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Dil ki zameen par thuki kile by Pranava Bharti | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें by Pranava Bharti in Hindi
Novels

दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - Novels

by Pranava Bharti Matrubharti Verified in Hindi Short Stories

(102)
  • 27k

  • 44.8k

  • 12

ऋचा पैंसठ की हो चुकी, बच्चों के शादी-ब्याह --सब संपन्न ! तीसरी पीढ़ी भी बड़ी होने लगी पूरे -पूरे दिन लगी रहती सबकी फ़रमाइशें पूरी करने में बहुत आनंद मिलता उसे फिर बहुत ...Read Moreबातें भी सुनती --

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 1

  • 7.5k

  • 8.3k

ऋचा पैंसठ की हो चुकी, बच्चों के शादी-ब्याह --सब संपन्न ! तीसरी पीढ़ी भी बड़ी होने लगी पूरे -पूरे दिन लगी रहती सबकी फ़रमाइशें पूरी करने में बहुत आनंद मिलता उसे फिर बहुत ...Read Moreबातें भी सुनती --

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 2

  • 3.7k

  • 4.8k

दिल किसी का भी हो, कभी खुश होता है, कभी दुखी ! कभी छलनी हो जाता है, कभी उछलने लगता है पता नहीं उसके दिल की ज़मीन पर उसका नाम लिखा गया था या नहीं ? पर ...Read Moreइतनी कि अभी न मिली तो न जाने कहर ही बरप जाएगी

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 3

  • 2.4k

  • 3.4k

अचानक उन्हें टी वी पर देखा, संगीत पर कुछचर्चा चल रही थी।थोड़ा सा समय लगा पृष्ठ पलटने में लेकिन लगभग तीस वर्ष पूर्व की प्रथम कक्ष की रेलगाड़ी की यात्रा ने उनके दिल केद्वारा पर दस्तक दी और चरर्र ...Read Moreहुएपट खुल गए

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 4

  • 1.7k

  • 2.6k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 4-बड़ा साहित्यकार कोई बांध देता है दिल को मुट्ठी में जैसे रिसने लगता है दिल उसमें से कुछ ऐसा स्त्राव जिसका रंग उसकी समझ में कभी नहीं आया | क्या कलर ...Read Moreहै? पता नहीं लेकिन कुछ तो है जो ब्लाइंड ही है |अब, वह ब्लाइंड है या और लोग, पता नहीं | वह प्रसिद्ध पत्रिका उसके हाथ में थी, बहुत बेचैनी से उस पत्रिका की प्रतीक्षा रहती थी उसे | समय पर आ भी जाती थी | आज जैसे ही कुरियर-ब्वाय उसे पत्रिका पकड़ाकर गया | उसने अंदर जाने की भी

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 5

  • 1k

  • 2k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 5- फ्रैंड -रिक्वेस्ट बड़ी फूलीं मिसेज़ प्रधान ---उनकी बिटिया ने उनका फेस-बुक एकाउंट खोल दिया था | सबसे पहले तो उसकी बिटिया के दोस्तों से उनकी दोस्ती बनी फिर जैसे समय ...Read Moreगया उनके दोस्तों की रफ़्तार इतनी तेज़ी से बढ़ी कि वे चौकने लगीं |बिटिया ने यह तो बताया नहीं था कि सब रिक्वेस्ट स्वीकार मत करना सो वे धड़ल्ले से स्वीकार करती चली गईं | " देखो ! मुझे तो कितने लोग अपना दोस्त बनाना चाहते हैं --" "अच्छी बात है न ! आपका टाइम पास हो जाता है ---"

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 6

  • 567

  • 1.3k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 6-कम्मो बूआ कम्मो बूआ यानि कामिनी ! सच में ही नाज़ुक फूल सी कोमल वखूबसूरत ! जीवन जैसे खेल खिलाता है वैसे ही उसे खेलना पड़ता है, हम सब इस ...Read Moreसे वाकिफ़ हैं कम्मो बूआ का जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था और माया एक दिल्ली के बहुत नामचीनब्राह्मण परिवार की कन्या ! किन्तु जिस घर में उसका विवाह हुआ, वह औसत से भी गया -बीता ! वो ज़माना था जब अधिक शिक्षा लड़कियों को तो नहीं ही दी जाती थी भई ! क्या करेंगी पढ़-लिखकर ! फिर

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 7

  • 626

  • 1.2k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 7-दाल-चावल शुभा को किसी काम से बेटी के साथ कलकत्ता जाना पड़ा बेटी तो अपनी कॉलेज-लाइफ़ में भी कलकत्ता गई थी लेकिन उस समय वह एन. सी. सी के ...Read Moreके साथ रेलगाड़ी में गई थी शरारतें करते, शोर मचाते सब युवा लगभग ढाई दिनों में कलकत्ता पहुंचे थे इस बारमाँ के साथ वह हवाई-यात्रा कर रही थी टिकिट के साथ लंच इंक्लूड नहीं था भूख लगी थी कुछ तो खाना ही था वैसे ही हवाईजहाज़ का खाना दोनों माँ-बेटी में से किसीको पसंद न था

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 8

  • 475

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 8-दावत कितना बड़ा जश्न हुआ अनिरुद्ध के बेटाहोने पर ! सभी के मुख पर मुस्कान और देह पर सिल्क के लिबास सजे थे | बहू के साथ कूँआ पूजने परबाजा-गाजा साथ ...Read More| "बड़ी किस्मत वाली है बहू ---पहले साल में ही बेटा पैदा करके सबके जी में उतर गई --" " यार, ये सब क्या है माँ ?" अनिरुद्ध बहुत असहज था | बेटा हुआ है तो छोटी-मोटी पार्टी करलो, इतना दिखावा करने की आखिर क्या ज़रुरत?उसकी पत्नी स्मिता के भी विचार अपने पति जैसे ही थेपर परिवार के बुज़ुर्ग सदस्यों

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 9

  • 494

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 9-बुलबुल पता नहीं कब, कैसे उसने क्यारियों में छिपकर बच्चे दे दिए वैसेही परेशानथे सड़क के कुत्तों से ! सड़क पर खड़ी गाड़ियों पर बड़ी शान से वे बैठे रहते, ...Read Moreउनका मन होता तब खड़ाक सेबँगलोंके अंदर कूद जाते पता तो तब चलता जब अंदर कहीं गंदा कर जाते या पीछे चौकड़ी में सुबह कामवालीके इंतज़ार में प्रतीक्षा करते बर्तनों से गुफ़्तगू करने पहुँच जाते इनमें से ही कोईहोगी जिसने क्यारी में बच्चे दिए और अगली सुबह नौकर के घंटी बजाने पर पूरा दम लगाकर उसने उसे भागने पर

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 10

  • 490

  • 1.3k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 10-मीतल मीतल सामने वाले घर की नई सेविका का नाम है | लंबी, उजली, बहुतख़ूबसूरत! एक्टीवा लेकर आती है | मेहरा साहब के यहाँ कुछ महीनों से काम पर आना शुरू ...Read Moreहै उसका |वह किसी को देखे, न देखे, बात करे, न करे, उसे ज़रूर आस-पड़ौस केलोग घूरते थे | "कितनी साफ़ -सुथरी बाई मिली आपको मिसेज़ मेहरा ---!"मिसेज़ राघवने आँखों में उत्सुकता भरकर पूछा | " हाँ जी, इसका भाई मेहरा साहब का ड्राइवर है न, राजू --उसीकी बहन है ---" उन्होंने मीतल के बारे में बताया| " पूछिए, और

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 11

  • 463

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 11-छंगी ये उन दिनों की बात है जब दादी माँ बच्चों को अपने चारों ओर बैठाकर राम और कृष्ण की कहानियाँ सुनातीं | ऊब गए थे बच्चे ! सुनते-सुनते -- "दादी ...Read More! आप हर बार वो ही कहानी सुनाती हैं, कुछ ऐसा भी सुनाइए जो हमें पता ही न हो ---" बिट्टू की हाँ में हाँ सबने मिलाई और दादी अपने घर से जुड़े लोगों की कहानी सुनाने लगीं| उन्होंने अपने समय की बातें सुनानी शुरू कीं जिसमें छंगी का ज़िक्र करना वो न भूलतीं |बच्चों को बड़ा मज़ा आता जब

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 12

  • 448

  • 921

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 12-प्रेम-पत्र नंदिता ने ऐसे घर में जन्म लिया था जहाँ हर बात पर, हर काम पर कंट्रोल का ताला लगा रहता | आज के ज़माने में भी इतना कंट्रोल ! न ...Read Moreआना, न जाना ---बस --पापा का राज ! ठीक है, ज़माने को देखते हुए ज़रूरी भी है पर युवास्थामें किसी न किसीकी ओर आकर्षण हो हीजाता है |स्वाभाविक भी है, आकर्षण न हो तो अस्वभाविक ! नंदिता भी अपने सहपाठी स्वराज की ओर आकर्षित हो गई | आकर्षण ऐसा बढ़ा कि प्रेम-पत्रों का आदान-प्रदान होने लगा | नंदिता को वह

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 13

  • 429

  • 909

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 13-टच-मी-नॉट अम्मा के घर पर ऊपर छज्जे के बीचों-बीच एक सीमेंट का सुंदर सा गमला बना हुआ था | शायद छज्जा बनाते समय यहगमला बनाया गया था | अम्मा उसमें कुछ ...Read Moreकुछ बोतीरहतीं | मौसम के अनुसार उसमें डले बीज उग आते | इस बार अम्मा की किसी सहेली ने उन्हें एक पौधा लाकर दिया | अम्मा ने उस पौधे को छज्जे वालेगमले में लगा दिया जो उस समय ख़ाली था| कुछ ही दिनों में उसमें से प्यारी-प्यारी हरी पत्तियाँ निकल आईं | " अम्मा जी ! इसे क्या कहते हैं

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 14

  • 435

  • 916

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 14-बेहिसाब महिमा ने अपनी बहू से इतनी मुहब्बत कर ली कि अपनी बेटी को भी एक तरफ़ कर दिया | उसका विवाह हो चुकाथा, महिमा सोचती कि बेटीअपने घर गई और ...Read Moreबेटी के रूप में वाणी को भगवान ने भेज दिया है | बेटे को पहले ही घर से कोई लेना-देना नहीं था, जो कोई भी बात होती सब वाणी से पूछ लीजिए, उससेपूछकर ही हर बातकी जाती | इसका हश्र यह हुआ कि वाणी पूरे घर पर अपनी हुकूमत चलाने लगी | महिमा के पति नवलइस बात से बहुत असहज

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 15

  • 453

  • 950

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 15-नंदू "ओय ---देख दीदी आ गईं ---" नंदू ने रिक्शा देखते ही चिल्लाकर अपने नौकर हेमू को आवाज़ दी | "दीदी ! नमस्ते ----" नंदू और हेमू दोनों के चेहरेखुशी के ...Read Moreखिल आए| दुकान पर खड़े सारे ग्राहक उस पैडल-रिक्शा की ओर घूमकर देखने लगे जिसे देखते ही दुकान-मालिक और उसका मुँहलगा सेवक फुदकने लगे थे | रात होते ही कुल्हड़ों की सौंधी सुगंध में सराबोर मोटी मलाई वाला दूध हाज़िर !नंदू खुद दूध लेकर आता और जब तक चीं -चपड़ करते बच्चे पी न लेते, वह उन्हें कहानियाँ सुनाता रहता

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 16

  • 512

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 16-गुड़िया का ब्याह शायद विधाता ने ही लड़कियों में विशिष्टता भरकर उन्हें सँवारा है कि वे सदा गुड़ियों के और अपने और साज-श्रृंगार के प्रति आकर्षित व सचेत रहती हैं | ...Read Moreजब अपनी बिटिया मीनू को मंहगी गुड़ियों से खेलतेदेखती है, उसे अपने बचपन के दिन याद आते हैं |एक आम घर में मीनू का जन्म हुआ था, पिताउस छोटे से शहर के पोस्ट-ऑफ़िस के पोस्टमास्टर थे | यूँ तो उनके पास कई लोग थे पोस्टऑफ़िस का काम करने वाले पर बच्चों को अपने काम स्वयं ही करने का आदेश था,

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 17

  • 461

  • 969

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 17-पिन ये क्या है? शिवम उठते हुए कुछ झुंझलाया।उसकी पैंट के पीछे कुछ भारी सा महसूस हो रहा था।थोड़ा टटोलने पर उसे पता चला उसकी पैंट में पिन से ...Read Moreलटका दिया गयाथा तेज़ बंदा था शिवम, तुरंत बुद्धि दौड़ी, पीछे बैठीशरारती लड़कियों पर नज़र डाली, उसकी सालियाँ बैठीं थीं वो बेचारा हाथ पीछे करके पिन खोलने की कोशिश करता लेकिन उसका हाथ ही नहीं पहुँच रहा था पीछे लड़कियों की खी-खीसुनाई दे रही थी वैसे नीरा बहुत शांत व सहमी सी रहने वाली लड़की थी पर उस समय

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 18

  • 455

  • 1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 18-शैली "मम्मा ! हमें भी एक डॉगी पालना है ---" सामने वाले सूद साहब के यहाँ एल्सेशियन को देखकर सोना अपनी माँ से हर रोज़ एक बार तो कहती ही | ...Read More! इतना आसान है क्या --मालूम है, कितना काम होता है इसका ?" "सूद आँटी के घर भी तो है, देखो न ---" सोना यानि सोनाली अक्सर ठुमक जाती | प्रज्ञा के कानपर जूँ न रेंगती, भली प्रकार जानती थी कि ले आएँगे पर करेगा कौन ? सूद साहब बड़े व्यापारी ! उनके घर पर कर्मचारियों की आवाजावी लगी रहती

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 19

  • 466

  • 973

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 19-चंदन अपने छोटे शहर के एकमात्र डिग्री कॉलेज में जब अंकिता ने प्रवेश लिया तो आसपास के लोगों की आँखोंमें सवालिया प्रश्न तैरने लगे | तीस वर्ष पुरानी बात आज भी ...Read Moreउसे झंझोड़ देती है, खिलखिलाने पर मज़बूर कर देती है| जाटों का शहर था जिसमें अधिकतर लोग छोटे काम-धंधे वाले, अध्यापक, पंडित लोगों के साथ एक बड़ा तबका किसानों के परिवारों का निवास करता था जिनके घरों में खूब ज़मीनें होती थीं, खेती से खूब पैसा आता उन घरों के बच्चों को बहुधापास के शहरों में पढ़ने के लिए भेजा

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 20

  • 430

  • 920

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 20--आप क्या पीती हैं? चिराग नामके एक लड़के की फ्रैंड-रिक्वेस्ट पर मालिनी ने बहुत दिनों तक कोई ध्यान नहीं दिया | कोई 25/26 वर्ष का लड़का दिखाई दे रहा था उस ...Read Moreमें जो एफ़ बी पर चिपकी थी | पता नहीं उसके पास नं कहाँ से आ गया | कभी मैसेंजर पर तो कभी वॉट्सैप पर मैसेज आए | 'आप मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट क्यों एक्सेप्ट नहीं कर रही हैं ?' रागिनी खीज उठी, उसके प्रोफ़ाइल पर गई | उसके प्रोफ़ाइल पर केवल फ्रैंड के नाम में चिराग ही लिखा था |

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 21

  • 460

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 21-इत्तफ़ाकन आरती के जीवन में ऐसे बहुत से रिश्ते बने जो इत्तिफ़ाक़न बने लेकिन ताउम्र उनसे वैसी ही मुहब्बत, स्नेह व ट्यूनिंग बनी रही |इनमें से ही एक जापानी लड़का शीनोदा ...Read Moreहै -तकाशी शिनोदा ! यह अंतर्राष्ट्रीय मुहब्बत, विश्वास व स्नेह-बंधन की ऎसी मिसाल है जो चालीसियों बरसों से एक कोमल डोर से बंधीहुई है | उन दिनों आरती पी. एच. डी कर रही थी जब इस लंबे, गोरेलड़के से उसका परिचय हुआ था | अपने पूरे ग्रुप में आरती सबसे बड़ी थी, विवाहिता थी, माँ थी, सो सबके साथ उसकाएक

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 22

  • 506

  • 1.2k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 22--मोहभंग बड़ा हँसता-खेलता परिवार था वो !आइडियल सिचुएशन वाला पति-पत्नी, बेटा-बेटी। बच्चेबड़े हुए, शादी-ब्याह हो गए, उनकी अपनी पसंद से ! बिटिया अपने घर, बहू अपने परिवार में।सब कहते, इस परिवार ...Read Moreबड़ी पाॅज़िटिव वाइब्रेशन्स आती हैं।खूब आना-जाना लगा रहता यानि लोगों की रौनक ! बेटे कीदो प्यारी सी बेटियों की मुस्कान से घर चहकता रहता। अधेड़ दादा-दादी को पोतियाँ मिलीं तो जैसे कारूँ का खज़ाना मिल गया | खज़ाना जैसे खनकता रहता, न जाने कितना है इस परिवार के पास ! भौतिक रूप में कुछ इतना था भी नहीं कि श्रेष्ठी

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 23

  • 458

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 23-बीट वाला मंजन अन्नी यानि अणिमा को अपने मामा की बेटीकी शादी में बीरखेड़ा गाँव में जाना पड़ा | दिल्ली में पलने वालीअन्नी को उसके तीनोंमामाबहुत प्यार करते| जब भी दिल्ली ...Read Moreबुलंदशहर आने का न्योता ज़रूर देते | अन्नी छुट्टियों में माँ के साथचली भी जाती, वहां दो मां रहते थे | खूब बड़ी-बड़ी कोठियाँ बनाई हुईं थीं उन्होंने | रक सिंचाई विभाग में इंजीनियर तो दूसरे की अपनी मेडिकल क्लीनक ! तीसरे मां गाँव में रहकर पैतृक संपत्ति की देखभाल कर रहे थे | बहुत सारे बगीचों के मालिक थे

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 24

  • 554

  • 1.2k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 24-मैं क्यों झुकूँ ? जागृति की सात वर्षीयपोती सलोनी बड़ी प्यारी है | उसे उस नन्ही सी बच्ची में सभी गुण दिखाई देते हैं | खाना खाने की चोर सलोनी को ...Read Moreमाँ बहुत बहला-फुसलाकर खाना खिलाती | कभी कोई कहानी सुनाती तो कभी अपने साथ हुई घटना को चटखारे लेकर सुनाती | वह अपना इतना रौब मारती कि बच्ची को अपनी माँ की हर बात सही लगने लगी थी | सलोनी की माँ हर बात में अपना हाथ ऊपर रखना चाहती इसलिए सलोनी के स्वभाव में भी वही अकड़ होती जा

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 25

  • 465

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 25--स्वाभिमान? अपने परिवार के हर सदस्य के लिए गर्व से फूली रहने वाली सुमेधा महाजन का अपने पति के जाते ही गर्व का गुब्बारा पिचककर हवा में झूलने लगा | जीवन ...Read Moreआपाधापी से बड़े ही स्वाभाविक स्वर में झूमने वाली सुमेधा हतप्रभ हो पुत्रवधू का चेहरा ताकती रह गई । बेटे-बहू के बीच ख़लिश है, ये तो काफ़ी दिन पूर्व आभास हो चुका था किंतुबच्चोंपर माँ-बाप के संबंधों का ख़राबप्रभाव पड़ रहा था जो स्वाभाविक ही था! बच्चे नहीं कहते उन्हें जन्म दो, अपने को गौरवान्वित महसूस करने के लिए तुम

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 26

  • 497

  • 1.1k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 26-लिखती क्यों हूँ ? ऋचा के भाई -भाभी के बीचबहुत सीसमस्याएँचल रही थीं | पिता के जाते ही उसकी माँ का जीवन अस्त-व्यस्त हो उठा | माँ की दशा ऋचा से ...Read Moreनहीं जाती थी | पिता के घर के थोड़ी दूरी पर ही ऋचा का घर था |काफ़ी दिन तक तो वह माँ की केयर करती रही किन्तु फिर उसके अपने घर का काम-काज सफ़र करने लगा |वह माँ कोलेकरआ गई | ऋचा के पति बहुतआदर करते थे माँ का !उनके माता-पिता को गए हुए कई वर्ष हो चुके थे |उन्हें

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 27 - अंतिम भाग

  • 469

  • 1.2k

दिल कीज़मीन पर ठुकी कीलें (लघु कथा-संग्रह ) 27-बड़ी मम्मी बच्चों की बड़ी मम्मी यानि नानी माँ | कॉलेज में संस्कृत की लेक्चरर थीं | अवकाश प्राप्ति के बाद कविता उन्हें अपने पास बंबई ले आई थी | पापा ...Read Moreही नहीं रहे थे और बच्चों के नाम पर वह एकमात्र संतान थी |

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