Manchaha book and story is written by V Dhruva in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Manchaha is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मनचाहा - Novels
by V Dhruva
in
Hindi Fiction Stories
जब से होश संभाला पापा को संघर्ष करते हुए देखा है मैंने। फिर भी मम्मी बिना किसी शिकायत के जिंदगी में साथ दें रहीं हैं। हम नोर्थ दिल्ली में रहते हैं। मेरे दो बड़े भाई है रवि और कवि और मैं उनकी एक लौती बहन पाखि। छोटे थे तब तीनों बहुत लड़ते झगड़ते, साथ खेलते, साथ स्कूल जाते। तब पापा का बिजनेस अच्छा चलता था। एक बार मंदी के मार ने सब छीन लिया। पापा के बड़े भाई-बहन थे पर सब दूरी बनाए रखें थे, शायद उनको डर था कि पापा उनसे मदद न मांगे। पर हम स्वमानी थे, जीतना कमाते
जब से होश संभाला पापा को संघर्ष करते हुए देखा है मैंने। फिर भी मम्मी बिना किसी शिकायत के जिंदगी में साथ दें रहीं हैं। हम नोर्थ दिल्ली में रहते हैं। मेरे दो बड़े भाई है रवि और कवि ...Read Moreमैं उनकी एक लौती बहन पाखि। छोटे थे तब तीनों बहुत लड़ते झगड़ते, साथ खेलते, साथ स्कूल जाते। तब पापा का बिजनेस अच्छा चलता था। एक बार मंदी के मार ने सब छीन लिया। पापा के बड़े भाई-बहन थे पर सब दूरी बनाए रखें थे, शायद उनको डर था कि पापा उनसे मदद न मांगे। पर हम स्वमानी थे, जीतना कमाते
शाम के 5:30 बज चुके थे। वैसे कोलेज मेरे घर से आधा घंटा ही दुर है। जेसे जेसे स्टोप आते गए वेसे वेसे बस की भीड़ भी कम होती गई और हमें बैठने की जगह मिल गई। मैं और ...Read Moreएक सीट पर बैठ गए। बातों बातों में पता चला वो मेरी सोसायटी से तीन सोसायटी आगे एक महिना पहले ही रहने आई है। दोनो में काफी बातें हुई और एक-दूसरे के मोबाइल नंबर भी एक्सचेंज कीए। वेसे में किसी से जल्दी घुल-मिल नहीं जाती परन्तु दिशा का नेचर मुझे अच्छा लगा। हमारा बस स्टोप आ गया, हम दोनो साथ
(आगे की कहानी जानने के लिए मनचाहा और मनचाहा 2 पढ़ें) बसस्टेंड पहुंच कर दिशा से हायहल्लो किया उतने में बस आ गईं। ईधर उधर की बातें करते करते मेरा ध्यान खिड़की से बाहर गया तो मैंने वहीं लड़की ...Read Moreकल वालीं हीं कार में जातें हुएं देखा। १५ मीनट बाद हम कोलेज पहुंच गए। कोलेज लाइफ का एक अपना हीं मजा है सब कितना फ्री लगता है,कोई भी कपड़े पहने, किसी से भी बात करें। - यहां पर तो हम एकदम ढिंचाक स्टाइल में रह सकते हैं क्यो दिशा? - हा यार! बोरींग स्कूल ड्रेस से छुटकारा तों मिला।
शादी में पहुंच गए फाइनली। शादी हमारे दूर के चाचा की बेटी की थी। बारात की खातिरदारी चल रही थी अभी। वैसे जिंदगी की भाग-दौड में हमें टाइम नहीं मिलता रिश्तेदारों से मिलने का पर शादीयों में सब मिल ...Read Moreहैं। एक चाची है हमारे रिश्ते में जो हमेशा शादी के रिश्ते बतातीं रहतीं सबको। वो हमारे पास आए और भाभी से मेरे बारे में पूछने लगे। चाची- कितनी बड़ी हो गई पाखि! बहुत समय बाद देखा तुम्हें। अरे सेतु-मिता लड़का देखा के नहीं इसके लिए? सेतु भाभी- चाचीजी अभी तों यह छोटी है, अभी-अभी
पिछे मुडकर देखा तो चोंक गई। पिछे वहीं लड़का था जिसे मैंने निशा के साथ कार में देखा था। ? उसने फिर से कहा, - में आई हेल्प यू? मैं बाजू पर हट गई, और उन्हें ...Read Moreस्टार्ट करने दिया। उन्होने बताया कि मैंने आपको कोलेज केंटीन में देखा था। मैं कुछ बोली नही पाई। पर हमारी दिशा महारानी तपाक से बोल पड़ी- जी हमने भी आपको देखा था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और चुप रहने का इशारा किया। थोड़ी देर ट्राइ करने के बाद स्कूटी स्टार्ट हो गई। हम थेंक्यु कहकर वहां से निकल गए। मैं दिशा को