Bandhan pyar ka - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

बन्धन प्यार का - 11

और एक सन्डे को नरेश हिना के साथ पार्क गया।हिना बोली कोनसे पार्क चलोगे
"हाईड पार्क
और नरेश हिना को अपने साथ लेकर हाईड पार्क गया था।पार्क विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था।वहां पर एक बोर्ड लगा हुआ था।उस पर उस पार्क के बारे में जानकारी दी गयी थी।उस पार्क को सन1873 में इग्लैंड के राजा ने बनवाया था।नरेश,हिना के साथ उस पार्क में चहल कदमी करने लगा।मस्त ठंडी हवा चल रही थी।वहां लगे फूल के पौधों से पार्क महक रहा था।भीनी भीनी खुश्बू फिजा में घुली थी।हिना के बदन से आ रही इत्र की मोहक महक भी उसे मस्त कर रही थी।वे डॉनओ
दोनों घूमते हुए बाते करते हुए आगे बढ़ रहे थे
"उधर लोग इखट्टे क्यो है?"हिना ने इशारा किया था
"चलो देखे
और वे दोनों उधर आ गए।भीड़ इखटटी थी एक आदमी खड़ा होकर भाषण दे रहा था।नरेश ने एक आदमी से पूछा,"क्या हो रहा है
"भाषण
"यहाँ क्यो
"इस जगह को स्पीकर कोरनर कहते है।इस जगह कोई भी भाषण दे सकता है।अपनी बात रख सकता है।अपने विचार व्यक्त कर सकता है।सब कुछ करने कि आजादी है लेकिन
"लेकिन क्या?उस आदमी को चुप देखकर नरेश ने पूछा था
"कोई भी आदमी राजा के खिलाफ नही बोल सकता न ही देश विरोधी बात कर सकता है
"इस पार्क में और क्या खास है
"इस पार्क में सेरपेन्टिन लेक है
"सर्प की आकृति की
"वैसी ही।उसमे बोटिंग की सुविधा भी है
कुछ देर तक नरेश और हिना उस आदमी को सुनते रहे।फिर नरेश बोला"चलो
वे दोनों चहल कदमी करते हुए लेक की तरफ आ गये।वे सूचना बोर्ड पढ़ने लगे।उस पर लिखा था।पहले इस झील में पानी पाइप के जरिये टेम्स नदी से लाया जाता था।अब वही पर बोरिंग से पानी भरा जाता है।यह झील प्रकृतिक नही थी।इसे बनाया गया था।यानी यह झील मानव निर्मित थी।दोनों काफी देर तक उस झील को निहारते रहे।फिर वे आगे आ गए।नरेश ,हिना से बोला,"बोटिंग करे
"चलो
और वे दोनों बोटिंग के लिए आ गए।नरेश बोला,"तुम रुको मैं टिकट लेकर आता हूँ
हिना एक तरफ खड़ी हो गयी।वह वहाँ का नजारा देखने लगी।
नरेश टिकट लेने के लिए गया।काउंटर क्लर्क बोला"कितने लोग हैं
,दो
"इस बोट में दो की जगह ही खाली है।आप लोगो के बैठते ही चल देगी
"हिना चलो
नरेश और हिना बोत में आ गए थे।दो ही सीट खाली थी।नरेश और हिना बैठ गए।उनके बैठते ही बोट चल पड़ी।लेक का सीतल जल औऱ धीरे धीरे बहती ठंडी हवा।लोग मस्ती कर रहे थे।कुछ गाना गा रहे थे।हिंसा आस पास के दृश्य देख रही थी।
नरेश का ध्यान हिना पर था।हवा में उड़ रहे बाल उसके गालो को छू रहे थे।वह बहुत ही प्यारी लग रही थी।नरेश ने अपने हाथ मे झील का पानी भरा औऱ हिना की तरफ उछाला था।हिना ने आंखे निकाल कर उसकी तरफ देखा।नरेश हंसा और उसने फिर पानी उछाला था
"तुम ऐसे नही मानोगे
और हिना ने भी पानी भरकर उसकी तरफ उछाला था।मस्ती करते हुए वे वोटिंग का आनंद लेते रहे।जवानी में मस्ती का अंदाज ही कुछ अलग होता है।जब उनकी वोट चक्कर लगाकर आयी तब दूसरी वोट रवाना हो रही थी।
औऱ वोटिंग करने के बाद नरेश और हिना फिर घूमने लगे।आसमान में सूरज चमक रहा था।स्वच्छ खुला नीला आसमान।मौसम बेहद मस्त और आशिकाना था।