Satya na Prayogo book and story is written by Miss Chhoti in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Satya na Prayogo is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सत्य ना प्रयोगों - Novels
by Miss Chhoti
in
Hindi Spiritual Stories
गांधीजी के बारे मे हर कोई जानता है पर बहोत कम लोग होंगे जिन्होंने उनकी आत्मकथा को पुरा पढ़ा होगा। इस लिए हम आपके लिए ये कहानी लेके आये है। गांधीजी के जीवन के कुछ मजेदार और दुःख प्रसंगो।
सत्य के प्रयोग' महात्मा गांधी द्वारा लिखी वह पुस्तक है, जिसे उनकी आत्मकथा का दर्जा हासिल है। यह किताब दुनिया की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक है. मोहनदास करमचंद गांधी ने 'सत्य के प्रयोग' अथवा 'आत्मकथा' का लेखन बीसवीं शताब्दी में सत्य, अहिंसा और ईश्वर का मर्म समझने-समझाने के विचार से किया था.
गांधी जी ने 29 नवंबर, 1925 को इस किताब को लिखना शुरू किया था और 3 फरवरी, 1929 को यह किताब पूरी हुई थी। गांधी-अध्ययन को समझने में 'सत्य के प्रयोग' को एक प्रमुख दस्तावेज का दर्जा हासिल है, जिसे स्वयं गांधी जी ने कलमबद्ध किया था।
गांधीजी के बारे मे हर कोई जानता है पर बहोत कम लोग होंगे जिन्होंने उनकी आत्मकथा को पुरा पढ़ा होगा। इस लिए हम आपके लिए ये कहानी लेके आये है। गांधीजी के जीवन के कुछ मजेदार और दुःख प्रसंगो। ...Read Moreके प्रयोग' महात्मा गांधी द्वारा लिखी वह पुस्तक है, जिसे उनकी आत्मकथा का दर्जा हासिल है। यह किताब दुनिया की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक है. मोहनदास करमचंद गांधी ने 'सत्य के प्रयोग' अथवा 'आत्मकथा' का लेखन बीसवीं शताब्दी में सत्य, अहिंसा और ईश्वर का मर्म समझने-समझाने के विचार से किया था.गांधी जी ने 29 नवंबर, 1925
आगे की कहानी....... पोरबंदर से पिताजी राजस्थानिक कोर्ट के सदस्य बनकर राजकोट गए। उस समय मेरी उमर सात साल की होगी। मुझे राजकोट की ग्रामशाला में भरती किया गया। इस शाला के दिन मुझे अच्छी तरह याद हैं। शिक्षकों ...Read Moreनाम भी याद हैं। पोरबंदर की तरह यहाँ की पढ़ाई के बारे में भी ज्ञान के लायक कोई खास बात नहीं हैं। मैं मुश्किल से साधारण श्रेणी का विद्यार्थी रहा होगा। ग्रामशाला से उपनगर की शाला में और वहाँ से हाईस्कूल में। यहाँ तक पहुँचने में मेरा बारहवाँ वर्ष बीत गया। मुझे याद नहीं पड़ता कि इस बीच मैंने किसी
आगे की कहानी.... हिंदू-संसार में विवाह कोई ऐसी-वैसी चीज नहीं। वर-कन्या के माता-पिता विवाह के पीछे बरबाद होते हैं, धन लुटाते हैं और समय लुटाते हैं। महीनों पहले से तैयारियाँ होती हैं। कपड़े बनते है, गहने बनते है, जातिभोज ...Read Moreखर्च के हिसाब बनते हैं, पकवानों के प्रकारों की होड़ बदी जाती है। औरतें, गला हो चाहे न हो तो भी गाने गा-गाकर अपनी आवाज बैठा लेती हैं, बीमार भी पड़ती हैं। पड़ोसियों की शांति में खलल पहुँचाती हैं। बेचारे पड़ोसी भी अपने यहाँ प्रसंग आने पर यही सब करते हैं, इसलिए शोरगुल, जूठन, दूसरी गंदगियाँ, सब कुछ उदासीन भाव
आगे की कहानी हास्कुल मे...... मैं ऊपर लिख चुका हूँ कि विवाह के समय मैं हाईस्कूल में पढ़ता था। उस समय हम तीनों भाई एक ही स्कूल में पढ़ते थे। जेठे भाई ऊपर के दर्जे में थे और जिन ...Read Moreके विवाह के साथ मेरा विवाह हुआ था, वे मुझसे एक दर्जा आगे थे। विवाह का परिणाम यह हुआ कि हम दो भाइयों का एक वर्ष बेकार गया। मेरे भाई के लिए तो परिणाम इससे भी बुरा रहा। विवाह के बाद वे स्कूल पढ़ ही न सके। कितने नौजवानों को ऐसे अनिष्ट परिणाम का सामना करना पड़ता होगा, भगवान ही
आगे की कहानी Sad occasion...मैं कह चुका हूँ कि हाईस्कूल में मेरे थोड़े ही विश्वासपात्र मित्र थे। कहा जा सकता है कि ऐसी मित्रता रखनेवाले दो मित्र अलग-अलग समय में रहे। एक का संबंध लंबे समय तक नहीं टिका, ...Read Moreदूसरी दोस्ती की, इसलिए पहले ने मुझे छोड़ दिया। दूसरी दोस्ती मेरे जीवन का एक दुखद प्रकरण है। यह दोस्ती बहुत वर्षों तक रही। इस दोस्ती को निभाने में मेरी दृष्टि सुधारक की थी। इन भाई की पहली मित्रता मेरे मँझले भाई के साथ थी। वे मेरे भाई की कक्षा में थे। मैं देख सका था कि उनमें कई दोष