अभिव्यक्ति.. - Novels
by ADRIL
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Hindi Poems
इज़ाज़त... आज मुझे ये शाम सजाने की इज़ाज़त दे दोदिल-ओ-जान तुम पर लुटानेकी इज़ाज़त दे दोमिले जो दर्द या मिले सुकून - कुबूल है हमेंकभी रिहा ना हो पाए वैसे क़ैद होनेकी इज़ाज़त दे दो कोई ख्वाब सजाने की ...Read Moreदे दोअब तो मुझे अपना बनाने की इज़ाज़त दे दोअब भी चुभा करते है तेरे इश्क़ के ज़ख़्मइस वीरान से गुलको खिलाने की इज़ाज़त दे दो कर्ज उतारने की मेरे हमदम हमें इज़ाज़त दे दो वफ़ा का फर्ज निभाने की अब तो इज़ाज़त दे दो लूंटती हुई दुनिया की तमन्नाओ की कसममुकद्दर अपना बनाने की बस आज इज़ाज़त दे दो
इज़ाज़त... आज मुझे ये शाम सजाने की इज़ाज़त दे दोदिल-ओ-जान तुम पर लुटानेकी इज़ाज़त दे दोमिले जो दर्द या मिले सुकून - कुबूल है हमेंकभी रिहा ना हो पाए वैसे क़ैद होनेकी इज़ाज़त दे दो कोई ख्वाब सजाने की ...Read Moreदे दोअब तो मुझे अपना बनाने की इज़ाज़त दे दोअब भी चुभा करते है तेरे इश्क़ के ज़ख़्मइस वीरान से गुलको खिलाने की इज़ाज़त दे दो कर्ज उतारने की मेरे हमदम हमें इज़ाज़त दे दो वफ़ा का फर्ज निभाने की अब तो इज़ाज़त दे दो लूंटती हुई दुनिया की तमन्नाओ की कसममुकद्दर अपना बनाने की बस आज इज़ाज़त दे दो
नजर.. कैसी नजर है तेरी, की मुझे नजर सी लग गयी, नजर पड़ी जब उस नजर पे, तो नजर मेरी ये भर गयी फिर मेरी नजर, उस नजर को, एक नजर तरस गयीकी किसी और नजर को उस नजर ...Read Moreदेखने से डर गयी नजर का कमाल तुम्हारी, एक नजर ही, कर गयी की नजर नजर में बातें सारी नजर में ही बन गयी नजर भरके देखा नजरको तो नज़र नजर से कहे गयी,क्या खूब नजरसे मिली नजर, तेरी नजर कहेर कर गयी नजर से जब नजर हटा दी, तो नजर शिकायत कर गयीनजरसे दूर ना जाने को ये
आखिरी... पहला ये इश्क था मेरा जो आखिरी हो गया,.. देहलीज़ पे अपनी दुल्हन का ख्वाब आखिरी हो गया,.. तेरे नाम का पहला हकदार अब आखिरी हो गया,.. तमाशा ये सरे आम, अब आखिरी हो गया,.. जिसको पा ना ...Read Moreउसका खयाल आखिरी हो गया.. उसे भूल जाने का काम आखिरी हो गया.. उसकी रुखसत का जाम आखिरी हो गया मयख़ानेको मेरा सलाम अब आखिरी हो गया,.. ~~~~~~~~~~~ पैगाम दिए थे,.. महेंदीवाले हाथोसे सलाम किए थे यूँ अपना जनाजा उठाए हुए थेबेगाने होकर भी हक़ जताए हुए थे बड़ी ही तमीज़ से उसने पैगाम दिए थे खामोशियोंकी वजह
में नहीं चाहती,... सीता जैसी महान बनकर, में जीना नहीं चाहती फसल की तरह धरती से में पैदा होना नहीं चाहती औरत हू में बेबस नहीं, सिर झुकाना नहीं चाहती कुर्बान होकरराजमहलका, ताज बनना नहीं चाहती ...Read Moreबेइंसाफी देखकर में, चूपरहेनानहीं चाहती दिया वचन जो ससुरने में, उसे निभाना नहीं चाहती राजा है तो क्या हुआ में हिस्सेदारी नहीं चाहती अपने पतिसेजुदा होकरकेमै जीना नहीं चाहती किसी और के प्रतिशोध से बंदी होना नहीं चाहती बेवजह में महासंग्राम की वजह बनना नहीं चाहती महल नहीं तो ना सही,जंगल मेकुटिया नहीं चाहती बेघर
इंतकाम,... कसम से इंतकाम का हमें ऐसा सुकून मिले खुदा करे की तुम्हे तुमसा कोई हू-ब-हू मिले जिसे तुम बेपनाह चाहो तुम्हे वो इस तरह मिले जैसे की कोई लाइलाज जानलेवा रोग सा मिले तेरे दिलकेहर ...Read Moreनाम सिर्फ उसीकामिले और दर्द तुम्हे उस नाम से बे-इन्तिहा मिले जिनके सपने सजाते रहो तुम रोज तुम्हे वो रात मिले पलक खोलो तो तुम्हे खाख होते सारे जज्बात मिले नाक़ाम ना रहो तूम करने को वो एक ही काम मिले की तुम रुस्वा होकर मर जाओ वैसा तुम्हे नाम मिले और हा, तुम सलीके से
दीदार,... उफ़्फ़, तेरे दीदार का यूँ असर हुआ है कोन सा नशा है ये कि बीनपीए सभीका ये हाल हुआ है तारो को आसमान मे खलल हो रहा है चाँद तेरे हूश्नसे पागल हुआ है आफताब को अपनी आग ...Read Moreनहीं होती इस कदर तेरी जलन में वो जला हुआ है पलक उठने पर, शहंशाहो के सर झुके है तेरे सवार होनेसे, मुसाफिर रुके हुए है तेरी मुस्कुराहट पे ही तो ये फूल खिले है तेरे हुस्न के वैभव से लोग हिले हुए है फ़रिश्तोने तेरा जिक्र खुले आम किया है जन्नतमे महफ़िल का इंतजाम किया हैहवा हो,
उसकी आवाज़ प्यार चाहना उसके लिए ख्वाब बन कर रहे जाता था इज्जत की दुहाई दे वो अरमान मनमे ही रहे जाता था दुल्हन बनने का सपना उसका मिट्टी में मिल जाता था जिस्म बेचना ही उसके लिए ...Read Moreबन जाता था कोई अपने ही रिश्तेदारोंका शिकार हो जाती थी कोई घर से भाग आती थी - तो कोई अगवा हो जाती थी कोई खरीदी जाती थी - तो कोई खुद बिक जाती थी शरीफों की बस्तीमेवो निलाम होजाती थी बदनाम हो कर वो इस कदर खो जाती थी की - रातोकोसंवरना उसकी किस्मत हो जाती
कुछ इस तरह उनसे प्यार करना पड़ता है की अपने प्यार से इंकार करना पड़ता है कभी कभी तो वो इतने करीब होते है की अपने आप को दीवार करना पड़ता है किसीनेपूछा, "थोड़ा EXPLAIN कर दो ... ...Read More ~~~~~~~ बात उन दिनों की है जब कृष्णनन्द गांव छोड़ कर मथुरा जाने वाले थे गोकुल और वृन्दावनसब कुछ पीछे छूटने वाला था सभी ये जानते थे की बिना कृष्ण के रहना बड़ा मुश्किल होने वाला है.. सारा गांव कान्हा को रोकने की कोशिश में लगा था ... सिवाय राधा के .. जो पुरेसंसार की खबर रखता
जरूरत प्यार की जरूरत किस उम्र में नहीं होती है ? मोहोब्बत तो सबको हर उम्र में होती है कोख में आते ही ममता की जरुरत होती है और जिंदगी पाने को अनुराग की जरुरत होती है थोड़े ...Read Moreदोस्तों से दोस्ती होती है क्या वो मोहोब्बत से कम होती है ? और हाँ, किसीको देखकर जो पहेली बार उमड़ती है वो कशिश भी उस एक अहसास की जड़ होती है यकीन मानो तब मचलते हुए हर एक दिल को दिल खोलनेके लिए -किसी ख़ास की जरूरत होती है फिर हालात, फिर ख्यालात की तपिश होती है और
समय के उस कालमें .... अगर में ....सीता होती 1. तो राम को ये सवाल पूछती की - अधर्मी रावण के वहांमेने अपने आपको बिना आपके संभाला ही था तो धार्मिक अयोध्या में उस धोबी के एक सवाल ...Read Moreसामने आपके होते हुए मैअकेली क्यों पड गयी ? 2. कौशल्या माँ को ये जरूर पूछती की राजा बनकर अपनी ही पत्नी का भरोसा नहीं करने वाले राजा का भरोसा अयोध्या की प्रजा किस तरह कर पाएगी ? 3. सुमित्रा माँ को समजातीकी आपके बेटे का कोई कसूरनहीं है, उन्हें समझाइए की मेरी बहन उर्मिला को छोड़कर अपने
मेरी मोहोब्बत.. कल खुदानेअपने इश्क का मुझसे जिक्र किया था और तब मेने भी कई नामोसे तेरा परिचय दिया था हुआ युथा कीवो मुझे वृन्दावन की राह में मिला था मेरी मोहोब्बत के बारे में वो मुझे ...Read Moreरहा था मेने तुजे खुली आँखों से देखता हु वो ख़्वाब कहा था मंदिर का दिपतुजे अली की अजान कहा था कलम हाथ में लेकर मेने तुजे लफ़्ज़ों का कमाल कहा था और फिर मेने तुजे बंजर मेरी बस्ती की छोटी सी बहार कहा था खुदा से मेनेतुजे मेरे मासूम जज्बात कहा था और दिलकी
मेरे गांव में बाजार के पास ही एक प्राथमिक स्कूल है... उसके बराबर बाजू मेंही पुलिस-स्टेशन है... वहा से आगे चलो तो एक तालाब और उसी सड़क पर चलते जाओ तो थोड़ी आगे जाकर हाई-स्कूल.. फिर थोड़े आगे एक ...Read Moreमंदिर और सड़क ख़तम होते ही रेल-वे स्टेशन.. बात थोड़ी पुरानी है ... समजो किसीकीकहानी है .. सुनी किसी और ने थी... पर उसीकीजुबानी है.... ~~~~~~~ फैसला... ~~~~~~~ रोज की तरह वो रेल-वे स्टेशन की और गुजर रहा था शिव मंदिर की सीढ़ियों पर - यहाँ वहा देख - वो मुझे खोज रहा था जिसने आज
फिर वापस चली आना.. मेरी सारी नादानियाँ तेरे मुस्कुराने की वजह होती थी आंखोसेबहते अश्कोसे, तेरी हर कमीज़ भिगोती थी गलतियों के नाम पर तुम मेरी शरारत को पकड़ते थे और जिंदगी के खेल को तुम कुछ ...Read Moreमें बयां करते थे में सूरज की किरणों से रोज़ झग़डा करती थी पलभरमे बज़्म (बांहे) खोलकर तूम मेरी छांव बना करते थे जिस्म की बजाये तूम मेरी ज़ुल्फ़ो में उलझा करते थे मै बेख़ौफ़ बचपना करती थी, तूम चूपचाप मुझको सुनते थे में कपड़ों की बजाए मेरे हर राज़ बेपर्दा करती थी तुम किसी डॉक्टर