मत्स्य कन्या - Novels
by Pooja Singh
in
Hindi Adventure Stories
नैस्टी ओसियन...खतरो का दूसरा नाम लेकिन खुबसूरती में बेमिसाल है...जो भी यहां आता उसकी सुंदरता में खो जाता था.... लेकिन सुरज ढलते ही सबको यहां से जाने की चेतावनी दी जाती थी... जिसने भी सुरज ढलने के बाद यहां ...Read Moreकी कोशिश की वो अगले दिन सुबह बहुत बुरी तरह मरा हुआ मिलता...इस कारण लोग सुरज ढलते ही यहां से चले जाते थे..... नैस्टी ओसियन की शाम तो खतरनाक थी ही लेकिन दिन के समय में भी ...जाइंट गुफा किसी को भी डराने के लिए काफी थी... कई अस्थियों और कंकालों के देखने के बाद लोग जाइंट गुफा के आस पास भटकना भी नहीं चाहते थे. ...ये सब क्यू होता है किसी को कुछ नहीं पता और शायद कोई जानना भी नहीं चाहता है....
इतना सबकुछ जानने के बाद भी पर्यटकों की एक लम्बी लाइन लगी रहती थी घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था......अब मिलिये त्रिश्का से जिसको सब वाटर रेंजर कहते हैं... बिना आक्सीजन मास्क लगाएं पानी की गहराई में जाकर वापस आना उसके लिए आसान बात थी.... जितना सबको इससे हैरानी थी उतनी ही त्रिश्का दिन प्रतिदिन हो रही अपनी घटनाओं से परेशान थी..... त्रिश्का अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद रोज शाम को अपने फ्रेंड्स के साथ टाइम स्पेंड करके ही घर जाती थी....रोज की ही तरह आज त्रिश्का फ्रोस्टी कैफे पर पहुंची जहां काफी देर से उसके दोस्त उसका ही इंतजार कर रहे थे....
नैस्टी ओसियन...खतरो का दूसरा नाम लेकिन खुबसूरती में बेमिसाल है...जो भी यहां आता उसकी सुंदरता में खो जाता था.... लेकिन सुरज ढलते ही सबको यहां से जाने की चेतावनी दी जाती थी... जिसने भी सुरज ढलने के बाद यहां ...Read Moreकी कोशिश की वो अगले दिन सुबह बहुत बुरी तरह मरा हुआ मिलता...इस कारण लोग सुरज ढलते ही यहां से चले जाते थे..... नैस्टी ओसियन की शाम तो खतरनाक थी ही लेकिन दिन के समय में भी ...जाइंट गुफा किसी को भी डराने के लिए काफी थी... कई अस्थियों और कंकालों के देखने के बाद लोग जाइंट गुफा के आस
अविनाश जी के पुछने पर त्रिश्का उन्हें बताते बताते डर जाती है...........अब आगे..त्रिश्का अपने सपने के बारे में सोचकर घबरा जाती है..….." त्रिशू तू भूल जा सपनों के बारे में .." त्रिश्का के सिर पर हाथ फेरते हुए मालविका ...Read Moreने कहा " ठीक है मां... लेकिन पता नहीं वो अजीब सा इंसान मुझे क्यूं दिखाई देता है..." त्रिश्का ने खोते हुए मन से कहा " बेटा उन सबको भूल जा... अच्छा तेरी ड्यूटी कैसी चल रही है..." त्रिश्का को ख्यालों से बाहर लाने के लिए अविनाश जी ने कहात्रिश्का : ठीक ही चल रही पापा...एक दिन का भी रेस्ट
कौन हो तुम..?...और कौन है तुम्हारे महाराज..." त्रिश्का के इतना कहते ही समुंद्र की ऊंची ऊंची लहरें उठने लगती है और पानी एक इंसान का रुप लेने लगती है.... जैसे जैसे वो आकृति उभरती है तभी त्रिश्का चिल्लाती है...अब ...Read Moreही त्रिश्का चिल्लाती है तभी उसकी आंख खुलती हैं और खुद को अपने रुम में देख अपने को रिलेक्स करने के लिए लम्बी लम्बी सांसें लेने लगती है..... त्रिश्का जैसे ही उठकर बैठी थी तभी वो मोती आकर उसके सामने गिरता है ..उस मोती को देखकर त्रिश्क गुस्से में इधर उधर देखनी लगती है लेकिन उसे कोई नहीं मिलता... त्रिश्का
अविनाश : तुम तो बेमतलब की टेंशन लेती हो.....खाओ पियो और निश्चित रहो.....मालविका : आप अपना फार्मूला अपने पास रखिए.... मुझे तो बस मेरी त्रिशू की चिंता है....वो बार बार उसके सपने में आकर उसे परेशान कर रहे हैं....." ...Read Moreपरेशान कर रहे हैं...?...."अब आगे..................मालविका जी हैरानी से पीछे मुड़ती है तो देखती त्रिश्का हाथ में टाॅवल लिये खड़ी थी.....मालविका जी हड़बड़ा कर कहती हैं.." बेटा तू आई मतलब आज बहुत जल्दी अरे... मैं भी न चल आ जा जल्दी से ब्रेकफास्ट कर ले....त्रिश्का पास जाती हुई कहती हैं..."मां कौन परेशान कर रहा है.....?.."मालविका जी नजरें चुराते हुए कहती हैं..."
काफी देर मालविका जी के समझाने पर देवांश कहता है...." ठीक है मैं आपकी बात मानता हूं आज उन्हें रेस्ट के लिए छुट्टी दे देता हूं लेकिन प्लीज़ आपको किसी भी डाक्टर से कंसल्ट करना पड़े आप बेझिझक करिएगा ...Read Moreदेवांश शेट्टी के नाम से और उन्हें जल्दी ठीक करिएगा...." मालविका जी ठीक है कहकर काॅल कट कर देती है... त्रिश्का को छुट्टी मिलने से सब खुश थे तो वहीं त्रिश्का गुमसुम सी हो गई थी......अब आगे...............त्रिश्का को अचानक परेशान देखकर पायल उससे कहती हैं...." अब तू कहां खो गई...?... तेरे चेहरे पर खुशी होने के बजाय उदासी लग रही
अशवीश्वर जी मालविका जी से उनकी परेशानी पूछते हैं...." बताइए आपको क्या कष्ट है जिसका समाधान हम कर सकते हैं....." मालविका जी त्रिश्का को दिखाते हुए कहती हैं..." महाराज जी मेरी बेटी को कुछ सपने बहुत परेशान करते हैं ...Read Moreवजह से ये बहुत परेशान रहती है...."अब आगे.............अशवीश्वर महाराज त्रिश्का के हाथ को पकड़कर उसकी लकीरों को ध्यान से देखते हुए कहते हैं...." असंभव...?..... मत्स्य वंश की वरदानी कन्या....." अशवीश्वर महाराज इतना कहते ही अपनी आंखें बंद कर लेते हैं लेकिन उससे पहले सबको शांत रहने के लिए कह देते हैं...." आप सब थोड़ी देर शांत रहना मैं अभी इनके
आगे की बात अशवीश्वर महाराज अपने आप से कहते हैं..." उस कन्या का जन्म किसी खास उद्देश्य से हुआ है, ये उसके उद्देश्य को अवरोध कर रही है प्रभु जाने आगे इनका क्या होगा.....?..."अब आगे...............मालविका जी अशवीश्वर महाराज से ...Read Moreहैं....." महाराज जी आगे बताईए मैं कैसे उसे उसके सपनों से दूर करू....?.."अशवीश्वर महाराज उन्हें एक बाजूबंद देते हुए कहते हैं ..." ये कोई साधारण बाजूबंद नहीं है इसके मोती अभिमंत्रित है जो विशेषकर समुद्री रेत को अभिमंत्रित करके बनाया गया हैइससे कोई भी जल जीव आपकी बेटी के पास नहीं आएगा लेकिन...अशवीश्वर महाराज की पूरी बात सुने बिना मालविका