Manchaha - 30 books and stories free download online pdf in Hindi

मनचाहा - 30

सुबह जल्दी तैयार होके सबने ब्रेकफास्ट किया और अपना सामान कार में रखवाया। रवि भाई मेरे पास आकर कहते है कि में निशु को अपना फैसला सुनाने वाला हुं।
मै- उम्मीद करती हूं जवाब हा ही होगा।
रवि भाई- तेरा हुकुम सर आंखो पर।

मैं congrats कहती हुई उनके गले लग जाती हु। सब रिद्धि और अंकल आन्टी को बाय बोलकर कार में बैठने जाते है। अंकल आंटी ने बहुत सारी मिठाईयां साथ में सबको दी और वापस आते रहने को कहा। मैंने घर पर कॉल करके हमारे निकलने के बारे में बता दिया। मै जब लास्ट में कार मै चढ़ी तो सब विंडो सीट पकड़कर बैठ गए थे। अब दो लव बर्ड्स साथमे बैठे है। अब मै कहा बैठु? सिंगल सीट पर तो जब मै सो जाती हुं तब हमेशा गिरती ही हुं। यह सब नालायको ने मेरी सीट रोक ली हैं। उनके बाजू में भी बैठूंगी तो भी बाहर ही बैठना पड़ेगा।
मै- कोई मुझे विंडो पर बैठने देगा plz।
काव्या- सामनेवाली सीट विंडो ही है।
मै- काव्या, एक पर तो साकेत है और एक पर मीना बैठी है। और सिंगल सीट पर जब सो जाती हूं तो गिर पड़ती हुं। आते वक्त तू पूछले निशु से। और वोमिट फिर से शुरू हुई तो...।
काव्या- तो निशु के पास बैठना।
निशु पीछे से कहती है- मुझे रवि से कुछ subjects discuss करने है तो रवि मेरे साथ ही बैठेगा। तु सामने बैठना।
रवि- क्या छोटे बच्चों की तरह लड़ रहे हो। तु इधर आजा अवि के पास। उसकी बाजू की सीट खाली ही है। ए अवि, जरा बाजू होजा तो पाखि वहां बैठे।
अवि लास्ट सीट पर बैठा सब सुनता है पर कोई रिएक्शन नहीं देता। वो भी विंडो सीट पर ही बैठा था।
रवि फिरसे उसे साइड होने को कहता है तब जाकर वह मुझे बैठने देते है। मै भी थैंक्स कहकर बैठ जाती हु।

कुछ देर बाद ही मुझे नींद आने लगी और मै सो गई। एक डेढ़ घंटे तक मै सोती रही थी। जब आँख खूली तो मै अवि के कंधे पर अपना सिर रखकर सोई थी। और अवि का सिर मेरे सिर पर टिका था। उनको आराम से सोता देख मै बिना हिले उनके कंधे पर अपना सिर टिकाए बैठी रही। शायद मुझे अच्छा लग रहा था इस तरह उनके कंधे पर सिर रखना, पर क्यो..??? मैंने सुबह ही वॉमिट की दवाई ले लि थी तो अबतक हालत अच्छी थी। पता नहीं आते वक्त क्यो हालत खराब हुई थी। कुछ देर बाद तो मेरी गर्दन अकड़ने लगी थी तो मैने अपना हाथ उनके हाथ पर दे मारा। मेरा हाथ लगने से वह उठ गए पर मैंने सोने का नाटक करते हुए अपना सिर टेढ़ा मेढ़ा करके उनके बाइसेप्स पकड़कर सो गई। उन्होंने भी मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया। मेरे सोने का फ़ायदा उठा रहे है। वैसे मै भी तो यही कर रही हुं। क्या डोले शोले बनाए है यार..। मेरी कभी नजर क्यो नहीं पड़ी इन पर। पंद्रह बीस मिनट बाद मैने उठने का नाटक किया तो अवि ने जल्द अपना हाथ हटा लिया और सीधे बैठ गए।

मैने उन्हे sorry कहा और सीधे बैठ गई। अंदर ही अंदर मुझे हसीं भी आ रही है। कार मे सब सो गए है। इतने दिनों की थकान दिख रही है सबके चहरे पर। मैं अवि को अभी sorry बोल देती हुं। मैंने अवि की ओर देखा तो वह सामने की तरफ देख रहे थे। मैने धीरे से उनको नाम लेकर बुलाया तो उन्होंने मुझे अनदेखा कर दिया?। मैने फिर से बुलाया तब भी सामने तक नहीं देखा। यह क्या बात हुई? सोता देख हाथ रख रहे है और बुला रही हूं तो देख नही रहे।? मैंने अपने पर्स से पेन निकाली और उनकी हथेंली अपने हाथ में लेकर उसमें sorry लिख देती हु। वह पढ़के मेरे सामने देखते है तो मै अपने कान पकड़ लेती हुं। वह मेरे कान के पास आकर धीरे से कहते है- माफी ऐसे नहीं मिलेगी।
मै- तो कैसे मिलेगी?
अवि- जब तु सामने से मुझे किस करेगी।
मैं- यह क्या बात हुई? एक तो मैं आपसे माफी मांग रही हु और आप है कि..। आपको भी मुझसे माफी मांगनी चाहिए थी।
अवि- मै क्यो?
मै- चांटा किसने मारा था मुझे? लड़कियो पर कोई हाथ उठाता है?
अवि- इसकी सजा भुगत रहा हु मै।
उन्होंने मुझे अपनी दूसरी हथेली बताई। उसमे जलने का निशान था।
मैं- ये क्या हुआ?? हाथ कैसे जला?
अवि- टेबल के ड्रॉअर मै मोमबत्ती रखी थी।
मै- क्या? पागल है क्या आप?
अवि- तेरे प्यार मै। मैंने अपने आपको सज़ा दे दी है तो मै तो माफी नहीं मांगुगा। तुम्हे माफी चाहिए तो जो कहा है वह करो।
मैं- कभी नहीं।
अवि- तो माफी भूल जाओ।

इतना कहते ही वह आंखे बंद करके सोने का नाटक करते है। मैं भी बाहर देखने लगती हु। कितने अकडू किस्म के इंसान है। कभी नहीं सुधरेंगे। अवि ने अपना हाथ जला लिया वो भी मेरी खातिर? क्या सच में यह मुझसे प्यार करते है या फिर...।

रास्ते में दो बार सब फ्रेश होने रुके थे बाद में सीधे दिल्ली। पूरे रास्ते ना मैने अवि को बुलाया ना उन्होंने मुझे। बस एकदुसरे को देख लेते थे। अवि और रविभाई ने सबको अपने अपने घर पहुंचाया, काव्या-मीना को हॉस्टल छोड़ा और बाद में अपने अपने घर गए।

घर पहुंची तो मेरे दोनों बदमाश चन्टू-बन्टू मुझे देखकर जंप करके गोदी में आ गए।
चन्टू- बुआ अब कभी हमें छोड़कर मत जाना।
बन्टू- और जहा भी जाना हमें साथ लेकर जाना।
मैं- मुझे भी तुम सब के बिना अच्छा नहीं लगता था। हा पर हमने एन्जॉय बहुत किया।
देर तक हम सब बातें करते रहे। मैंने नैनीताल में क्या क्या किया सब बता रही थी। बीच में कड़वी यादे भी आ गई जो मै बता नहीं सकती थी।?
कविभाई- चलो अब इसे सोने दो थककर आई है। बाकी बातें कल कर लेना।
भाभी ने मेरा सामान उठाया उपर उपर रखने आए। और कहा के धोने के कपड़े निकाल दे। सुबह जल्दी ना उठाना पड़े तुझे। मैने कपड़े देकर कहा- मैं कल कॉलेज नहीं जाने वाली तो जल्दी मत उठाना।
भाभी ठीक है कहके चली गई।

एक दिन आराम करके सब कोलेज के लिए निकल पड़े। आज हमारा पूरा दिन व्यस्त जाने वाला है। इतने दिनों से काफी एन्जॉय कर लिया अब पढ़ाई पर भी ध्यान देंगे वरना रेंकर ग्रुप का नाम खराब हो जाएगा। आज जब मै कॉलेज आई तो अवि कॉलेज के स्टेप्स पर ही बैठे थे। मेरी नजर उन पर पड़ी तो वह मुजसे नज़रे हटाके श्रुति दी के साथ बात करने लगे। उन्हे पता नहीं, मुझे इग्नोर करने से मुझ पर कोई असर नहीं होने वाला। वैसे भी यह उनका लास्ट year है, फिर इनसे जान छूटेगी। रवि भाई ने यह नोटिस किया के अवि उनसे मेरे बारे मै कोई बात नहीं कर रहे या मेरी तरफ खास देख भी नहीं रहे है। मैं और दिशा अपना लेक्चर अटेंड करने चले गए।
दिशा- पाखि, तूने नोटिस किया?
मै- क्या?
दिशा- आज अवि ने तेरी तरफ नहीं देखा।
मै- उसकी मर्जी, और मै चाहती भी नहीं वो मुझे देखे ?।
दिशा- आदमी की फितरत इतनी जल्दी बदल जाती है सोचा न था। सच बता तेरे और अवि के बीच कुछ हुआ था न नैनीताल में?
मै- कुछ नहीं हुआ, छोड़ यह सब देर हो रही है।

हम दोनों के अलावा सब आ चुके थे। एक दूसरे को हाय-हैलो किया तब तक सर आ गए और pediatrics का लेक्चर शुरू हुआ। हम सबने mbbs के बाद का प्लान बना लिया था। मैं और साकेत radiologist बनना चाहते है। निशु, दिशा और काव्या gynaecology में जाएंगे। मीना, रिद्धि, और राजा pediatrician बनना चाहते है। रवि भाई orthopedic बनना चाहते है और अवि का पता नहीं। सब अपने aim को ध्यान में रखकर पढ़ाई कर रहे है। मुझे सबने पूछा तु हमसे अलग क्यों होना चाहती है। मुझे पता नहीं था इनका जवाब पर मै यही बनना चाहती हुं। पूरे दिन लेक्चर भरके जब घर को निकले तो अवि जानबूझ कर श्रुति दी को पीछे बिठाकर मेरे सामने से बाइक पर जाते है। ये एसा क्यो कर रहे है, पगला गए लगते है।

यह सिलसिला रोज चलने लगा। अब हमारा आखरी साल है और रवि भाई और अवि की इंटर्न शीप बाजु के हॉस्पिटल में ही है। मुझे लगा कहीं और जाएंगे तो सब भूल जाएंगे पर यह तो...। उनका टाइम अब बदल चुका था पर वह केंटीन में कभी न कभी मिल ही जाते थे। पर अब वह मेरी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। शुरू शुरू में श्रुति दी के साथ दिखते थे पर अब कभिकभार ही दिखते। मै निशु के घर अब भी जाती हुं। हम साथ रात को पढ़ते है एक्जाम के टाइम। अवि डिनर के वक्त साथ बैठ ते है पर मुझे देखते तक नहीं। चुपचाप अपना खाना खत्म करके चले जाते है। एक दो बार आंटी ने कहा था यह अब ज्यादा बात नहीं करता। तो अंकल ने कहा था पढ़ाई का प्रेशर होगा। बात वही खत्म हो गई। पर मुझे उनके इस रवैए के बारे में पता था। नैनीताल से आने के बाद उन्होंने एक सप्ताह तक किए मुझे massages। पर मैंने उनका कोई रिप्लाइ नहीं दिया था। तब से यह सब चल रहा है। मेसेज में उन्होंने मुझे घमंडी कहा था तब से मेरा भी माथा ठनका हुआ है। दोनों अपने अपने ego के साथ है

जब हम केंटीन में थे तब अवि और रवि भाई आए। अवि ने निशु को हाय बोला और मेरी तरफ नजर की और मुंह फेर लिया। रवि भाई ने यह नोटिस किया। कॉलेज से छूटते वक्त दिशा राजा के साथ चली गई थी। मुझे बस स्टैंड पर अकेला देखकर रवि भाई अपनी कार मेरे नजदीक लाए और बैठने का इशारा किया। मै जब अंदर बैठी तब उन्हे बताया दिशा राजा के साथ चली गई है।
रवि भाई- और निशु?
मै- निशु अवि के साथ।
रवि भाई- उसने तुझे आने को नहीं कहा?
मै- हमें पता नहीं था राजा आने वाला है बाइक पर। जब वह आया तो मैने ही दिशा को भेजा राजा के साथ।

कुछ देर बाद रविभाई ने मुझसे पूछा अवि का रवैया तेरी तरफ बदल क्यो गया? जबसे हम संजना की शादी से आए है तबसे वह तेरे बारे में ज्यादा नहीं बोलता। सच बताना क्या हुआ था जब तुम दोनों अकेले रात को घूमने गए थे? मैने उस रात के बारे में उनको बताया और अपनी गलती की माफी भी मांगी थी वह भी बताया।
रवि भाई- ये लड़का बिल्कुल ज़िद्दी होता जा रहा है। कोई नहीं, तु टेंशन मत ले।
मै- मै ठीक ही हु भैया, यह बताएं आपकी इंटर्न शीप कैसी चल रही है?
रवि भाई- एकदम फर्स्टक्लास।
मैं- और बाकी सब की?
रवि bhai- अवि के बारे में पूछ रही है?
मैं- सब के बारे में भैया?।
रवि भाई- मजाक कर रहा हुं। सब की इंटर्न शीप अच्छी चल रही है। अवि का गोल्ड तो पक्का है। तुझे पता है अंकल अवि के लिए हॉस्पिटल बनाने वाले है। अवि कह रहा था मल्टी स्पेशल हॉस्पिटल होगा। तो मेरे साथ साथ तुम सब को भी वहां ही आना है मेरे लिए।
मै- श्रुति दी भी आएंगे?
रवि भाई- तुझे पता नहीं?
मै- क्या?
रवि भाई- उसकी तो सगाई पक्की होने वाली है।
मेरा दिल जोर से थड़का। कहीं अवि के साथ..?
मै- किसके साथ?
रवि भाई- है कोई NRI बंदा अमेरिका का। श्रुति उसिके साथ चली जाएगी।
यह सुनकर मानो मेरे दिल को ठंडक पहुंची। पता नहीं एसा क्यो हुआ? क्या मै अवि को किसी और के साथ नहीं देख पाऊंगी? यह हो क्या गया मुझे??
रवि भाई- क्या सोचने लगी।
मै- मुझे लगा अवि से सगाई पक्की हुई।
रवि भाई- कहा.., श्रुति ने कई बार अवि को मनाया पर वह मानने वालो में से कहा है। कब तक राह देखती बेचारी।
मुझे स्माइल करता देख भैया बोले- क्या हुआ? मुस्करा क्यो रही है?
मैं- पता नहीं पर अवि के साथ सगाई पक्की नहीं हुई यह सुनकर अच्छा लगा।?
रवि भाई- कहीं प्यार व्यार तो नहीं हो गया अवि से।
मै- पता नहीं?। पर ...। कुछ नहीं छोड़िए यह सब, निशु ने मुझे कहा था आज डिनर साथ करेंगे। आपकी बात हुई न उससे?
रवि भाई- हां, मेरी बात हुई और मै ही तुझे लेने आऊंगा। निशु अवि के साथ आने वाली है। हमारी इंटर्न शीप खत्म होते ही हम सबने सिमला घूमने का प्रोग्राम बनाया है। तुम्हे भी आना है। मै- अभी से प्रोग्राम बना लिया? हमारी पोजिशन तो देखनी पड़ेगी ना उस वक्त।
रवि भाई- देख लेंगे तब। तु बस अभी हां बोल दे।
मै- घर पर पूछ के बताऊंगी। अभी एक साल बाकी है इन सब के लिए। वैसे भैया अवि कौन से फिल्ड में जाने वाले है?
रवि भाई- उसका सपना हार्ट स्पेशलिस्ट बनने का है। उसके लिए वह अभी से तैयारियां कर रहा है।
मै- good, आप अवि को कब बताएंगे अपने और निशु के बारे में? कुछ सोचा आप लोग ने?
रवि भाई- आज डिनर इसी लिए निशु ने अरेंज किया है।
मै- wow! that's great। मैं बहुत खुश हु आप दोनों के लिए।
बातों बातों में घर आ गया। भैया ने मुझे शाम सात बजे रेडी रहने को कहा।

मैंने घर जाकर पहले ही बता दिया की में निशु और रवि भाई के साथ डिनर करने बाहर जाने वाली हुं। घर पर सब एडजेस्ट हो गए थे मेरे लिए। देर होने पर कोई कुछ नहीं बोलता था। कभी देर होती तो निशु के घर ही सो जाती या निशु मेरे घर सो जाती। और लगता है आज शायद यही होने वाला है।

सात बजे शार्प रवि भाई आ गए मुझे लेने। तब मेरे रवि भाई ऑफिस से आए गए थे। उन्हे जाते वक्त बताया शायद देर हो जाए तो निशु के घर ही चली जाऊंगी। हम पूरे रास्ते निशु की ही बातें कर रहे थे। रवि भाई ने एक गेट के सामने कार रोक दी।
मैं- हम यहां क्यो आए है?

क्रमश:
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