Yaadon ke ujale book and story is written by Lajpat Rai Garg in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Yaadon ke ujale is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
यादों के उजाले - Novels
by Lajpat Rai Garg
in
Hindi Love Stories
यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (1) आज प्रह्लाद को मन मारकर कार्यालय आना पड़ा था। उसके बॉस का सख़्त आदेश न होता तो इस समय वह आने वाली मीटिंग की फाइल तैयार करने की बजाय अपनी पत्नी रेणुका के पास अस्पताल में होता। आज सुबह जब वह उठा तो रेणुका को स्नानादि से निवृत्त हुआ देखकर उसने पूछा - ‘आज इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गयी हो?’ तो उसने उत्तर दिया था - ‘आप भी जल्दी से फ़ारिग हो लो। इतने मैं नाश्ता और दोपहर का खाना बना लेती हूँ। पिछले एक पहर से रह-रहकर ‘दर्द’ उठ रहे हैं।
यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (1) आज प्रह्लाद को मन मारकर कार्यालय आना पड़ा था। उसके बॉस का सख़्त आदेश न होता तो इस समय वह आने वाली मीटिंग की फाइल तैयार करने की बजाय अपनी पत्नी रेणुका ...Read Moreपास अस्पताल में होता। आज सुबह जब वह उठा तो रेणुका को स्नानादि से निवृत्त हुआ देखकर उसने पूछा - ‘आज इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गयी हो?’ तो उसने उत्तर दिया था - ‘आप भी जल्दी से फ़ारिग हो लो। इतने मैं नाश्ता और दोपहर का खाना बना लेती हूँ। पिछले एक पहर से रह-रहकर ‘दर्द’ उठ रहे हैं।
यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (2) पीरियड समाप्त हुआ और वह क्लास से बाहर निकल गया। प्रह्लाद और विमल अभिन्न मित्र थे। दोनों में किसी प्रकार का दुराव-छिपाव नहीं था। एक जब तक अपने मन की बात दूसरे ...Read Moreबतला नहीं लेता था, उसको खाना हज़म नहीं होता था। वे इकट्ठे कॉलेज आते-जाते थे। दोनों के सब्जेक्ट भी एक-से थे। ऐसा कभी नहीं हुआ था कि एक कॉलेज में हो और दूसरा न हो। इसलिये जब प्रह्लाद विमल को बिना बताये क्लास से बाहर निकला तो विमल भी उसके पीछे-पीछे हो लिया। टीचिंग ब्लॉक पार करते ही उसने अपने
यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (3) ‘रवि, तुम्हारी इस बात का क्या जवाब दूँ, कुछ सूझ नहीं रहा। मैं तो नि:शब्द हो गया हूँ।’ कुछ समय के लिये चुप्पी रही। फिर जैसे कुछ स्मरण हो, उसने कहा - ...Read Moreएक बात तुम्हें और बतानी है.....कॉलेज में मेरे नाम फ्रीक्वेंटली रजिस्टर्ड लेटर आना अनावश्यक जिज्ञासा को जन्म देगा, इसलिये मैंने सोचा है कि आगे से तुम पत्र मेरे फ्रैंड विमल के घर के पते पर केयर ऑफ करके भेजा करना। विमल के पैरेंट्स अनपढ़ हैं और विमल मेरा अभिन्न मित्र है। इसलिये अपने बीच पत्रों का आदान-प्रदान भी विमल के
यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (4) विमल के उत्तर पर रवि भी अपनी हँसी रोक नहीं पायी। ऐतिहासिक स्थलों के गाइड मनोविज्ञान में पारंगत होते हैं। जिस ग्रुप में युवती या महिला होती है, उन्हें विश्वास होता है ...Read Moreये लोग गाइड अवश्य करेंगे। अत: जैसे ही रवि ने ड्राइवर को पैसे दिये, तीन-चार गाइड अपनी सेवाएँ देने के लिये अपने-अपने ट्रिक आज़माने लगे। रवि ने एक गाइड जिसने अढ़ाई-तीन घंटे उनके साथ रहकर जानकारी देने की बात रखी, को हामी भर दी। आमेर दुर्ग में प्रवेश करने के लिये जैसे ही ये लोग पैदल चलते हुए ऊपर पहुँचे
यादों के उजाले लाजपत राय गर्ग (5) प्रह्लाद नौकरी पाने में सफल रहा। नौकरी लगने के पश्चात् उसके विवाह के लिये रिश्ते आने लगे। वह टालमटोल करता रहा। एक रविवार के दिन विमल प्रह्लाद से मिलने उसके घर आया ...Read Moreथा। मंजरी ने मौक़ा देखकर बात चलायी - ‘विमल, अब तुम दोनों विवाह कर लो। बहुओं के आने से घरों में रौनक़ आ जायेगी।’ ‘दीदी, मैं तो तैयार हूँ। किसी अच्छी लड़की का रिश्ता आने की बाट जोह रहा हूँ। लेकिन, प्रह्लाद के लिये तो अभी आपको डेढ़-दो साल इंतज़ार करना पड़ेगा।’ प्रह्लाद ने विमल की तरफ़ आँखें तरेरीं, किन्तु