Bandhan Pyar ka book and story is written by Kishanlal Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bandhan Pyar ka is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बंधन प्यार का - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Moral Stories
नरेश से आकर एक युवती टकरायी तो उसके हाथ से बेग गिर गया।नरेश बेग उठाने को झुका तो वह युवती भी झुकते हुए बोली,"सॉरी।"
"नो मेंशन।आल राइट
वह युवती चली गयी लेकिन उसकी मोहिनी छवि नरेश के दिल मे अंकित हो गयी।क्या गजब की सुंदर थी।वह इतनी जल्दी में थी कि नरेश उससे उसका नाम भी नही पूछ पाया।
नरेश उस दिन के बाद रोज उस युवती को प्लेटफॉर्म पर खोजता पर वह उसे नही मिली।लेकिन एक दिन वह ट्रेन में चढ़ा और ज्यो ही अंदर गया।वह युवती उसे मिल गयी।उसके पास वाली सीट खाली देखकर नरेश बोला,"क्या मैं यहां बैठ सकता हूँ
वह युवती नरेश को देखकर मुस्करायी औऱ आंखों के इशारे से उसे बैठने के लिए कहा था।
कुछ देर तक नरेश चुप बैठा रहा।फिर बोला,"मेरा नाम नरेश है।क्या तुम्हारा नाम जान सकता हूँ।"
"क्या नाम बताना जरूरी है?
"नही।"उस युवती की बात सुनकर नरेश बोला और फिर चुप हो गया।कुछ देर तक उनके बीच खामोशी छाई रही।उस खामोशी को तोड़ते हुए वह बोली,"बुरा मान गए।"
नरेश से आकर एक युवती टकरायी तो उसके हाथ से बेग गिर गया।नरेश बेग उठाने को झुका तो वह युवती भी झुकते हुए बोली,"सॉरी।""नो मेंशन।आल राइटवह युवती चली गयी लेकिन उसकी मोहिनी छवि नरेश के दिल मे अंकित हो ...Read Moreगजब की सुंदर थी।वह इतनी जल्दी में थी कि नरेश उससे उसका नाम भी नही पूछ पाया।नरेश उस दिन के बाद रोज उस युवती को प्लेटफॉर्म पर खोजता पर वह उसे नही मिली।लेकिन एक दिन वह ट्रेन में चढ़ा और ज्यो ही अंदर गया।वह युवती उसे मिल गयी।उसके पास वाली सीट खाली देखकर नरेश बोला,"क्या मैं यहां बैठ सकता हूँवह
ओ केहिना चली गयी थी।।और नरेश सन्डे का बेसब्री से इंतजार करने लगा।हिना की मोहक छवि उसके दिल मे ऐसी अंकित हो चुकी थी कि रात हो या दिन वह मोहक छवि उसकी आँखों के सामने घूमती रहती।उसने हिना ...Read Moreनम्बर तो ले लिया था लेकिन अभी इतनी आत्मीयता या इतनी नजदीकी नही हुई थी कि उसे फोन कर सके।कही वह बुरा न मान जाए या अन्यथा न ले ले।फोन करने की चाहे हिम्मत न जुटा पाता पर रात को बिस्तर में वह उसे याद करता और उसे याद करते करते ही सो जाता।और शनिवार को वह बिस्तर में लेटा
"गाइड का क्या करोगे?""गाइड हमें यहां का इतिहास बताने के साथ पूरा म्यूजियम भी दिखा देगा।""कर लो।"हिना ने गर्दन हिलाते हुए स्वीकृति दी थी।"इस म्यूजियम की नींव मेडम तुषाद ने डाली थी।इसीलिए उनके नाम परनरेश ने एक गाइड कर ...Read Moreथा।"इस म्यूजियम का नाम मेडम तुषाद क्यो पड़ा?"हिना ने गाइड से प्रश्न किया था।"इस मुजियम की नींव मेडम तुषाद ने रखी थी।इसीलिए उनके नाम पर इस म्यूजियम का नाम पड़ा।""मेडम तुषाद कौन थी?"हिना ने दूसरा प्रश्न किया था।"मेरी का जन्म फ्रांस में हुआ था।बाद में वह फ्रांस से इंग्लैंड आ गयी।इंग्लैंड में डॉक्टर फिलिप मोम के अंग बनाते थे।मेरी ने
"चेम्बर ऑफ हॉरर में दुष्ट,दुर्जन,हत्यारे निर्मम लोगो के पुतले के साथ उनके जुर्म करने का तरीका भी था,"।गईदे उन्है चेम्बर के बारे मे बताते हुए बोला,"उस चएमबार मे गर्भवती महिलाओं और बच्चों का प्रवेश वरजीत था।""क्यो?"हिना ने पूछा था।"वो ...Read Moreही डरावना और भयंकर था।"।"अब कहा है।""सन 2016 में उसे बन्द कर दिया गया था।उसकी जगह श्वरलोक होम्स के कृतिम पात्रों और कृतित्व है "गाइड ने उन्हें उस भाग को भी दिखया था।म्यूजियम देखकर नरेश और हिना बहार आये थे।नरेश बोला,"भूख लगी है जोर की।""मुझे भी।""चलो कुछ खाते हैं।"नरेश,हिना के साथ रेस्तरां में आ गया था।इंडियन रेस्तरां था।उसमें काफी भीड़
हिना और नरेश खाना खाने के बाद होटल से बाहर आये थे।नरेश बोला,"अगले सन्डे कही चलना है?""फोन पर बात कर लेंगे।"नरेश और हिना मेट्रो से वापस किंग्स्टन लौट आये थे।फिर नरेश और हिना अपने घर चले गए थे।नरेश और ...Read Moreऑफिस में व्यस्त रहते थे।इसलिए रोज तो बात नही हो पाती थी लेकिन शनिवार को नरेश ने समय निकाल ही लिया था।वह फोन करके हिना से बोला,"कल सन्डे है।""मुझे मालूम है।""मालूम है तो बताओ कल घूमने चलोगी?"क्यो नही चलेंगे।जरूर चलेंगे।तुम्हे शक है क्या?""हा।"नरेश बोला था।"क्यो?""पिछले सन्डे को तुमने मेरे साथ चलने से मना कर दिया था।"अरे हां।सही कह रहे हो।मेरी