Chityuva Buti book and story is written by Brijmohan sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Chityuva Buti is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
चिरयुवा बूटी - Novels
by Brijmohan sharma
in
Hindi Short Stories
मित्रों यह अत्यंत रोमांचक कहानी एक ऐसे आयुर्वेदिक वैद्य की दास्तान है जो हिमालय के जंगलों में मनुष्य के सभी दुखो व बुढ़ापे की समस्याओं को दूर करने वाली बूटी की खोज करता है | वह हिमालय के जंगलों में किसी सिद्ध संत की खोज में भटकता है | इस दौरान उसकी कहीं कुछ चमत्कारिक संतों से तो कहीं बनावटी संतों से भेंट होती है |
तब उसे किसी संत के पास उसे चिरयुवा बूटी के होने की पक्की खबर मिलती है ....
मंनुश्य के दुःख दूर कने वाले एवं उसे सर्वदा जवान बनाये रखने वाली बूटी के लिए किए गए अनुसंधानों की रोमांचक यात्रा पर निकालने के लिए आगे पढ़िए .......
राहत
मेाहन शीला से तलाक पाकर बड़ा खुश था। वह स्वयं को स्वच्छंद हवा मे पंछी जैसा अनुभव कर रहा था। शीला के कारण उसकी समाज मे बहुत बदनामी हुई थी। जब भी कभी जाने अनजाने में उसकी चर्चा वलती तो उसका दिल दुख के समंदर मे डूब जाता था।
कम से कम अब चर्चा निकलने पर वह यह कह सकता था कि उसका उस बदनाम बदचलन लड़की से कोई संबंध नही है। शीला के द्वारा दिए गये धोखे को याद करके वह दुख,घृणा,क्रोध,सहानुभूति व अपमान की अनेक मिश्रित भावनाओं से भर उठता था। शीला उसका घर छोड़कर चली गई |
ब्रजमोहन शर्मा (हिमालय के जंगलों में व्रद्धावस्था दूर करनेवाली चिरयुवा बूटी की खोज की सनसनी दास्तान) समर्पण : भगवान भोलेनाथ के श्री चरणों में ******* भूमिका : मित्रों यह अत्यंत रोमांचक कहानी एक ऐसे आयुर्वेदिक वैद्य की ...Read Moreहै जो हिमालय के जंगलों में मनुष्य के सभी दुखो व बुढ़ापे की समस्याओं को दूर करने वाली बूटी की खोज करता है | वह हिमालय के जंगलों में किसी सिद्ध संत की खोज में भटकता है | इस दौरान उसकी कहीं कुछ चमत्कारिक संतों से तो कहीं बनावटी संतों से भेंट होती है | तब उसे किसी संत के
(2) डूबना मोहन हरिद्वार पर उतर गया । वहां गंगा नदी को दो भागों में बाँट दिया गया था । एक तरफ गंगा को बांध कर रखा था । उसे हर की पौउ़ी कहते हैं। नदी में बउ़ी ...Read Moreमे लोग तैर रहे थे । नदी का प्रवाह बहुत तेज था | कुछ लोग नदी पर बने ऊँचे पुल से नदी में कूद रहे थे। मेाहन अच्छा तैराक था । अनेक लोगों को तैरता देख वह भी तैरते हुए नदी को पार करने का प्रयास करने लगा । आधी दूरी तक तो वह भारी प्रयास करके ठीक से नदी
(3) दाढ़ीवाले बाबाऋषिकेश में हिमालय की एक एकांत पहाड़ी पर रहने वाले संत दाढ़ीवाले बाबा का नाम बड़ा प्रसिद्ध था। एक दिन भेार होते ही मोहन उनके दर्शन हेतु निकल पड़ा । उनके आश्रम में पहुंचने के लिऐ उसे ...Read Moreजंगल मे करीब ढाई कि.मी. पैदल एक पहाड़ी पर चढ़ना पड़ा । वह सुनसान जगह जंगली जानवरों से भरी हुई थी । वहां जंगली जहरीले साँपों बिच्छुओं व अन्य खतरनाक जीव जंतुओं का बड़ा खतरा था | पहाड़ी की चोटी पर एक झोपड़ी बनी हुई थी । झोपड़ी के बाहर एक मंच था। संत कुछ देर बाद कुटिया से बाहर
(4) ‘चोरी का माल मोरी मे’ सुबह मोहन नींद से जागा | हिमालय की वादियों में खिलती धूप को देखकर वह बड़ा प्रसन्न हुआ । चारों और लम्बे लम्बे देवदार के वृक्ष व नीचे बहती अलकनंदा नदी बड़ी ही ...Read Moreलग रही थी । रात को बरसात होने से चारों ओर धरती गीली थी । मानवता के हित के लिए चुराए अपने बूटियों के खजाने को देखने मोहन पास के कमरे में गया । किन्तु यह क्या ! अपने बूटियों से भरे थैले को न देखकर वह स्तब्ध रह गया । उसने कमरे का एक एक कोना छान मारा किन्तु
(5) दानएक दिन एक व्यक्ति मोहन से मिला | उसने अपना परिचय दिया, “ मै विनयकुमार हूँ | दिल्ली में मेरी टायर की बड़ी कंपनी है | मैंने अख़बारों में मनुष्य को चिरयुवा बनाने के आपके महान कार्य के ...Read Moreमें पढ़ा | मुझे बहुत ख़ुशी हुई | मै आपके मानवता के खातिर किए जा रहे कार्यो की प्रशंषा करता हूँ |” उसने एक बड़ी राशि का चेक देते हुए कहा, “ आपके महान कार्य के लिए मेरी एक तुच्छ भेंट स्वीकार कीजिए” | मोहन ने कहा, “ बहुत बहुत धन्यवाद “ वह कहने लगा, “ मै आपसे अपनी समस्या