Suhag, Sindoor aur Prem book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Suhag, Sindoor aur Prem is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सुहाग, सिन्दूर और प्रेम - Novels
by Saroj Verma
in
Hindi Love Stories
बुआ जी ! स्टोरूम में ये किसी की शादी की तस्वीर मिली है, इसमें ये महिला तो मम्मी जी जैसी लग रही हैं, लेकिन पुरूष तो पापा जैसे नहीं लग रहें, अविका ने अपनी बुआ सास से पूछा।।
सच! कहती है तू! ये तेरी सास सरगम ही है, दयमंती बुआ बोली।।
और ये कौन हैं? अविका ने पूछा।।
ये तेरे पहले ससुर हैं ,दयमंती बुआ बोली।।
तो क्या मम्मी की दो शादियाँ हुईं थीं?ये मुझे पुल्कित ने कभी नहीं बताया,अविका बोली।।
ये बात तो पुल्कित को भी पता नहीं है तो तुझे कैसे बताएंगा? दयमंती बुआ बोली।।
मुझे कुछ समझ नहीं आया बुआ जी! अविका बोली।।
वो ये कि तेरे ससुर कमलेश्वर ,सरगम के दूसरे पति थे, ये बात तीनों बच्चों में से किसी को नहीं पता, दयमंती बुआ बोलीं।।
लेकिन क्यों? अविका ने पूछा।।
क्योंकि कमलेश्वर नहीं चाहता था कि कोई बच्चों से ये कहें कि वो उनका दूसरा बाप है, दयमंती बुआ बोली।।
बुआ जी! स्टोरूम में ये किसी की शादी की तस्वीर मिली है,इसमें ये महिला तो मम्मी जी जैसी लग रही हैं,लेकिन पुरूष तो पापा जैसे नहीं लग रहें,अविका ने अपनी बुआ सास से पूछा।। सच! कहती है तू! ये ...Read Moreसास सरगम ही है,दयमंती बुआ बोली।। और ये कौन हैं? अविका ने पूछा।। ये तेरे पहले ससुर हैं ,दयमंती बुआ बोली।। तो क्या मम्मी की दो शादियाँ हुईं थीं?ये मुझे पुल्कित ने कभी नहीं बताया,अविका बोली।। ये बात तो पुल्कित को भी पता नहीं है तो तुझे कैसे बताएंगा? दयमंती बुआ बोली।। मुझे कुछ समझ नहीं आया बुआ जी! अविका
सरगम अपने माँ के मामाजी रघुवरदयाल जी के साथ उनके घर पहुँची तो उसको देखते उनकी पत्नी संतोषी का मुँह बन गया और वो रघुवरदयाल जी से बोलीं..... बड़ी मुश्किलों से तो अनाथ ...Read Moreसे पीछा छूटा था,अब उसकी अनाथ बेटी को भी उठा लाए,तुमने क्या अनाथों को पालने का ठेका ले रखा है... चुप रहो!कुछ तो सोच समझकर बोला करो,किसके भरोसे अनाथ लड़की को छोड़ देता,कुछ भी हो चाहे दूर की ही सही,है तो अपने रिश्तेदार ही की बेटी,ऊपर से कन्या और फिर इन्सानियत के नाते ही कुछ सोच लिया करो,भगवान को क्या मुँह दिखाओगी अगर इतना
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दूसरी रात भी अल्हड़ सरगम ने संयम की मन की बात को ना समझा,संयम के नाम के अनुसार ही उसका स्वभाव भी था,अपनी नई नवेली दुल्हन से वो जी भर कर बातें करना चाहता था लेकिन शायद इन सबका ...Read Moreजीवन में अभी समय नहीं आया था,यही सोचते सोचते संयम की आँख लग गई,सुबह हुई और फिर से दयमंती बुआ ने दरवाजा खटखटाया और आज भी संयम ने ही दरवाजा खोला..... दयमंती ने देखा कि आज भी सबकुछ वैसे का वैसा,कितनी नादान है ये लड़की कुछ भी नहीं जानती,मैने कितना समझाया था लेकिन समझी ही नहीं,दयमंती ने मन में