Bandhan Pyar ka - 38 in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बंधन प्यार का - 38

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बंधन प्यार का - 38

और वे तीनों ट्रेन के लिये नई दिल्ली स्टेशन आ गए थे।स्टेशन पर यात्रियो की भारी भीड़ थी।नरेश ने सेकंड ए सी में रिजर्वेशन कराया था।
और वे तीनों अपनी जगह आ गए।हिना ट्रेन में बैठने पर बोली,"यहां की ट्रेन कितनी साफ सुथरी है।"
"औऱ पाकिस्तान की?"नरेश बोला था।
"खटारा।"।"""अब तुम्हे न भारत मे रहना है न पाकिस्तान में।" सास ने कहा था।
ट्रेन चल पड़ी।हिना अपनी सीट पर बैठी खिड़की से बाहर का नजारा देख रही थी।भागती ट्रेन जंगलों,नदी नालों और स्टेशनों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ी जा रही थी।
""कॉफी
"तीन कॉफी देना
नरेश ने कॉफी वाले को आवाज दी थी।वह कॉफी देकर चला गया।वे कॉफी पीने लगे थे।ट्रेन आगरा रुकी थी।नरेश स्टेशन पर उतरा और पेठा खरीद लाया था।नरेश आया तो उसके हाथ मे डिब्बे देखकर बोली,"क्या ले आया?""आगरे का पेठा
नरेश एक पैकेट खोलते हुए बोलालो खाओ।आगरे की मशहूर मिठाई है
और तीनों ने पेठा खाया था। नरेश हिना से बोला,"कैसा लगा?"
"स्वादिष्ट है"।
और बातो ही बातो में ग्वालियर आ गया था।नरेश फिर  नीचे उतर गया इस बार वह दूध कि बोतले ले आया था।मीरा बोली थी," खाना भी खाना है।"
"खाना भी खा लेगे। हिना को भी तो पता चले यहा क्या क्या मिलता है।"
ट्रेन चल रही थी।उन लोगो ने खाना खाया फिर वे अपनी अपनी सीट पर लेट गये।हिना और मीरा नीचे और नरेश ऊपर की बर्थ पर
हिना काफी देर तक सास से बात करती रही।वह बहु को बताती रही जबलपुर में कौन मिलेगा।और फिर वे सो गए थे।सुबह चाय वाले कि आवाज सुनकर उनकी नींद खुली थी।उन्होंने चाय पी थी।
कटनी स्टेशन निकल चुका था।हिना बोली,"अब  कितनी दूर है?"
"यहा से करीब डेढ़ घण्टा लगता है
और वे बाते करने लगे।कभी चाय वाला कभी नाश्ते वाला चक्कर काट रहा था।और धीरे धीरे समय गुजरा और ट्रेन जबलपुर पहुंच गई थी।वे लोग स्टेशन से बाहर आए फिर नरेश ने ओला बुक की थी।और वे रांझी पहुंचे थे।जैसे ही ओला रुकी मौसा मौसी सब बाहर निकल आये थे।
"यह भाभी है।"कोमल दौड़कर आयी और नरेश से पूछा था।
"यह हिना तेरी भाभी
नरेश ने हिना और कोमल का परिचय कराया था।
"आओ भाभी
"रुक जा,"। मीरा बोली,"पहले सब से मिला तो दू
मीरा ने बहु का सब से परिचय कराया फिर कोमल उसे अपने साथ अपने कमरे में ले गयी
"ब च
 भाभी में आP आपके लिए चाय लेकर आती हूँ।फिर आप नहा लेना
कोमल चाय ले आयी।दोनों चाय पीते हुए बात करने लगी।हिना को ऐसा लगा ही नही कि वह  पहली बार कोमल से मिल रही है।चाय खत्म होने के बाद कोमल बोली,"अब आप नहा कर तैयार हो जाय।फिर नाश्ता करेगे।"ह हिना बाथरूम में चली गयी।कोमल मौसी से जाकर बात करने लगी।
नरेश भी नहाने चला गया।मीरा भी कोमल से बोली,"मैं भी  स्नान कर लूं
और फिर नाश्ता तैयार हो गया था।दरवाजे पर शहनाई बज रही थी।बाहर बच्चे  खेल रहे थे।बाहर शामियाना लगा था।जिसमे  कुर्सियों पर लॉग  बैठे गप्पे मार रहे थे।और नाश्ता दिया जाने लगा।
कोमल और हिना कमरे में बैठ गयी।उनके के
 लिये भी नाश्ता आ गया।नाश्ते में जलेबी, कचौड़ी और ओ पनीर के पकोड़े थे।कोमल बोली,"भाभी यह नाश्ता कर लोगी या ब्रेड बटर
"क्यो
"लंदन में तो यह नही मिलता होगा?
"मिलता क्यो नही है।वहा पर भारतीय रेस्टोरेंट भी काफी है