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मनचाहा - 33

घूमते घूमते हम थिएटर पौने तीन बजे पहुंचे। मेरा प्लास्टर वाला पैर देखकर सब मुझे ही देखे जा रहे थे। मैंने निशु से कहा- यार ये सब लोग मुझे ही देख रहे है।
निशु- देखने दे, हमें यहां मूवी देखनी है ना के सब के चेहरे। तु बिंदास घूम ना।?
मै- तु भी सही है पर मुझे कहीं बिठा ले अब पैर में दर्द हो रहा है।
रवि भाई- अब शो का टाइम हो ही गया है तो अंदर ही चलते है।
जैसे तैसे में ऊपर चढ रही थी तो अवि ने आगे आकर मुझे अपने हाथों से उठा लिया और ऊपर चढ़ ने लगे।
मै- यह क्या कर रहे है आप? सब देख रहे है। मुझे नीचे उतारिए।

मै बड़बड़ाती रही तबतक वह मुझे हमारी सीट तक ले आए। हमारी चार सीट के आजूबाजू लड़के बैठे थे। अवि और रवि भाई ने मुझे और निशु को बीच में बिठाया और वे हमारे आसपास बैठ गए। पहले कुछ लोग देख ही रहे थे और अब तो सब देख रहे थे। क्या सोचेंगे मेरे बारे में, इतने दर्द में रह गई थी पिक्चर देखे बगैर। कुछ लोग तो हस भी रहे थे। इतनी शर्म आ रही थी के पूछो मत। जब पिक्चर स्टार्ट होने से अंधेरा हुआ तभी मुझे शांति मिली, कोई बार बार देखेगा तो नहीं।
मूवी वाकई में जबरदस्त है। इंटरवल में कोल्ड्रिंक्स और पॉपकॉर्न के सिवा तो मजा ही नहीं आता। अवि और रवि भाई जाकर कोल्ड्रिंक्स और पॉपकॉर्न ले आए। अब तो इनके साथ मजा ही आ जाएगा। फिर से मूवी स्टार्ट हुई। कुछ देर बाद मुझे लगा किसीने मेरे पीछे हाथ रखा है। मुड़कर देखा तो वो अवि का हाथ ही था। मैंने उनसे कहा- ये क्या हरकत है? यहां तो सीधे बैठिए। मूवी देखने का मजा किरकिरा मत कीजिए।?
अवि फिर सीधे बैठ गए मूवी खत्म होने तक। मूवी खत्म होने के बाद रवि भाई मुझे घर छोड़ने आए।

रवि भाई जब घर में मुझे सहारा देकर छोड़ने आए तो सब घरवाले एक साथ बंब की तरह फूटने लगे। क्या हुआ? कैसे हुआ? कहा गिर गई? कौन से डॉक्टर से प्लास्टर करवाया?
मैंने कहा- मै घर में आ जाऊं या वापस चली जाऊं?
कवि भाई- अरे बेचारी को अंदर तो आने दो। क्या दरवाजे पर ही टूटी टांग के साथ रोक लिया ?।
अब ड्यूटी मेरे दोनों भाई निभाने लगे। मुझे दोनों तरफ से सहारा देकर सोफे पर बिठाया।
मै- भैया मेरा एक पैर सलामत है अभी। दोनों ओर से सहारा नहीं चाहिए।
मेरे रवि भाई- तु चुप रह ओर यह बता कहा से गिर कर अाई?
मै- चुप रहकर कैसे बताऊ??
मिता भाभी- क्या हुआ पाखि, अब बताएगी या नहीं?
मै- निशु के घर गिर गई थी चलते चलते। कालीन में पैर अटक गया तो गिर गई। अवि के क्लासमेट के पापा ऑर्थोपेडिक है वहीं दिखाकर आ रहे है। हेयर लाइन क्रेक है। पंद्रह दिनों में ठीक हो जाएगी। इतना काफी है या और मसाला डालकर बताऊं?
कवि भाई- चलो कुछ दिन आराम हो जाएगा।
मै- नहीं, कॉलेज तो मै जाऊंगी ही। डॉक्टर वाले रवि भाई मुझे यहां से ले जाएंगे ओर छोडने भी आएंगे। अभी लास्ट year है तो ध्यान भी अभी ही ज्यादा देना है। घर पर रहकर क्या करूंगी?
मेरे रवि भाई- भाई रवि तु इसे सही सलामत ले जाना। अगर ना भी आना है तो मै या कवि छोड़ देंगे कोलेज और तुम वापस ले आना।
रवि भाई- आऊंगा न भैया, मुझे भी तो रोज जाना ही है वहा तो दोनों भाई बहन साथ में चले जाएंगे।
कवि भाई- पाखि, ठीक लगे तो ही जाना कल। वरना एक दिन आराम कर ले।
मै- भाई कल तक ठीक होगा ही।
रवि भाई- अच्छा तो मै चलता हुं। कल मिलते है फिर।
रवि भाई सब को गुड नाइट बोलकर चले गए।

सेतु भाभी मुझे अपने कमरे में ले जाती है। रात का खाना मुझे ऊपर ही भिजवा देती है। उन सब के डिनर के बाद चंटू बंटू मेरे कमरे में आ जाते है। उनके साथ बैठे बैठे मस्ती करती हूं।
बंटू- बुआ, आप अब हमारे साथ ज्यादा टाइम नहीं बिताती। हम मम्मी पापा के साथ बोर हो जाते है।
मै- sorry बच्चा, अब सारा टाइम आपको ही दूंगी। वो तो बुआ को पढ़ना बहुत पड़ता है अभी, तो आपको टाइम नहीं दे पाती। एक बार डॉक्टर बन जाऊ बाद में हम साथ में डॉक्टर डॉक्टर खेलेंगे ठीक है।
चंटू- ठीक है बुआ, हम पक्का खेलेंगे।
तभी रवि भाई आते है- चलो बच्चो बुआ को आराम करने दो। कल आराम से बात करना चलो अब..। पाखि तु अब आराम कर और तुम्हारी दवाई कहा है?
मै- ओह हां... दवाई भी खानी है ?। वो मेरे पर्स में है। दूध के साथ लेने को कहा है।
रवि भाई- मै तेरी भाभी को भेजता हूं दूध लेकर पर कल से तु मेरे कमरे में सो जाना। ऊपर नीचे करने में तेरा पैर दुखेगा।
मै- नहीं भैया, मै अपने कमरे में ही रहूंगी। मुझे आपके रूम में निंद नहीं आएगी। फिर कपड़े भी ऊपर से लाने पड़ेंगे। में धीरे धीरे आ जाऊंगी। फ़िक्र मत कीजिए।
दवाई लेकर में गहरी नींद सो गई।

अगली सुबह आंखे खुली, पैर में दर्द हो रहा है। आह! उठने में भी तकलीफ पड रही है। नहाऊंगी कैसे यह तो सोचा ही नहीं। मिट भाभी ऊपर ही चाय नाश्ता ले आए। उनकी मदद से में बाथरूम तक पहुंची। मिताभाभी ने आज कोलेज जाने से मना ही कर दिया। कहती है- बाथरूम तक तू अपने आप नहीं जा सकती तो कोलेज में क्या करेगी? मेरी मानो तो कुछ दिन की छुट्टी ही ले लो।
मै- सच में भाभी मुझे भी यही लग रहा है। लगता है कुछ दिन तो आराम करना ही पड़ेगा। मै निशु से कह दूंगी रोज मुझे नोट्स देती रहे। दो महीने बाद फाइनल एग्जाम्स भी है क्या करू कुछ समझ में नहीं आ रहा। दिशा को बता देती हु आज कोलेज नहीं आऊंगी। दिशा को जब कॉल किया तो वह नहाने गई थी। उसकी मम्मी को बाद में कॉल करती हूं कहा ओर बाद में रवि भाई को कॉल किया।
मै- हेल्लो रवि भाई, में आज कोलेज नहीं आ पाऊंगी।
रवि भाई- मुझे पता ही था, तु नहीं आ पाएगी। तुझे ही भूत चड़ा था आने का। तु आराम कर नोट्स तो तुझे कोई भी भेज देगा।
मै भैया से बात कर रही थी तब दिशा का कॉल वेटिंग आ रहा था। मैंने भाई को बाद में कॉल करने को कहा और दिशा का कॉल अटेंड किया।
दिशा- हा फोन किया था तूने?
मै- हा, यह बताने की आज मै कोलेज नहीं आने वाली तु राजा के साथ चली जाना।
दिशा- क्यो क्या हुआ?
मै- कल निशु के यह गई थी तब गिरने से पैर में हेयर लाइन क्रैक अाई है।
दिशा- प्लास्टर लगा दिया? तब तो में उस पर ड्राइंग करने जरूर आऊंगी।?
मै- पागल कितना दुख रहा है वह पूछती नहीं ओर ड्राइंग की पड़ी है तुझे।
दिशा- सोरी सोरी, पर मेरा फेवरेट है किसी के प्लास्टर पर zero- cross खेलना।
मै- तु कभी नहीं सुधरेगी।? अच्छा चल मुझे नोट्स भेज देना आज की ओर सबको बता भी देना वरना सब बार बार फोन करके परेशान करेंगे के क्यो नहीं आई। चल बाय, और राजा को भी फोन करदे नहीं तो वह साकेत के साथ चला जाएगा।
दिशा- हा हा फोन करती हु अभी, ओके बाय।

बस अब आराम ही करना है कुछ दिनों तो घर पर ही सब पढ़ाई कर लेती हुं। इस बार अच्छा रिज़ल्ट लाना है मुझे। पिछले साल मेरा रिज़ल्ट कम था, पर इस बार नहीं। मेरे ओर मेरे करियर के बीच कोई नहीं आएगा अब। दोपहर का खाना भाभी दे गई बाद में दवाई भी खा ली। फिर पढ़ते पढ़ते नींद ही आ गई। जब उठी तो शाम के पांच बज चुके थे। में धीरे धीरे नीचे अाई। भाभी ने मुझे चाय पिलाई। चंटू बंटू भी पास में बैठ गए। फिर क्या फूल मस्ती और हमारा फेवरेट कार्टून। अभी आधा घंटा ही बिता के कोलेज से मेरे सारे फ्रेंड्स टपक पड़े एक एक करके।

साकेत- कैसी है अब?
मै- ठीक हुं।
काव्या- कोलेज नहीं आना था तो मना कर देती गिरने की क्या जरूरत थी?? दिखा कहा चोट लगी है?
मै- नहीं आना होता तो पेट दर्द का बहाना करती, पैर क्यो तुड़वती??
मीना- तु कहा इस बोडम की बात सुनती है, ये तो है ही पागल।
काव्या- पागल मै नहीं, वो तो दिशा है।?
दिशा- ए तु मुझे कहां बीच में ला रही है? हां, पागल बोल सकती है राजा के प्यार में ?।
रिद्धि- ये नहीं सुधरेगी। दिशा तु जब डॉक्टर बन जाए तब ऐसे बात मत करना पेशेंट्स से वरना पागल समजकर सब भाग जाएंगे।?
रिद्धि की बात पर सब हस पड़े। हम बात कर रहे थे तब तक भाभी सबके लिए चाय नाश्ता लेकर आए।
मीता भाभी- आज आप सब यही खाना खाके जाएंगे।
दिशा- भाभी फिर कभी आएंगे आज रहने दीजिए। आज तो कोलेज से बहुत कठिन टॉपिक मिला है। घर जाकर तैयारी करनी है इसकी। पाखि तु भी देख ले इसे।
मैंने अपनी बुक मंगवाकर उस टॉपिक के बारे में नोट कर लिया। फिर कुछ देर सबने बाते कि और सब अपने अपने घर को निकल गए। अभी निशु और रवि भाई नहीं आए थे, लगता है साथ में आएंगे।

सब के जाने के बाद मेरे दोनों भाई आ गए। वैसे उन्होंने दिन में दो तीन बार फोन करके मेरे बारे में भाभी से पूछ लिया था फिर भी आते ही सीधा मेरे पास बैठ गए।
रवि भाई- कैसी है मेरी बहना?
मै- आपकी बहना ठीक है अब।
कवि भाई- और मेरी बहना कैसी है?
मै- आपकी भी बहना ठीक है कवि भाई।?
सेतु भाभी- आप दोनों के लिए चाय बना दूं या सीधे खाना खायेंगे?
कवि भाई- चाय तो नहीं चाहिए, पर इस गरीब पर दया खाकर खाना दे देना आठ बजे।?
सेतु भाभी ने मिता भाभी को आवाज लगाई- ए मीता.., तेरे वो तुझे बुला रहे है।
कवि भाई- अरे भाभी उस मुसीबत को क्यो बुला रही है?
सेतु भाभी- वहीं तो आज आपको खाना देने वाली है। आज का सारा डिनर उसने ही तैयार किया है।
कवि भाई- मर गए।?
मै- खास आपकी पसंद का खाना बना है।
कवि भाई- तब तो मेरा उपवास है।
कवि भाई का बोलना और मीता भाभी का सुनना..। बस खत्म...। आज तो कवि भाई की खैर नहीं। और हम सब इसका मजा लेने वाले है ?।
मीता भाभी- क्या कहा, उपवास रखना है? हा तो रखिए अब एक निवाला नहीं मिलने वाला।
कवि भाई- अरे मै तो बस यूं ही कह रहा था। बाकी तुम्हारे हाथ की रसोई तो मतलब ?। क्या स्वाद है तेरे हाथो मै।
मीता भाभी- कितने भी मस्के लगलो आज तो उपवास करवाके छोडूंगी।?
कवि भाई- ये सेतु भाभी मूजसे सब बुलावा रही थी। हम तो मजाक कर रहे थे। है ना सेतु भाभी?
सेतु भाभी- नहीं नहीं, हम मजाक नहीं कर रहे थे मीता। मै तो बता रही थी के आज तो मीता के हाथ का स्वादिष्ट भोजन मिलने वाला है। क्यो पाखि सच कहना?
मै- हा बिल्कुल, भाभी हम तो कब से खाने का इंतजार कर रहे है। चलिए मीता भाभी सब तैयार हो तो हम आजाए डिनर टेबल पर??
मीता भाभी- हां, वैसे भी टाइम हो ही गया है। आ जाइए सब कवि के सिवा।
कवि- अरे मैंने क्या किया? मुझे भी भूख लगी है।
बंटू- पापा तो मेरी तरह कर रहे है, जैसे मै करता हुं। भूख लगी है..। और हां मम्मी पापा आपको मुसीबत बुला रहे थे।
मीता भाभी- क्या... मुसीबत?? अब तो आप मेरा कहर आज देख ही लेना ?।

हम सब कवि भाई को वहीं बैठा छोड़कर खाने बैठ गए। बेचारे मुंह लटकाते पीछे पीछे आ गए। फिर उनका मुंह देख मैंने भाभी को बोला के आज माफ कर दे इन्हें। सब भड़ास रूम में निकाल देना। इतना कहते ही भैया मेरी प्लेट पर ही जपट पड़े भुक्कड़ की तरह।? हम सब हस हसकर लोटपोट हो गए। हम सब ने खाना खत्म किया ही था के निशु, अवि और रवि भाई आ गए।

निशु- कैसा है पैर का दर्द? ओर ये क्या सब ने प्लास्टर पर डिजाइन भी बना दिए।? मेरे लिए जगह छोड़ी या नहीं?
मै- अरे तेरे लिए जगह रखी है ये देख।
निशु तो मेरे प्लास्टर पर सब हॉस्पिटल के टूल्स के ड्रॉइंग करने लगी।
मै- अरे यह क्या कर रही है? एसा भी कोई ड्रॉइंग करता है?
निशु- बेबी... डॉक्टर है तो उसी का ड्राइंग करूंगी ना और ठहर में इसका फोटो भी निकालती हूं। अविभाई, रवि लगे हाथो तुम भी कुछ लिख दो।
रवि भाई तो सिर्फ get well soon लिखते है पर अवि प्लास्टर के एंड पर नीचे एक हार्ट का ड्रॉइंग करते है और लिखते है विथ लव।
सब के सामने मै कुछ बोल नहीं सकती थी तो वे मेरे सामने मुस्कुरा रहे थे।
निशु- अच्छा तूने डिनर कर लिया है तो तैयार हो जा।
मै- क्यो?
निशु- तु पूरा दिन घर पर बोर हो गई होगी तो तुझे घूमने ले जाते है। और हमारा डिनर आज बाहर है तो तु हमारे साथ बैठना। फिर हम आइस क्रीम खाएंगे।
मै- सोरी यार पर आप लोग जाईए, मुझे नहीं आना।
अवि- हम तुझे पूछ नहीं रहे, बता रहे है के हमारे साथ आना है। रवि भाई- कवि भाई आपको कोई ऐतराज तो नहीं अगर हम पाखि को साथ ले जाए?
रवि भाई- अरे नहीं नहीं, हमें कोई एतराज़ नहीं। पाखि तु चली जा उनके साथ, तेरा भी मन बहल जाएगा।
मै- पर भैया...
निशु (बीच में टोकते हुए)- पर वर कुछ नहीं। तु चल रही है बस। रवि तु पकड़ एक तरफ से, एक तरफ मै पकड़ती हुं इसे।
मै- मै चल सकती हु धीरे धीरे, पकड़ने की जरूरत नहीं है।
निशु- हा तो चल अब देर हो रही है। भूख बहुत जोरो से लगी है।

मै मेरे दोनों भाई के कहने पर उन लोगो के साथ चलती हुं। मै कार में पीछे की सीट पर पैर लंबे करके बैठ गई। निशु मेरे साथ पीछे बैठी थी। रवि भाई अपनी इनोवा कार लेकर आए थे ताकी मै कंफर्टेबल बैठ सकु। घर से रेस्टरां तक निशु मेरे पास बैठी फिर जब उनका खाना खत्म होने के बाद हम आइस क्रीम पार्लर गए तब वो आगे बैठ गई और अवि पीछे आ गए। मुझे पता है ये कुछ ना कुछ तो करेंगे ही। और हुए भी ऐसा ही। निशु ओर रवि भाई आगे देख रहे थे तो उन्होंने मेरे प्लास्टर लगे पैर पर जूक कर पैरो की उंगलियों को चूम लिया। निशु के कारण मै कुछ बोल नहीं पा रही थी। पर मैंने उनके हाथ पर जोर से एक चिमटी जरूर काटी। और उनके मुंह से दर्द से आह निकल गई। निशु ने पूछा भी कि क्या हुआ? उन्होंने यह कह दिया शायद कोई मच्छर कार में आ गया है। मेरे सामने देख के हसे जा रहे थे बेशर्म कहीं के। पांच मिनट बाद हम आइस क्रीम पार्लर पहुंचे। सब ने अपनी अपनी पसंद की आइस क्रीम मंगवाई और छोटे बच्चे की तरह मजे ले लेकर खाने लगे।??

क्रमशः