OR

The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.

Loading...

Your daily story limit is finished please upgrade your plan
Yes
Matrubharti
  • English
    • English
    • ગુજરાતી
    • हिंदी
    • मराठी
    • বাংলা
    • മലയാളം
    • తెలుగు
    • தமிழ்
  • Quotes
      • Trending Quotes
      • Short Videos
  • Books
      • Best Novels
      • New Released
      • Top Author
  • Videos
      • Motivational
      • Natak
      • Sangeet
      • Mushayra
      • Web Series
      • Short Film
  • Contest
  • Advertise
  • Subscription
  • Contact Us
Write Now
  • Log In
Artboard

To read all the chapters,
Please Sign In

Nilanjana by Saroj Verma | Read Hindi Best Novels and Download PDF

  1. Home
  2. Novels
  3. Hindi Novels
  4. नीलांजना - Novels
नीलांजना by Saroj Verma in Hindi
Novels

नीलांजना - Novels

by Saroj Verma Matrubharti Verified in Hindi Love Stories

(78)
  • 4.5k

  • 9.8k

सुंदर पहाड़ और झरनें ,पंक्षियो का कलरव और घना जंगल, उसके समीप बसा एक सुंदर और धन-धान्य से परिपूर्ण राज्य, जहां की प्रजा बहुत सुखपूर्वक अपना जीवन बिता रही है, सभी परिवार सम्पन्न और प्रसन्न हैं, किसी चीज़ की ...Read Moreकमी नहीं है किसी को, उस राज्य का नाम है पुलस्थ राज्य है और वहां के राजा का नाम है प्रबोध प्रताप सिंह!! राजा प्रबोध प्रताप सिंह का बहुत ही सुंदर,भव्य महल है,महल के प्रांगण की शोभा देखते ही बनती है!! महल के पीछे बहुत ही सुंदर वाटिका है,जहां भांति-भांति के पुष्प और वृक्षों की भरमार है,बड़ा सा फब्बारा भी लगा है। राजा प्रबोध अपने महल की वाटिका में विचरण कर रहे हैं, तभी उनकी रानी सुखमती और उनकी नन्ही दो साल की पुत्री भी महल की वाटिका में प्रवेश करते हैं।

Read Full Story
Download on Mobile

नीलांजना--भाग(१)

  • 831

  • 1.6k

सुंदर पहाड़ और झरनें ,पंक्षियो का कलरव और घना जंगल, उसके समीप बसा एक सुंदर और धन-धान्य से परिपूर्ण राज्य, जहां की प्रजा बहुत सुखपूर्वक अपना जीवन बिता रही है, सभी परिवार सम्पन्न और प्रसन्न हैं, किसी चीज़ की ...Read Moreकमी नहीं है किसी को, उस राज्य का नाम है पुलस्थ राज्य है और वहां के राजा का नाम है प्रबोध प्रताप सिंह!! राजा प्रबोध प्रताप सिंह का बहुत ही सुंदर,भव्य महल है,महल के प्रांगण की शोभा देखते ही बनती है!! महल के पीछे बहुत ही सुंदर वाटिका है,जहां भांति-भांति के पुष्प और वृक्षों की भरमार है,बड़ा सा फब्बारा भी

  • Read

नीलांजना--भाग(२)

  • 600

  • 1.1k

चंद्रदर्शन के ऐसे शब्द सुनकर, दिग्विजय हतप्रभ हो गया,अब उसे लगा कि शायद उससे बहुत बड़ी भूल हो गई है, उसे जब तक अपने किए पर पछतावा होता,तब तक चन्द्रदर्शन ने उसे बंदी बनाने का आदेश दे दिया और ...Read Moreको बंदी बना लिया गया। उधर चन्द्रदर्शन ने राजा प्रबोध को मृत समझकर सैनिकों को आदेश दिया कि प्रबोध के मृत शरीर को नदी में बहा दिया जाए, सैनिकों ने चन्द्रदर्शन के आदेश का पालन किया और प्रबोध के मृत शरीर को नदी में बहा दिया गया। अब चन्द्रदर्शन रानी सुखमती के पास पहुंचा और बोला, रानी अब आप हमारी

  • Read

नीलांजना--भाग(३)

  • 522

  • 1.1k

सारी योजनाएं बना कर दिग्विजय ने सुखमती से जाने की अनुमति ली और चन्द्रदर्शन के पास पहुंचा, उसने चन्द्रदर्शन से कहा कि महाराज!! राजकुमारी नीलांजना का पता चल गया है, लेकिन नीलांजना का पता आपको मैं तभी बताऊंगा,जब आप ...Read Moreसुखमती को कारागार से मुक्त कर देंगे।। लेकिन क्यो? चन्द्रदर्शन ने दिग्विजय से पूछा।। वो इसलिए, बहुत पीड़ादायक था मेरे लिए सुखमती को इस अवस्था में देखना,प्रेम करता था मैं उसे और विश्वासघात किया मैंने उसके साथ,मेरा हृदय रो पड़ा। चंद्रदर्शन बोला,ये मत भूलो दिग्विजय अभी भी तुम मेरी शरण में हो, अभी भी चाहूं तो बंदी बना सकता हूं।

  • Read

नीलांजना--भाग(४)

  • 429

  • 870

भांति-भांति के प्रकाश से प्रकाशित, भांति-भांति के सुगंधित पुष्पों से सुसज्जित , भांति-भांति के इत्रो की सुगंध पूरे कक्ष को सुगन्धित कर रही थी और भांति-भांति के वाद्ययंत्रों से ध्वनियां निकाल रही रमणियां,कक्ष की शोभा देखते ही बनती थी। ...Read Moreपर सुखमती का प्राणघातक सौंदर्य,उसकी भाव-भंगिमा देखकर बस चन्द्रदर्शन तो अपने प्राण, न्यौछावर करने के लिए लालायित हो बैठे। धानी रंग के परिधान में सुखमती का रूप बहुत ही खिल रहा था, नृत्य करते समय वो किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं लग रही थी,उसका अंग-अंग थिरक रहा था, उसकी नृत्य-मुद्राएं चन्द्रदर्शन के हृदय को विचलित कर रही थी।

  • Read

नीलांजना--भाग(५)

  • 402

  • 879

प्रात:काल हो चुका था,सूरज की किरणें अपनी लालिमा चारों ओर बिखेर चुकी थी,हरे हरे वृक्षों पर पंक्षी चहचहा रहे थे,जंगल की अपनी ही शोभा होती है, वहीं जंगल रात्रि को बड़ा ही भयानक प्रतीत होता है और प्रात:काल होते ...Read Moreउसकी सुंदरता अलग ही दिखाई देती है।। दिग्विजयसिंह और सुखमती उसी मार्ग से आए थे जो मार्ग सुखमती ने सौदामिनी को सुझाया था,जब वो नीलांजना को लेकर भागी थी। रात भर नाव से नदी पार की और फिर जंगल में भागते भागते दिग्विजय और सुखमती बहुत थक गये थे, उन्हें दूर से एक गांव दिखाई दिया, दोनों वहां पहुंचे।। गांव

  • Read

नीलांजना--भाग(६)

  • 378

  • 990

बहुत ही सुंदर , बहुत ही बड़ा मैदान, अगल-बगल वृक्षों से घिरा, वृक्षों पर तरह-तरह के पुष्प और फल लगे हुए हैं, सामने वाले पहाड़ पर एक झरना है, जिसमें शीतल जल झर झर की ध्वनि करता हुआ बह ...Read Moreझरने के ऊपर कुछ पक्षी कलरव कर रहे हैं, मनमोहक दृश्य है, कुछ छोटे छोटे मृग भी इधर उधर विचरण कर रहे हैं। तभी नीला पुरुष वेष में अपने धनुष और बाणों के साथ मैदान में उपस्थित हुई ,वो हमेशा वहां अभ्यास हेतु आती है,उसकी वेषभूषा देखकर कोई ये नहीं कह सकता था कि वो पुरूष नहीं है, उसने अपने

  • Read

नीलांजना--भाग(७)

  • 300

  • 837

रात्रि का समय!! कबीले में, सब भोजन करके विश्राम कर रहे हैं, दिए के प्रकाश को देखकर,ना जाने क्यों? नीला मंद-मंद मुस्कुरा रही हैं!! तभी चित्रा बोली!!क्या बात है जीजी, ऐसा क्या सोच-सोच कर मुस्कुरा रही हो? कुछ नहीं ...Read Moreतुझे ऐसा क्यों लगा? नीला बोली।। अपनी दशा तो देखो जीजी!!मादक नयन, गुलाबी गाल और ये तुम्हारे ओंठ, बताना तो बहुत कुछ चाह रहे हैं लेकिन शायद हृदय की सहमति नहीं है कि राज को खोला जाए।। बड़ी बड़ी बातें बना रही है, जैसे कि प्रेम के बारे में बहुत कुछ जानती है, नीला बोली।। जानती तो नहीं, जानना चाहती

  • Read

नीलांजना--भाग(८)

  • 339

  • 816

सुखमती ने नीला से कहा तुम नीला नहीं, राजकुमारी नीलांजना हो और मैं तुम्हारी मां सुखमती हो,अब हमें अपने पुलस्थ को वापस लेना होगा,क्या तुम इसके लिए सहमत हो।। नीलांजना ने कहा, हां !! लेकिन ये उत्तर उसके हृदय ...Read Moreनहीं मस्तिष्क से आया था,वो ये राज्य,वैभव और किसी भी राजकुमारी का पद नहीं चाहती थी, उसे तो बस नीला बनकर साधारण सा सादा जीवन चाहिए था, उसने विवश होकर हां की थीं। वो सुखमती को पाकर प्रसन्न नहीं थी, उसे तो सौदामिनी में ही अपनी मां दिखाई दे रही थी, उसे लग रहा था ये तो बिना ममता की

  • Read

नीलांजना--भाग(९)

  • 333

  • 801

नृत्य के समाप्त होने के बाद, प्रबोध कैलाश से बोले,मैं नृत्यांगना से कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूं!! कैलाश बोला, लेकिन क्यो काकाश्री!! बेटा, मुझे उसमें अपनी पुत्री नीलांजना दिखाई दी,वो बिल्कुल वैसी ही लगी मुझे।।प्रबोध बोले।। कैलाश बोला,काकाश्री आपको ...Read Moreसंदेह तो नहीं हो रहा है।। नहीं, संदेह कैसा,वर्षो से खोई हुई पुत्री आज दिखाई दी है,एक पिता को अपनी पुत्री को पहचानने में कोई धोखा नहीं हो सकता।।प्रबोध बोले।। आपको अगर नृत्यांगना से मिलना है तो सबको जाने दें, उसके बाद आप मिल लीजिए तो अति उत्तम होगा।। प्रबोध बोले ठीक है और कुछ देर में,सबके जाने के बाद,प्रबोध

  • Read

नीलांजना--(अंतिम भाग)

  • 318

  • 855

सुखमती का ऐसा रूप देखकर, नीला का हृदय घृणा से भर गया, उसे लगा कि वो ऐसी मां की पुत्री है जो अपने स्वार्थ के लिए किसी की भी बलि दे सकती है, उसे बहुत बड़ा आघात लगा,उसकी आंखों ...Read Moreसामने अंधेरा छा गया, उसे अब कोई भी मार्ग नहीं सूझ रहा था। उसे लगा कि क्या?राज्य-पाट और धन-वैभव की ही प्रधानता रह गई है मनुष्य के जीवन में, किसी की भावनाओं और संवेदनाओं का कोई अर्थ नहीं है ,बस मनुष्य आगे बढ़ना चाहता है, किसी भी इंसान के कंधे पर पैर रखकर।। क्या, मानव जीवन मात्र इसलिए मिला है

  • Read

Best Hindi Stories | Hindi Books PDF | Hindi Love Stories | Saroj Verma Books PDF Matrubharti Verified

More Interesting Options

Hindi Short Stories
Hindi Spiritual Stories
Hindi Novel Episodes
Hindi Motivational Stories
Hindi Classic Stories
Hindi Children Stories
Hindi Humour stories
Hindi Magazine
Hindi Poems
Hindi Travel stories
Hindi Women Focused
Hindi Drama
Hindi Love Stories
Hindi Detective stories
Hindi Social Stories
Hindi Adventure Stories
Hindi Human Science
Hindi Philosophy
Hindi Health
Hindi Biography
Hindi Cooking Recipe
Hindi Letter
Hindi Horror Stories
Hindi Film Reviews
Hindi Mythological Stories
Hindi Book Reviews
Hindi Thriller
Hindi Science-Fiction
Hindi Business
Hindi Sports
Hindi Animals
Hindi Astrology
Hindi Science
Hindi Anything
Saroj Verma

Saroj Verma Matrubharti Verified

Follow

Welcome

OR

Continue log in with

By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"

Verification


Download App

Get a link to download app

  • About Us
  • Team
  • Gallery
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Refund Policy
  • FAQ
  • Stories
  • Novels
  • Videos
  • Quotes
  • Authors
  • Short Videos
  • Hindi
  • Gujarati
  • Marathi
  • English
  • Bengali
  • Malayalam
  • Tamil
  • Telugu

    Follow Us On:

    Download Our App :

Copyright © 2021,  Matrubharti Technologies Pvt. Ltd.   All Rights Reserved.