Ajib Dastan hai ye book and story is written by Ashish Kumar Trivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ajib Dastan hai ye is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अजीब दास्तां है ये.. - Novels
by Ashish Kumar Trivedi
in
Hindi Moral Stories
शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे।
लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाले बच्चे जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी स्कूल बस में बैठाने के लिए गेट के पास खड़े थे।
अनय स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर तैयार खड़ा था। उसने घड़ी की तरफ देखा। स्कूल बस का टाइम हो गया था। उसने कहा,
"जल्दी करिए ऐसा ना हो कि बस मुझे छोड़कर चली जाए। आज मेरा मैथ्स का टेस्ट भी है।"
"बस हो गया..."
(1) शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे। लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाले बच्चे जल्दी ...Read Moreतैयार हो रहे थे। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी स्कूल बस में बैठाने के लिए गेट के पास खड़े थे। अनय स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर तैयार खड़ा था। उसने घड़ी की तरफ देखा। स्कूल बस का टाइम हो गया था। उसने कहा, जल्दी करिए ऐसा ना हो कि बस मुझे छोड़कर चली जाए। आज मेरा मैथ्स का टेस्ट भी है।
(2) मुकुल कुछ समय पहले ही सोसाइटी की मीटिंग से लौटा था। हर बार की तरह मीटिंग में कुछ शिकायतें आईं, कुछ सुझाव दिए गए। उसके बाद अगली मीटिंग की तारीख तय करने के बाद मीटिंग बर्खास्त हो गई। ...Read Moreतो मीटिंग हर बार की तरह मुकुल को बोरिंग लग रही थी। लेकिन एक बात ने उस नीरस माहौल में जान डाल दी थी। वह बात थी रेवती का मीटिंग में आना। रेवती कुछ देर से मीटिंग में पहुँची थी। उसने सबसे पहले बड़ी विनम्रता के साथ देरी के लिए लोगों से माफी मांगी। उसके बाद एक मुस्कान के साथ
(3) दो महीने बीत गए थे। मुकुल और रेवती के बीच एक दोस्ती का रिश्ता पनप चुका था। दोनों अब खुलकर एक दूसरे से बात करते थे। सिक्सथ फ्लोर के तीन फ्लैट्स अब एक परिवार की तरह थे। आजी ...Read Moreपरिवार की मुखिया थीं। रेवती भी अब नीली को दी कहकर पुकारती थी। दोनों बच्चों के लिए वह आंटी थी। दोस्ती समय के साथ गहरी हो रही थी लेकिन मुकुल के मन में रेवती के लिए दोस्ती से अधिक एक भाव था। कई बार उसे ऐसा महसूस होता था कि वह रेवती के प्यार में पड़ गया है। रेवती हमेशा
(4) बात खत्म करके रेवती ने मुकुल को अपने साथ आने को कहा। वह उसे लेकर कैफ़े के बाहर चली गई। कैफ़े के बगल में एक छोटा सा गेट लगा था। उसे खोल कर रेवती अंदर चली गई। मुकुल ...Read Moreकुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन चुपचाप उसके पीछे चल रहा था। एक पैसेज पार करके दोनों एक दरवाज़े के सामने आ गए। दरवाज़े पर लगी घंटी बजाने से पहले रेवती ने कहा, अंकल इस वक्त कैफ़े में नहीं हैं। यह उनका घर है। रेवती ने घंटी बजाई। एक बीस बाइस साल के लड़के ने दरवाज़ा खोला। रेवती को
(5) मुकुल अपने एक दोस्त नमित के साथ एक पार्टी में गया था। पार्टी नमित के कज़िन के नए घर के गृह प्रवेश के अवसर पर रखी गई थी। यहीं वह पहली बार नेहा से मिला था। यह एक ...Read Moreसी गैदरिंग थी। जिसमें सब एक दूसरे को जानते थे। मुकुल नमित के अलावा किसी को भी नहीं जानता था। उसे बहुत ऑकवर्ड लग रहा था। वह एक कोने में बैठा हुआ था। नमित उससे कह चुका था कि वह संकोच ना करे। भाभी भैया बहुत फ्रेंडली हैं। वह भी औरों की तरह इंज्वॉय करे। बार काउंटर से अपने लिए