Kahaani kisase ye kahe book and story is written by Neela Prasad in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kahaani kisase ye kahe is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कहानी किससे ये कहें! - Novels
by Neela Prasad
in
Hindi Moral Stories
कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (1) 31 अगस्त 1991. सुबह-सुबह आसमान में छाए घने काले बादल इंगित कर रहे हैं कि किसी भी क्षण वर्षा शुरू हो जा सकती है। लगभग साढ़े तीन दशक लंबी नौकरी के बाद आज मिसेज़ उमा चन्द्र रिटायर हो रही हैं। सुबह की चाय पीती हुई सोच रही हैं वे कि बाहर भले बरसात हो जाए, उनके अंदर सालों से उमड़-घुमड़ रहा बहुत कुछ तो शायद आज भी बिन बरसे ही रह जाएगा! ऑफिस के अपने आखिरी भाषण में वे कुछ कहने को दद्यत होंगी कि उनके अंदर का महाप्रबंधक उन्हें रोक देगा हमेशा
कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (1) 31 अगस्त 1991. सुबह-सुबह आसमान में छाए घने काले बादल इंगित कर रहे हैं कि किसी भी क्षण वर्षा शुरू हो जा सकती है। लगभग साढ़े तीन दशक लंबी नौकरी के बाद ...Read Moreमिसेज़ उमा चन्द्र रिटायर हो रही हैं। सुबह की चाय पीती हुई सोच रही हैं वे कि बाहर भले बरसात हो जाए, उनके अंदर सालों से उमड़-घुमड़ रहा बहुत कुछ तो शायद आज भी बिन बरसे ही रह जाएगा! ऑफिस के अपने आखिरी भाषण में वे कुछ कहने को दद्यत होंगी कि उनके अंदर का महाप्रबंधक उन्हें रोक देगा हमेशा
कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (2) ‘जी’ ‘आप महिलाएँ बोलती बहुत हैं। जब से मेरे कमरे में आई हैं, बोले ही जा रही हैं। समझ नहीं आ रहा कि जब आपसे पहले कोई लेडी ऑफिसर फील्ड में पोस्ट ...Read Moreकी गई तो किस वजह से, आखिर क्यों आपको यहाँ पोस्ट करके मेरे सिर डाल दिया गया? आपकी सुरक्षा के लिए मैं सिक्योरिटी गार्ड्स नहीं दे पाऊँगा। आप अपने रिस्क पर यहाँ रहेंगी, काम करेंगी और प्रॉब्लम होगी तो खुद डील करेंगी.. और आप यहाँ इश्क लड़ाती नहीं फिरेंगी। उफ्, कोई एक मुसीबत है लेडी ऑफिसर रखने की.. हाँ, तो
कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (3) ‘क्यों किया तुमने यह सब?’ आधी रात के अँधेरे में, जो सिर्फ नाइटलैंप की रोशनी से बाधित था, निरंजन ने पूछा। उमा चुप रहीं। ‘बोलो, क्यों किया तुमने यह सब?’ प्रश्न दुहराया ...Read Moreतो उमा को बोलना पड़ा। ’आप भी यह कहना चाहते हैं कि मैंने कुछ किया? मानते हैं कि कुछ हो चुका है?’ ‘मुझे जिरह में मत फँसाओ। मैं तुमसे तर्क करना नहीं चाहता इसीलिए तुमने सारी आज़ादी ले रखी है। क्या नहीं दिया मैंने तुम्हें, क्या नहीं किया तुम्हारे लिए!! तुम अपनी जिद से यहाँ नौकरी करने आईं और एक
कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (4) अय्यर के चैंबर से बाहर निकलते ही उमा पल भर में फिर से झंझावातों में घिर गईं। टी.एस. बनने का मतलब था साहब के ठीक बगल के कमरे में उनके सेक्रेटेरियट में ...Read Moreउनके आदेशों के पालन के लिए हर वक्त उपलब्ध रहना, घर अकसर देर से लौट पाना...और फिर से अफवाहों, चर्चाओं के केन्द्र में आकर अपना दाम्पत्य जीवन बिगाड़ना! निरंजन को पति रूप में ठीक से पा सकने के पहले ही फिर से उन्हें खो देना!! वे रात भर जागती रहीं और उन दलीलों के बारे में सोचती रहीं जो टी.एस.
कहानी किससे ये कहें! नीला प्रसाद (5) साहब ने कार का पिछला दरवाजा उमा के लिए खोल दिया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गए। उमा एक बार फिर असहज हुईं। इनका ड्राइवर कहाँ गया? ओह! वह तो पहले ...Read Moreछुट्टी पर है- उन्होंने खुद को याद दिलाया। पर अंदर उधेड़बुन जारी थी। क्या उन्हें अय्यर साहब को अपने घर के अंदर चलने का निमंत्रण देना चाहिए? चाय के लिए पूछना चाहिए? पर अब तो रात के नौ बज चुके हैं, इतनी रात को चाय के लिए पूछने का मतलब है ही नहीं!!... पर पहली बार घर छोड़ने जा रहे