Meri Bhairavi book and story is written by निखिल ठाकुर in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Meri Bhairavi is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरी भैरवी - रहस्यमय तांत्रिक उपन्यास - Novels
by निखिल ठाकुर
in
Hindi Spiritual Stories
‼️मेरी भैरवी‼️ ‼️अपनों से अपनी बात‼️ प्रिय पाठकों व पाठिकाओं.... तंत्र का क्षेत्र अपने आपमें अचरज गोपनीय रहस्यों से भरा हुआ है...तंत्र के गोपनीय रहस्यों को पूरी तरह से जानना किसी एक व्यक्ति के वश में नहीं है क्योंकि तंत्र के रहस्य अनेक परतों की तरह परत दर परत की तरह उलझे हुये है । व्यक्ति अपने जीवन में चाहे तंत्र का कितना भी ज्ञान प्राप्त कर लें परंतु तंत्र के पू्र्ण रहस्य को नहीं जान सकता है। तंत्र का क्षेत्र बहुत ही विशाल क्षेत्र है और इस क्षेत्र में सबसे रहस्यमय और गोपनीय मार्ग
‼️मेरी भैरवी‼️ ‼️अपनों से अपनी बात‼️ प्रिय पाठकों व पाठिकाओं.... तंत्र का क्षेत्र अपने आपमें अचरज गोपनीय रहस्यों से भरा हुआ है...तंत्र के गोपनीय रहस्यों को पूरी तरह से ...Read Moreकिसी एक व्यक्ति के वश में नहीं है क्योंकि तंत्र के रहस्य अनेक परतों की तरह परत दर परत की तरह उलझे हुये है । व्यक्ति अपने जीवन में चाहे तंत्र का कितना भी ज्ञान प्राप्त कर लें परंतु तंत्र के पू्र्ण रहस्य को नहीं जान सकता है। तंत्र का क्षेत्र बहुत ही विशाल क्षेत्र है और इस क्षेत्र में सबसे रहस्यमय और गोपनीय मार्ग
1.भैरव पहाड़ी की यात्रा --------------------------------------------- विराजनाथ तंत्र के गुप्त रहस्य की खोज में हिमालय के गुप्त क्षेत्रों की यात्रा कर रहा था और चारों तरफ मंद-मंद हवा का झोंका चल रहा था जो तन और मन को एक ...Read Moreही आनन्द दे रही थी और प्रकृति का मधुर मनोहर वातावरण जो व्यक्ति के मन मोह ले और सुर्य की सुनहरी किरणें इस वातावरण के सौंदर्य को और भी अधिक निखार रही थी।मानों बसंत ऋतु का सुनहरा मौसम हो और आसमान में उमड़ रहे कुछ काले-काले बादल भी मानों प्रकृति श्रृंगार कर रहे हो और
2. विचित्र स्वप्न विराजनाथ गहरी नींद में सोया हुआ था। धीरे -धीरे उसकी निंद्रा इतनी गहरी होती हो गई उस मानों किसी भी चीज़ की सुधबुध ही नहीं रही हो...उसे इस बात से भी कोई भी ...Read Moreनहीं थी कि वह जंगल में पेड़ के नीचे सो रहा है। सच कहा है किसी ने कि """पेट न देखे भुख और नींद ना देखे खटिया""" यह बात विराजनाथ के ऊपर बिल्कुल सत्य ही बैठ रही थी ...और मानों यह कहावत बिल्कुल विराजनाथ के लिए बनी हुई हो। यह सर्वथा सत्य ही
3. रहस्यमयी जगह---------------------------------------------------- उस तेजमय प्रकाश पूंज नें विराजनाथ को अपने अंदर समेट लिया और विराजनाथ उस प्रकाश के अंदर खींचता ही चला जा रहा था। विराजनाथ के नेत्र बंद होने के कारण वह कुछ भी देख नहीं पा ...Read Moreथा ...क्योंकि तेजमय प्रकाश की रोशनी इतनी अधिक थी कि अगर कोई भी उसे खुले नेत्रों से देखने की कोशिस करता तो उसकी आंखें चकियाचौंध जायें। वह तेजमय प्रकाश पूंज विराजनाथ को मानों कि अपनी गहरी में ले जा रहा हो और विराजनाथ जितनी गहराई में उसके अंदर खींचता तो उस प्रकाश की और रोशनी और अधिक तेज होती जा
4.ऋषि कपिलेश विराजनाथ के सामने वह रहस्यमय परछाई अब साकार रूप में प्रकट हो गई थी। उस परछाई में जो व्यक्ति था उसकी कद-काठी से वह कोई स्वर्ग देव जैसा प्रतीत हो रहा था और उसकी आध्यात्मिक आभा ...Read Moreउच्चस्तरीय की थी। जिसके प्रभाव से उस व्यक्ति का व्यक्तित्व अत्यंत दिव्यमय लग रहा था। विराजनाथ उस रहस्यमय अदृश्य परछाई व्यक्ति को देखकर उसके चरणों में नतमस्तक होकर प्रणाम किया और प्रार्थना करते हुये कहा:- हे! दिव्य पुरूष सिद्धमहायोगी आपने मुझे अपने दर्शन दिये में धन्य हो गया। कृपा करके आप मुझे अपना नाम बतायें ..कि मैं आपको किस नाम से संबोधित