Sapno ka Rajkumar book and story is written by shelley khatri in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sapno ka Rajkumar is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सपनों का राजकुमार - Novels
by shelley khatri
in
Hindi Fiction Stories
उसे आइने से ही प्यार हो गया था। क्या करती वह कशिश ही इतनी थी कि एक बार जब वह आइने के सामने खड़ी होती तो फिर हटने का नाम ही नहीं लेती। अक्स होता ही था इतना सुंदर। बादलों से घने काले बिखरे घने केश, दो- काली मतवाली सी ऐंठी लटें जो चेहरे पर झुकी रहतीं और चेहरा भी कैसा जैसे बिजली चमक रही हो। केसर मिला दूध जैसा रंग। बड़ी- बड़ी काली- काली आंखें। लंबी घनी पलकें। पुतलियां और नेत्रगोलक ऐसे जैसे गहरे समुद्र में हंस तैर रहे हो। सीधी लंबी नासिका। पतले- पतले अनार के दाने जैसे होठ। हल्के फुले- फुले गाल। लंबी सीधी गर्दन। यही अक्स तो उभरता था उस आइने में जब वह सामने खड़ी होती। ऊपर से नीचे तक देखो तो जैसे कामदेव के अस्त्र संभालती रति खड़ी हो। बस वह इन्हीं में खो जाती। घंटो खोई रहती। इसी वर्ष वह सोलह वर्ष की हुई है। उसने सुना था यह यौनव के प्रारंभ का साल होता है। शरीर में सौंदर्य अपने पूर्ण कलाओं के इसी समय छा जाता है।
भाग 1 उसे आइने से ही प्यार हो गया था। क्या करती वह कशिश ही इतनी थी कि एक बार जब वह आइने के सामने खड़ी होती तो फिर हटने का नाम ही नहीं लेती। अक्स होता ही था ...Read Moreसुंदर। बादलों से घने काले बिखरे घने केश, दो- काली मतवाली सी ऐंठी लटें जो चेहरे पर झुकी रहतीं और चेहरा भी कैसा जैसे बिजली चमक रही हो। केसर मिला दूध जैसा रंग। बड़ी- बड़ी काली- काली आंखें। लंबी घनी पलकें। पुतलियां और नेत्रगोलक ऐसे जैसे गहरे समुद्र में हंस तैर रहे हो। सीधी लंबी नासिका। पतले- पतले अनार के
भाग 2 सुबह वह पूर्ववत उठी तैयार होकर स्कूल चली गई। उसकी कई सहेलियां मुझे चांद के पार ले चलो सीरियल, देखा करती थीं। उसने स्पोर्टस ब्रेक में समायरा के प्रेम में पड़ जाने की चर्चा शुरू की और ...Read Moreबताया कि उसे लगता है उसके सपनों का कोई राजकुमार है ही नहीं। वह तो कभी उसके बारे में कुछ भी महसूस नहीं करती और कभी भी वह उसके सपनों में भी नहीं आता है। इसके साथ ही उसके सामने एक नई दुनिया खुलने लगी। ऐसी दुनिया जो उसके बीच ही थी पर उसकी नजरों से बिल्कुल ओझल, उससे छुप
भाग 3 अचानक शलभ ने बाइक स्टार्ट कर ली। शायद उसका फोन समाप्त हो गया था। बाइक आगे बढ़ी तो रत्ना ने मुड कर देखा। उसे भी अपनी ओर ही देखते हुए पाया। मन ने फिर कहा, कौन हो ...Read Moreबड़ा तालाब आकर रत्ना आइसक्रीम जरूर खाती थी तो शलभ ने आइसक्रीम कार्नर के पास ही बाइक रोकी। रत्ना का मन तो वहां था ही नहीं। उसकी आंख में बस वहीं चेहरा था। शलभ ने उसकी फेवरिट चॉकलेट कोन उसे दी। वह बिना कुछ कहे खाने लगी। आस पास कहीं गाना बज रहा था- ‘अजनबी कौन हो तुम, जबसे तुम्हें
भाग 4 रत्ना ऐसे कैसे चिपकी है, कुछ बोल नहीं रही। कुछ हुआ क्या? शलभ की कोई बात बुरी लगी। वे रत्ना के ऐसे चुप रहने का कारण नहीं समझ पायीं थी। कुछ नहीं यार। कितना परेशान कर देती ...Read Moreकभी- कभी आप भी। चलिए दूध दीजिए मुझे, कहते हुए रत्ना मम्मी की गोद से उठ कर बाहर की ओर चल दी। मम्मी भी पीछे से आने लगी, हां अब जाके यह लड़की ठीक लग रही है। इसकी चुप्पी ने तो मुझे डरा ही दिया था, उन्होंने मन ही मन कहा। रंजन को उम्मीद थी, जिस तरह रत्ना उसके इशारे
भाग 5 सबसे पहले वह सनराइज कॉलोनी पहुंचा। कॉलोनी के बाहर के मेडिकल स्टोर से दो चॉकलेट और एक लिप बाम खरीदी। बाइक दुकान के बाहर छोड़कर अंदर चला गया। धीरे- धीरे टहलते हुए वह दायें बाएं देखता चला ...Read Moreरहा था। सेकेंड रो में जब मुडा तो दो औरतें घर के बाहर बात कर रही थीं। रंजन ने मोबाइल निकाल लिया और स्क्रीन की ओर नजर कर ली। पीली साड़ी पहनी आंटी दूसरी कह रही थी, रत्ना को तो पढ़ने और टीवी देखने से ही फुसर्त नहीं है। मैं चाहती भी नहीं कि वह अभी से घर के कामों