Satya na Prayogo - 10 books and stories free download online pdf in Hindi सत्य ना प्रयोगों - भाग 10 (2) 1.1k 2.3k 1 आगे की कहानी जाति से बाहर... माताजी की आज्ञा और आशीर्वाद लेकर और पत्नी की गोद में कुछ महीनों का बालक छोड़कर मैं उमंगों के साथ बंबई पहुँचा। पहुँच तो गया, पर वहाँ मित्रों ने भाई को बताया कि जून-जूलाई में हिंद महासागर में तूफान आते है और मेरी यह पहली ही समुद्री यात्रा है, इसलिए मुझे दीवाली के बाद यानी नवंबर में रवाना करना चाहिए। और किसी ने तूफान में किसी अगनबोट के डूब जाने की बात भी कही। इससे बड़े भाई घबराए। उन्होंने ऐसा खतरा उठाकर मुझे तुरंत भेजने से इनकार किया और मुझको बंबई में अपने मित्र के घर छोडकर खुद वापस नौकरी पर हाजिर होने के लिए राजकोट चले गए। वे एक बहनोई के पास पैसे छोड़ गए और कुछ मित्रों से मेरी मदद करने की सिफारिश करते गयो।बंबई में मेरे लिए दिन काटना मुश्किल हो गया। मुझे विलायत के सपने आते ही रहते थे।इस बीच जाति में खलबली मची। जाति की सभा बुलाई गई। अभी तक कोई मोढ़ बनिया विलायत नहीं गया था। और मैं जा रहा हूँ, इसलिए मुझसे जवाब तलब किया जाना चाहिए। मुझे पंचायत में हाजिर रहने का हुक्म मिला। मैं गया। मैं नहीं जानता कि मुझ में अचानक हिम्मत कहाँ से आ गई। हाजिर रहने में मुझे न तो संकोच हुआ, न डर लगा। जाति के सरपंच के साथ दूर का रिश्ता भी था। पिताजी के साथ उनका संबंध अच्छा था। उन्होंने मुझसे कहा : 'जाति का खयाल है कि तूने विलायत जाने का जो विचार किया है वह ठीक नहीं है। हमारे धर्म में समुद्र पार करने की मनाही है, तिस पर यह भी सुना जाता है कि वहाँ पर धर्म की रक्षा नहीं हो पाती। वहाँ साहब लोगों के साथ खाना-पीना पड़ता है।' मैंने जवाब दिया, 'मुझे तो लगता है कि विलायत जाने में लेशमात्र भी अधर्म नहीं है। मुझे तो वहाँ जाकर विद्याध्ययन ही करना है। फिर जिन बातों का आपको डर है, उनसे दूर रहने की प्रतिज्ञा मैंने अपनी माताजी के सम्मुख ली है, इसलिए मैं उनसे दूर रह सकूँगा।'सरपंच बोले : 'पर हम तुझसे कहते हैं कि वहाँ धर्म की रक्षा नहीं हो ही नहीं सकती। तू जानता है कि तेरे पिताजी के साथ मेरा कैसा संबंध था। तुझे मेरी बात माननी चाहिए।'मैंने जवाब मे कहा, 'आपके साथ के संबंध को मैं जानता हूँ। आप मेरे पिता के समान है। पर इस बारे में मैं लाचार हूँ। विलायत जाने का अपना निश्चय मैं बदल नहीं सकता। जो विद्वान ब्राह्मण मेरे पिता के मित्र और सलाहकार है, वे मानते हैं कि मेरे विलायत जाने में कोई दोष नहीं है। मुझे अपनी माताजी और अपने भाई की अनुमति भी मिल चुकी है।''पर तू जाति का हुक्म नहीं मानेगा?''मैं लाचार हूँ। मेरा खयाल है कि इसमें जाति को दखल नहीं देना चाहिए।'इस जवाब से सरपंच गुस्सा हुए। मुझे दो-चार बाते सुनाईं। मैं स्वस्थ बैठा रहा। सरपंच ने आदेश दिया, 'यह लड़का आज से जातिच्युत माना जाएगा। जो कोई इसकी मदद करेगा अथवा इसे बिदा करने जाएगा, पंच उससे जवाब तलब करेगे और उससे सवा रुपया दंड का लिया जाएगा।' मुझ पर इस निर्णय का कोई असर नहीं हुआ। मैंने सरपंच से बिदा ली। अब सोचना यह था कि इस निर्णय का मेरे भाई पर क्या असर होगा। कहीं वे डर गए तो? सौभाग्य से वे दृढ़ रहे और मुझे लिख भेजा कि जाति के निर्णय के बावजूद वे मुझे विलायत जाने से नहीं रोकेंगे।इस घटना के बाद मैं अधिक बेचैन हो गया? दुसरा कोई विघ्न आ गया तो? इस चिंता में मैं अपने दिन बिता रहा था। इतने में खबर मिली कि 4 सितंबर को रवाना होनेवाले जहाज में जूनागढ़ के एक वकील बारिस्टरी के लिए विलायत जानेवाले है। बड़े भाई ने जिन के मित्रों से मेरे बारे में कह रखा था, उनसे मैं मिला। उन्होंने भी यह साथ न छोड़ने की सलाह दी। समय बहुत कम था। मैंने भाई को तार किया और जाने की इजाजत माँगी। उन्होंने इजाजत दे दी। मैंने बहनोई से पैसे माँगे। उन्होंने जाति के हुक्म की चर्चा की। जाति-च्युत होना उन्हें न पुसाता न था। मै अपने कुटुंब के एक मित्र के पास पहुँचा और उनसे विनती की कि वे मुझे किराए वगैरा के लिए आवश्यक रकम दे दे और बाद में भाई से ले लें। उन मित्र ने ऐसा करना कबूल किया, इतना ही नहीं, बल्कि मुझे हिम्मत भी बँधाई। मैंने उनका आभार माना, पैसे लिए और टिकट खरीदा।विलायत की यात्रा का सारा सामान तैयार करना था। दूसरे अनुभवी मित्र ने सामान तैयार करा दिया। मुझे सब अजीब सा लगा। कुछ रुचा, कुछ बिलकुल नहीं। जिस नेकटाई को मैं बाद में शौक से लगाने लगा, वह तो बिलकुल नहीं रुची। वास्कट नंगी पोशाक मालूम हुई।पर विलायत जाने के शौक की तुलना में यह अरुचि कोई चीज न थी। रास्ते में खाने का सामान भी पर्याप्त ले लिया था।_सत्य ना प्रयोगों ‹ Previous Chapterसत्य ना प्रयोगों - भाग 9 › Next Chapterसत्य ना प्रयोगों - भाग 11 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Miss Chhoti Follow Novel by Miss Chhoti in Hindi Spiritual Stories Total Episodes : 13 Share NEW REALESED Love Stories તારી સંગાથે - ભાગ 13 Mallika Mukherjee Comedy stories લગ્નની કંકોત્રીનાં લોચા Tr. 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