Sansaar ki sarvshreshth dhyan pranaliya book and story is written by Brijmohan sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sansaar ki sarvshreshth dhyan pranaliya is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
संसार की सर्वश्रेष्ठ ध्यान प्रणालियाँ - Novels
by Brijmohan sharma
in
Hindi Spiritual Stories
(उपनिषद्, गीता, पातंजल योग, भागवत, वेदांत आदि में वर्णित ध्यान)
उपनिषद् में ध्यान
ब्रम्हज्ञान प्राप्ति की विधि:
उपनिषदों में ब्रम्हज्ञान प्राप्त करने की बड़ी सुंदर साधना बताई गई है ।
‘‘ प्रणवो धनुः शरोह्यात्मा ....... ’’
उं का जाप तीर है व एकाग्रता धनुष है । ब्रम्हज्ञान लक्ष्य है । साधक को तल्लीन होकर लक्ष्य भेद करने को कहा गया है ।
ऐक अन्य जगह साधन पथ को तलवार की धार के समान कठिन बताया गया है ।
आत्मा का स्वरूप:
‘‘ ज्योतिषा़ज्योति ’’, ‘‘ न तत्र सूर्यो भाति न चंद्र तारकं..... ’’
आत्मा को ज्योतियांे की ज्योति निरूपित किया गया है । सूर्य, चंद्र व तारों की लौकिक ज्योति उसे प्रकाशित नहीं कर सकते । उसके प्रकाशित होने पर सब प्रकाषित होते हैं ।ब्रम्ह कहां है ?: ( सुंदर प्रश्नोत्तर विधि )
शिष्य के पूछने पर कि ब्रम्ह कहां है ?
( परम ध्यान परम आनंद) लेखक : ब्रजमोहन शर्मा समर्पण : महर्षि रमण ( मनुष्यता के इतिहास में न देखा, न सुना, न पढ़ा कही ऐसा विरला संत जिसे महज १७ वर्ष की आयु में बिना किसी मन्त्र, ...Read Moreताप, ग्रन्थ पथ, पूजा पाठ या किसी भी रंच मात्र साधन अपनाए सिर्फ कुछ क्षणों के लिए अपने शरीर की म्रत्यु देख आजीवन शारीर मन बुद्धि से परे सर्वोच्च आध्यात्मिक अवस्था सहज समाधि की प्राप्ति हुई )copyright@brijmohansharma भूमिका :मित्रों यह ग्रन्थ ध्यान के सर्वोच्च ज्ञान, सर्वश्रेष्ठ विधियों व उससे प्राप्त होने वाला परम आनंद को द्रष्टिगत रखते हुए लिखा गया
भाग – २(संसार के उच्चतम योगियों के उदहारण)महान तिलकजी ऐक बार महान स्वतंत्रता सेनानी श्री तिलकजी के हाथ पर फोड़ा हो गया जिसका आपरेशन होना था । उस आपरेशन से तिलकजी को बहुत दर्द होता। अतः डाक्टर ने उन्हे ...Read Moreदेना वाहा किन्तु तिलकजी ने मना कर दिया व उन्होंने डाक्टर को बिना ऐनेस्थेसिया के आपरेशन करने को कहा । तिलक देश के बड़े नेता व महान गणितज्ञ थे । डाक्टर ने आपरेशन प्रारम्भ किया और तिलकजी गणित का ऐक कठिन प्रश्न हल करने बैठ गए । उस प्रश्न हल करने में वे ऐसे तन्मय हो गए कि कब आपरेशन
भाग – तृतीय(ध्यान पर गंभीर वैज्ञानिक प्रयोग)मै शरीर व मन कैसे नहीं ? मैंने अपनी युवावस्था में ध्यान के बहुत प्रयास किए । मैं नित्य जंगल के अंदर जाकर ध्यान करता । कभी नदी के किनारे ऐकांत में, तो ...Read Moreकिसी चट्टान पर ध्यान करता । फिर किसी दिन किसी पहाड़ी की चोंटी पर ध्यान का प्रयास करता । किन्तु मैं असफल रहा । ऐक दिन मैं इंदौर के वेदांत आश्रम में गया जहां साधू लोग आगंतुकों को वेदांत का उपदेश दिया करते थे । ऐक संत मुझे उपदेश देने लगे: यह खेाज करो कि कि, ‘ मैं कौन हूं
भाग – चतुर्थ(क्या ध्यानसे मन के दुर्गुण दूर होंगे ?)क्या ध्यान से मानसिक बुराइयां दूर होंगी ? क्या ध्यान से मानसिक बुराइयां जैसे काम, क्रोध, ईर्ष्या, हिंसा आदि विकारों का शमन हो सकता है ? यह गहन शोध का ...Read Moreहै क्योंकि बहुत प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक बड़े बड़े साधू गण इन विकारों से ग्रस्त दिखाई दिए हैं । दुर्वासा ऋषि तो साक्षात क्रोध के अवतार थे तथा बात बात पर भक्तों को शाप दे बैठते थे । प्रसिद्ध विश्वामित्र मुनि मेनका नामक अप्सरा के प्यार में पागल हो चले थे । इतिहास ऐसे हजारों किस्सों से
अध्याय – पांच(शब्दातीत यात्रा) सावधानियां ध्यान करते वक्त कुछ सावधानियां आवश्यक हैं । यदि आप का ध्यान न लग रहा हो तो मन पर ज्यादा जोर न दें । ध्यान रोक दें अथवा न करें, टाल दें । कुछ ...Read Moreबाद ध्यान का अभ्यास करें । अपनी क्षमता से अधिक समय व उर्जा न लगाएं । यदि बोअर हो गए हों तो संगीत के साथ भगवान का कीर्तन करें । जैसे उं नमः शिवाय, उं नमः शिवाय अथवा श्रीक्रष्ण गोविंद हरे मुरारे आदि संगीतमय कीर्तन करें । ऐक युवक किसी गुरू के पास ध्यान सीखने पहुंचा । गुरू ने उसे