर बढ़ चले। इसी प्रकार ढाणियों के बाद कस्बा, फिर शहर और अन्त में प्रांतीय राजधानी पहुँचकर उन्होंने विश्राम किया। प्रान्तीय खुफिया विभाग का प्रान्तीय कार्यालय इसी शहर मे था।

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सीमा पार के कैदी - 6

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सीमा पार के कैदी6 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 6 रात को आठ बजे । अचानक ही इनके रूम का दरवाजा खटखटाया गया। अजय ने दरवाजा खोला। बाहर एक अपरिचित ...Read Moreमौजूद था। वह व्यक्ति भी अचकचा गया। अजय बोला- ‘‘कहो चचा, किसे चाहते हो।’’ -‘’हे....हे......यहाँ तो जनाब फज़ल ठहरे हैं न। ’’ वह व्यक्ति हकलाया सा बोला। विक्रांत का नाम यहाँ फज़ल ही था। अजय बोला- ’’आईये...आईये...आप शायद फज़ल मियाँ, आप ही की तलाश में है, आप कासिद मियाँ है न ? -’’जी’’ हाँ जनाब।’’ -’’कौन है

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सीमा पार के कैदी - 7

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सीमा पार के कैदी 7 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 7 जब कार्यालय बंद हुये। लोग निकले। अजय ने मंजूर की ओर इशारा किया, और अभय उसके पीछे लग गया। ...Read Moreतेरह नम्बर की बस में मंजूर मियाँ के पीछे ही अभय बैठा। अभय को बस में बैठते देख अजय ने राहत की सांस ली। दुकान बंद होते समय उसने रेस्टोरेंट मालिक से वहीं सोने की अनुमति मांग ली। अपने बस स्टॉप पर मंजूर अली जैसे ही उतरा, अभय भी उतर पड़ा। सांझ का धुंधला सा पड़ता जा रहा

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सीमा पार के कैदी - 8

  • 309

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सीमा पार के कैदी 8 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0 8 उधर अभय दुकान के बाहर तख्त पर लेटा हुआ करबटें बदल रहा था। अभय का संकेत मिलते ही वह उठ बैठा ...Read Moreएक कोने की ओर बड़ गया। अभय ने उसे बताया कि रिकॉर्ड रूम के तीसरे रेैक के दूसरे खाने में चौदह नम्बर फाइल में हिन्दुस्तानी कैदियो का पूरा विवरण मौजूद है। फाईल की पूरी स्थिति समझकर अभय रेस्टोरेंट की ओर लौटा। तख्त के नीचे उसने दिन में कुछ मिठाई छिपा कर रखी थी, वह निकाल ली। अपने

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सीमा पार के कैदी - 9

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सीमा पार के कैदी 9 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0 9 सुबह जब अजय और अभय दोनों उठे तो उन्होंने पाया कि विक्रांत टेबल पर उनके लिए कागज की एक पर्ची ...Read Moreचला गया था। पर्ची उठा कर अजय गौर से पढने लगा- एक्स व वाय मुझे ज्ञात हो गया है कि तुम दोनों अपने काम में सफल हो गये हो। तुम्हारा काम अब समाप्त। तुरंत प्रस्थान करो। मैं नहीं चल पाऊँगा। आशा है, अपनी सुरक्षा का ध्यान रखोगें। दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा। यानि अब भारत लौटना

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सीमा पार के कैदी - 10

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सीमा पार के कैदी-10 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 10 रात गहरा रही थी। अजय और अभय चुपचाप पटेल की ढाणी से निकलकर उस दिशा में चले जा रहे ...Read Moreजिधर कुछ देर पहले काफिला गया था। कुछ दूर चलकर ही रोशनी दिखी। निकट पहुंचकर देखा ठीक वैसे ही दस बारह तम्बू तने थे, जैसे आते वक्त इन्होंने डाकुओं के देखें थे। कुछ देर छिपे रहकर देखने पर पता चला कि केवल एक सैनिक बाहर था, बांकी सैनिक एक बड़े से तम्बू के अंदर थे। उस डेरे के

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सीमा पार के कैदी - 11 - अंत

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सीमा पार के कैदी -11 अंत बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 11 अजय ने ऊंची आवाज में नारा लगाया ‘‘ जय..................हिन्द!’’ उसके उठे हुए हाथ में प्यारा ...Read Moreलहरा रहा था। तिरंगा देखते ही भारतीय सैनिक निश्चिंत होकर आगे बढ़े। निकट आये तो दुश्मन सैनिकों की वर्दी देखकर वे फिर शंकित हुये, पल भर में ही उन लोगों ने इन्हे घेर लिया था। ठीक तभी अजय बोला- ‘‘ अंकल, इनकी वर्दी देख कर शंका में मत आइये ये लोग आस पास की ढाणियो के भारतीय मारवाउ़ी है।

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