Beti ki Adalat book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Beti ki Adalat is also popular in Motivational Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बेटी की अदालत - Novels
by Ratna Pandey
in
Hindi Motivational Stories
18 साल की स्वीटी के सामने एक बहुत ही विकट समस्या थी। वह समस्या थी मम्मी या पापा किसके साथ उसे अपना आगे का जीवन बिताना है। उसकी मम्मी अलका और पापा गौरव के बीच रोज़ होते झगड़ों के कारण उनका घर शांति का मंदिर नहीं अशांति का अड्डा बन गया था। जहाँ वे दोनों दुश्मनों की तरह झगड़ा करते थे। स्वीटी दोनों के साथ रहना तो चाहती थी लेकिन शांति के माहौल में, जहाँ प्यार हो, अपनापन हो, यदि तकरार हो भी तो पति-पत्नी की तरह दुश्मनों की तरह नहीं। आज उसके मन में तूफान उठा हुआ था क्योंकि अब अलका और गौरव, एक दूसरे के साथ रहना ही नहीं चाहते थे। इसीलिए उन्होंने अब तलाक लेने का अंतिम निर्णय ले लिया था।
18 साल की स्वीटी के सामने एक बहुत ही विकट समस्या थी। वह समस्या थी मम्मी या पापा किसके साथ उसे अपना आगे का जीवन बिताना है। उसकी मम्मी अलका और पापा गौरव के बीच रोज़ होते झगड़ों के ...Read Moreउनका घर शांति का मंदिर नहीं अशांति का अड्डा बन गया था। जहाँ वे दोनों दुश्मनों की तरह झगड़ा करते थे। स्वीटी दोनों के साथ रहना तो चाहती थी लेकिन शांति के माहौल में, जहाँ प्यार हो, अपनापन हो, यदि तकरार हो भी तो पति-पत्नी की तरह दुश्मनों की तरह नहीं। आज उसके मन में तूफान उठा हुआ था क्योंकि
स्वीटी को उसकी मम्मी का इस तरह का व्यवहार बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। उसे तो अपने दादा-दादी से बहुत प्यार था। स्वीटी अब कोई छोटी बच्ची नहीं थी। उसे सब समझता था कि उसकी मम्मी को उसके ...Read Moreबिल्कुल पसंद नहीं हैं। जब तक उसके दादा-दादी रहते, तब तक हर रात अलका और गौरव में झगड़ा होता ही रहता। उसकी दादी स्वभाव से बहुत अच्छी थीं। वह तो अलका को पसंद भी करती थीं लेकिन ताली कभी भी एक हाथ से कहाँ बजती है? उसके लिए दोनों हाथों को जोड़ना ज़रूरी होता है। उन्हें भी यह एहसास तो
स्वीटी के मुँह से अमेरिका ना जाने की बात सुनकर गौरव ने कहा, “बेटा बहुत अच्छा कॉलेज है वहाँ पर, चली जाओ ज़िद मत करो।” “नहीं पापा मैं नहीं जाऊँगी।” “परंतु स्वीटी ...” “पापा मुझे नाना-नानी के आने से ...Read Moreकोई दिक्कत नहीं होती। मुझे तो दिक्कत आप दोनों के कारण होती है। आपके रोज़-रोज़ के झगड़ों के कारण होती है। मैं सब जानती हूँ, आपका झगड़ा करने की वज़ह।” गौरव ने गुस्से में चिल्ला कर कहा, “स्वीटी तुम कुछ ज़्यादा ही बोल रही हो। अभी बहुत छोटी हो, जैसा हम कह रहे हैं सुन लो। तुम्हें अमेरिका जाना ही
आज रात को स्वीटी अपने पापा-मम्मी के कमरे में ही थी। लेकिन वह देख रही थी कि आज दोनों ही शांत थे क्योंकि दोनों के माता-पिता आए हुए थे। कौन क्या कहे। रात के अंधेरे साये ने उन सभी ...Read Moreनींद की गिरफ़्त में ले लिया। सब गहरी नींद में सोए थे लेकिन स्वीटी की आँखों से नींद कोसों दूर थी। वह कल सुबह का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। उसे सचमुच की अदालत में जाने से पहले ही उसके मम्मी-पापा को रोकना था। कल उसे अपने ही घर में एक अदालत खोलनी थी; जिसकी वकील भी वह स्वयं
स्वीटी के दादा-दादी हों या फिर नाना-नानी वे चारों अंदर ही अंदर उनके मन में यह जानते थे। लेकिन आज सबके सामने इस बात का खुलासा होता देखकर उन्हें बहुत दुख हो रहा था। वे सब नहीं चाहते थे ...Read Moreइस बात का ज़िक्र इस तरह से हो। लेकिन स्वीटी तो दिल की बड़ी ही साफ़ लड़की थी। वह जो भी महसूस कर रही थी उसे कहने में उसे जरा-सी भी हिचकिचाहट नहीं हो रही थी। वह जानती थी कि यह सब उसके अपने ही तो हैं। वे तो उसके पापा-मम्मी के पापा-मम्मी ही हैं। बात को संभालते हुए स्वीटी