Shailendr Budhouliya ki Kavitayen book and story is written by शैलेंद्र् बुधौलिया in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shailendr Budhouliya ki Kavitayen is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ - Novels
by शैलेंद्र् बुधौलिया
in
Hindi Poems
।।। एकांत ।।।
................
सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन ।
कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।।
जिन लवों की बात सुन सब खिलखिलाते मस्त हो।
बुदबुदाते हैं वही लव बैठकर एकांत में ।।
लोग ऐसे भी जिन्होंने जन्म से ही जुल्म ढाए।
वह भी रोते हैं कभी कुछ सोचकर एकांत में ।।
एक घर है जिसको वह मंदिर समझता था कभी।
आज उसके द्वार तक जाता है पर एकांत में ।।
मद भरे मादक नयन मदिरा पिला मदहोश करते।
खुद बुझाते प्यास अपनी अश्रु से एकांत में ।।
है किसे फुर्सत लगाए आंसुओं का जो गणित।
कौन जाने किसने कब कितने पिये एकांत में ।।
दोस्त तुमने आजतक जग की सुनी जग से मिले हो।
पर कभी अपनी सुनो खुद से मिलो एकांत में ।।
शोरगुल से दूर तुमको जब कभी फुर्सत मिले।
जी के देखो जिन्दगी क्षणभर कभी एकांत में ।।
।।। एकांत ।।। (1) .................. सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन । कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।। जिन लवों की बात सुन सब खिलखिलाते मस्त हो। बुदबुदाते ...Read Moreवही लव बैठकर एकांत में ।। लोग ऐसे भी जिन्होंने जन्म से ही जुल्म ढाए। वह भी रोते हैं कभी कुछ सोचकर एकांत में ।। एक घर है जिसको वह मंदिर समझता था कभी। आज उसके द्वार तक जाता है पर एकांत में ।। मद भरे मादक नयन मदिरा पिला मदहोश करते। खुद बुझाते प्यास अपनी अश्रु
।।। दिल की बात ।।। (5) .................. जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात । कोई भी मरहम न दे सका सभी से मिले मुझे आघात ।। जुवां पर आकर थम जाती ...Read Moreकैसे कह दूँ दिल की बात ।। हंसी है पलभर की मेहमान छलों का छाया घना वितान । गम के गीत सुनाता नित्य दर्द के हैं लाखों एहसान ।। हुआ है कोईबार यैसा भी, संग संग जागा सारी रात । जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात ।। समझ न पाओ परिभाषा न
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।।। विदाई ।।। (13) जाना ही है तो जाओ । जो रुक ना सको तो जाओ ।। नियति गमन है जाओ । पर शपथ मिलन की खाओ ।। जाने से तुमको रोक सकूं मेरा क्या हक है ...Read Moreएक संयोग बिछुड़ना आवश्यक है आज बिछुड़ने से पहले तुम गीत प्रीत के गाओ जाना ही है तो जाओ ......... महक उठे घर आँगन सारा महके क्यारी क्यारी पुलकित प्रांण पखेरू महकें महके हर फुलवारी जहाँ रहो जैसे भी हो फूलों सी गंध लुटाओ जाना ही है तो जाओ .......... जाने फिर कब मिलें पुराने संगी साथी
प्यार की कहानी (15 ) सुनलो मैं अपने प्यार की कहता हूँ कहानी! गुजरी जो इश्क-ऐ – दिल पे वो है अपनी जुबानी ! कुछ रोज साथ साथ गुजारे हंसी-खुशी। पर कुछ दिवस के बाद ही रहने लगा दुखी। ...Read Moreसोचकर कि अब तो बिछुड़ना जरूर है । फिर जाने कब मिलें कि गांव बहुत दूर है। अब कौन रोज सुबह से आकर जगाएगा। अब कौन मुझको प्यार के नगमे सुनाएगा। अब कौन साथ बैठ जूठी रोटी खाएगा। अब कौन रोज साथ हंसेगा हंसायेगा । मैं तुमको प्यार करता हूँ करता ही जाऊंगा । पर नाम तेरा अपनी जुबां पर