Apharan book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Apharan is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अपहरण - Novels
by Ratna Pandey
in
Hindi Moral Stories
चंदनपुर एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ के लोग सीधे-सादे थे। अपनी मेहनत से कमाना, खाना और ख़ुश रहना, यही वहाँ का दस्तूर था। शांति के साथ रहने के लिए चंदनपुर आसपास के गाँव में बड़ा ही मशहूर भी था। गाँव का सरपंच अभिनंदन भी नेक दिल, बहुत ही अच्छे स्वभाव का इंसान था। वह हमेशा गाँव वालों की भलाई के लिए, गाँव के विकास के लिए, कुछ ना कुछ काम करता ही रहता था। गाँव के लोग उससे ख़ुश भी थे। पिछले 10 सालों से गाँव का मुखिया वही था।
उसका बेटा था रंजन, जो जवान हो रहा था। 16 साल का रंजन अपने पिता की दौलत, शोहरत का भरपूर फायदा उठाता था। गाँव की लड़कियों पर हमेशा उसकी बुरी नज़र रहती थी। आते-जाते उनके साथ छेड़खानी करना, उनके ऊपर अश्लील तंज कसना, दादागिरी करना, यह सब उसके रोजमर्रा के काम थे। अभिनंदन उसके साथ हमेशा बहुत प्यार से पेश आते थे। उसे हमेशा समझाते भी थे लेकिन रंजन कभी अपने पिता की बातों पर ध्यान नहीं देता था। रंजन की इतनी घटिया हरकतों के विषय में अभिनंदन को ज़्यादा कुछ पता नहीं था। लोग उनका लिहाज करके रंजन की शिकायत करने उनके पास नहीं जाते थे। इसी बात का फायदा उठाकर रंजन दिन प्रति दिन और अधिक बिगड़ता ही जा रहा था।
चंदनपुर एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ के लोग सीधे-सादे थे। अपनी मेहनत से कमाना, खाना और ख़ुश रहना, यही वहाँ का दस्तूर था। शांति के साथ रहने के लिए चंदनपुर आसपास के गाँव में बड़ा ही मशहूर भी था। ...Read Moreका सरपंच अभिनंदन भी नेक दिल, बहुत ही अच्छे स्वभाव का इंसान था। वह हमेशा गाँव वालों की भलाई के लिए, गाँव के विकास के लिए, कुछ ना कुछ काम करता ही रहता था। गाँव के लोग उससे ख़ुश भी थे। पिछले 10 सालों से गाँव का मुखिया वही था। उसका बेटा था रंजन, जो जवान हो रहा था। 16
अभिनंदन के चुनाव हार जाने के कारण रंजन की दादागिरी तो स्वतः ही कम हो गई लेकिन लड़कियों के साथ छेड़छाड़ का सिलसिला वैसे ही चलता रहा। वे भाई जिनकी बहनों के साथ छेड़छाड़ होती थी, उनका खून खोल ...Read Moreथा। इतने बड़े इंसान का बेटा! करें भी तो क्या? लेकिन अब तो परिस्थितियाँ बदल चुकी थीं। सत्ता का पावर उनके हाथ से चला गया था, इसलिए गाँव के लोग, गाँव के लड़के और वे सब भाई जोश में थे जिनकी बहनें घर से बाहर निकलने में घबराती थीं। एक दिन तो रंजन ने हद ही कर दी। उसने गाँव
सबसे पहले रमेश ने अशोक को फ़ोन किया और कहा, "आधे घंटे में हनुमान मंदिर पहुँच जा।" "क्या हुआ रमेश, इतने सुबह-सुबह क्यों बुला रहा है, कोई परेशानी है क्या?" "बस तू जल्दी से आ जा, वहीं बात करेंगे।" ...Read Moreतरह मयंक और राहुल से भी उसने बात कर ली। अब तक छः बज चुके थे। वह चारों हनुमान जी के मंदिर पर इकट्ठे हुए। उसके बाद रमेश ने कहा, "यार कल तो रंजन ने हद ही कर दी। उसने मेरी बहन का हाथ पकड़ने की हिम्मत कर ली। अब तक वह सिर्फ़ जीभ चलाता था पर अब तो
रमेश ने समझाते हुए कहा, "अशोक हम कोई गुंडे नहीं हैं। हमारे लिए हर लड़की, हर नारी, इज़्जत की पात्र है। हम उसे अगवा ज़रूर करेंगे लेकिन कुछ और नहीं। हम उसके साथ बहुत ही इज़्जत से पेश आएँगे, ...Read Moreहमें आना भी चाहिए। हम उसे अपनी बहनों की परेशानी और उसके भाई की हरकतों के विषय में बताएंगे। एक नारी होने के कारण वह हमारी बहनों, गाँव की सारी लड़कियों की तकलीफ़ ज़रूर समझेगी और हमारा बचाव भी करेगी।" "रमेश तुझे लगता है, यह सब इतना आसान है?" "अपनी बहनों की रक्षा के लिए, उनकी सलामती के लिए, यदि
मिताली के अपहरण की ख़बर सुन कर अभिनंदन परेशान थे और रंजन का गुस्सा सातवें आसमान पर था। यदि उसे पता चल जाए कि किसने इतनी हिमाकत की है तो मानो उसी पल उस इंसान को ज़िंदा ही ज़मीन ...Read Moreगाड़ दे। ऐसी हालत हो रही थी रंजन की। उसने ना जाने क्या-क्या सोच लिया था, उसकी बहन के साथ कहीं …! उसके रोएं खड़े हो रहे थे। उसे लग रहा था यदि इसी पल उसे पता चल जाए कि उसकी बहन कहाँ है, तो वह उड़ कर उसे बचाने पहुँच जाए। अभिनंदन ने गुस्से में रंजन की तरफ देखते