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अभिव्यक्ति.. - 9

जरूरत  

 

प्यार की जरूरत किस उम्र में नहीं होती है ? 

मोहोब्बत तो सबको हर उम्र में होती है 

कोख में आते ही ममता की जरुरत होती है 

और जिंदगी पाने को अनुराग की जरुरत होती है 

थोड़े बहोत दोस्तों से दोस्ती होती है 

क्या वो मोहोब्बत से कम होती है ? 

और हाँ,

किसीको देखकर जो पहेली बार उमड़ती है

वो कशिश भी उस एक अहसास की जड़ होती है 

यकीन मानो तब मचलते हुए हर एक दिल को

दिल खोलने के लिए - किसी ख़ास की जरूरत होती है 

फिर हालात, फिर ख्यालात की तपिश होती है    

और तब रोने के लिए किसी के कांधे की जरुरत होती है  

जहा इश्क़ की जड़े दिन-ब-दिन मजबूत होती है 

वहां राधा और कृष्ण के बराबर प्रीत होती है  

 

 

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शायरी


दिलमें जो है जुबां पे आता नहीं

चाहत उनकी ये दिल आंखोमे लाता नहीं   

पर क्या करे कलम अंगड़ाइयां ले कर 

यहाँ वहा भागने लगती है 

उसकी रेखाएँ शिकायत के नारे लगाती है 

और कभी कभी खींची हुई लकीरे 

गीले शिकवे दफन कर आती है  

आसमान पूरा कागज बन जाता है

अश्क की स्याही का रंग नजर आता है   

खुदा और ख्याल - ऐब और खुबिया 

सबकुछ वो उस पन्नो पर दिखाती है  

फिर क्या ? वो हमको बेसुध कर जाती है 

या तो किसीकी रूहमें वो डेरा डाल आती है 

इसे आप ख़ास कहे या छोटी सी कहे 

बस, हमे लिखने की ये एक कला आती है 

की - कलम की कुछ अंगड़ाइ हमारी शायरी कहलाती है   

 

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मेरा साया

 

अकेले चल कर दिखाओ तन्हाईया साथ होगी

मेरे बाद मेरी बातें हर सफ़र में साथ होगी 

 

हर क़दम पर हर मोड़ की कहानियां साथ होगी 

वो नजदीकियाँ जो थी कभी अब दूरियों के साथ होगी 

 

संग हमारे महकते थे जादूभरे शाम-ओ-शहेर 

हसीं लम्हों की वो मदहोशियाँ अब तुम्हारे साथ होगी       

 

छलकती थी मस्तियोंसे जो वो नजर तुम्हारे साथ होगी  

हिज्र की रात में अब धुआँ बनकर रुलाती हुई साथ होगी  

 

सोंपी हुई मेरी वज़ारत तेरे ज़हन में साथ होगी  

जहां भी जाओ मेरी यादें साया बनकर साथ होगी

 

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देख लेंगे 

 

तू अगर मिल जाए तो तुजे जी भर के देख लेंगे 

तेरे सामने तेरे शहरमे कुछ दिन ठहर कर देख लेंगे 

 

तेरे लिए सबकुछ अपना कुर्बान करके देख लेंगे 

दिलकी हर गलीसे तेरी हम गुजरकर देख लेंगे 

 

गिरते है जो तेरी आवाज से वो मोती को हम देख लेंगे 

या फिर उसे गिराने को तुजसे बात करके देख लेंगे   

 

तेरे लिए हम आसमान से नीचे उतर कर देख लेंगे 

अँधेरी रात में तेरे लिए हम चाँद बनकर देख लेंगे 

 

तू अगर गुलशन है तो फूल बन कर देख लेंगे 

तेरे आँखों से जो गिर रहा है वो अश्क़ बनकर देख लेंगे 

 

अगर तू एक ख्वाब है तो ताबीर करके देख लेंगे 

तू अगर सजा है तो हम गुनाह कर के देख लेंगे 

 

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कायनात मिल जाए 

 

काश तेरे नामकी एक सहेर मिल जाए, 

बेदर्द होने को मुझे ज़हर मिल जाए,

सुना है समंदर में मिल जाते है मोती कई बार, 

ए खुदा मुझे भी एक एईसी लहेर मिल जाए,... 

एक तरफा हो रहा है ये प्यार हमारा 

खुदा का रहेम हो और हमारे हालात मिल जाए 

कुछ इस तरह हो जाए तुम्हे भी प्यार हमसे  

की आख़िरमे हमारे सारे ख़यालात मिल जाए 

लगता है ये वनवास भी अब ख़तम हो रहा है       

बस तेरे इश्क़ की बेशूमार सौगात मिल जाए

किया हुआ है तुमने ये परदा जो हमसे  

अब तुम ये पर्दा गिरा दो तो हमे पूरी कायनात मिल जाए 

 


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तूम ही तो अंजाम हो 

 

मेरी नमाज़ हो तुम 

आरती का राग हो 

ग्रन्थ साहेब का मान हो जैसे  

वैसे ही तुम मेरा कुरान हो

 

गीता का ज्ञान हो तुम 

बाइबल सी शान हो तुम 

शंख की पुकार हो तुम 

तुम्ही मेरी अज़ान हो 

 

तुम्ही हो राम मेरे 

तुम ही तो श्याम हो 

तांडव सा नाच हो तुम

शक्ति का साथ हो

 

मीरा का ध्यान हो तुम  

धर्म का ईमान हो 

शीतल सी रात हो तुम 

सूरज की आग हो 

 

बारिश की बून्द हो तुम 

मेरे रूह की आवाज़ हो 

मेरे सारे अच्छे कर्म का 

तुम ही तो अंजाम हो 

 

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