Kodia - Kanche by Manju Mahima | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels कोड़ियाँ - कंचे - Novels Novels कोड़ियाँ - कंचे - Novels by Manju Mahima in Hindi Social Stories (119) 4.2k 13.5k 2 राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में बूंदी से कुछ ही (41) किलोमीटर दूर जहाजपुर गाँव की हवेली में बना पोलिटेक्निक कॉलेज के सभी छात्र मुख्य द्वार बनाने की तैयारी में लगे थे, दोनों ओर स्तम्भ खड़े कर उन्हें एक सुन्दर ...Read Moreवाले पट्टे से जोड़ा गया और उसके नीचे एक बड़ा सा बैनर टाँगने की तैयारी चल रही थी, तभी एक कार आकर रुकी. सभी का ध्यान उस ओर गया ...छात्रों में हलचल हुई ... ‘सर’ आ गए, ‘सर’ आ गए. सब अपना कार्य छोड़ खड़े हो गए और प्रणाम की मुद्रा में सबके हाथ जुड़ गए. Read Full Story Download on Mobile Full Novel कोड़ियाँ - कंचे - 1 (15) 1.4k 3.7k Part-1 राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में बूंदी से कुछ ही (41) किलोमीटर दूर जहाजपुर गाँव की हवेली में बना पोलिटेक्निक कॉलेज के सभी छात्र मुख्य द्वार बनाने की तैयारी में लगे थे, दोनों ओर स्तम्भ खड़े कर उन्हें एक ...Read Moreनक़्क़ाशी वाले पट्टे से जोड़ा गया और उसके नीचे एक बड़ा सा बैनर टाँगने की तैयारी चल रही थी, तभी एक कार आकर रुकी. सभी का ध्यान उस ओर गया ...छात्रों में हलचल हुई ... ‘सर’ आ गए, ‘सर’ आ गए. सब अपना कार्य छोड़ खड़े हो गए और प्रणाम की मुद्रा में सबके हाथ जुड़ गए. प्रो. बलदेव सिंह Read कोड़ियाँ - कंचे - 2 (15) 675 1.7k Part-2 अब वे जिस चित्र के सम्मुख खड़े थे, वह उनके जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण चित्र था.... इस चित्र में एक घने पेड़ के नीचे बनी सफ़ेद पत्थर की बेंच पर कोयले से बनाया बच्चों द्वारा खेला जाने ...Read Moreखेल ‘चंगा पो’ बना हुआ था. [इसे आधुनिक लूडो या चौपड़ से मिलता-जुलता माना जा सकता है.] वही दोनों लड़कियाँ इस तरह बैठी हुईं थीं कि उनकी शक्लें भी इस चित्र में दिखाई नहीं दें रहीं थीं और पास में रखीं हुईं थीं, चार खूबसूरत चमकती हुईं कौड़ियाँ जो इस चित्र की जान थीं....इन्हें इतनी खूबसूरती से उभारा गया था Read कोड़ियाँ - कंचे - 3 (12) 345 1.3k Part-3 प्रोफेसर सा. पुष्प गुच्छ के साथ खड़े थे. अभिवादन के साथ उन्होंने सुन्दर लाल, पीले, गुलाबी रंग के गुलाब से बना पुष्प गुच्छ भेंट किया. एक स्निग्ध सी मुस्कान के साथ गायत्री जी ने उसे स्वीकार किया और ...Read Moreमोहक नज़र उन गुलाबों पर डाली. वे उन्हें अन्दर ले आए, अन्दर आते ही उनका स्वागत, स्वागत गीत ‘पधारो म्हारे देश’, कलश बंधवाई जैसे पारंपरिक पद्धति के साथ पुष्प वर्षा करते हुए छात्राओं ने किया. मल्लिका (मोगरे/बेला) के सुन्दर पुष्पों का हार भी प्रोफेसर सा. की पत्नी गौरी द्वारा पहनाया गया. प्रोफेसर ने परिचय करवाया, ‘यह मेरी पत्नी गौरी हैं.’ Read कोड़ियाँ - कंचे - 4 288 1.1k Part-4 डॉक्टर ने सबको बताया, ‘उन्हें माइल्ड अटैक आया है, सो हमने प्रारम्भिक इलाज तो कर दिया है, अब इनको थोड़े आराम के बाद शहर ले जा कर जाँच करवानी होगी. वहाँ एन्ज्योग्राफी करने के बाद ही पता लगेगा ...Read Moreइनकी शिराओं में कहाँ और कितने प्रतिशत ब्लाक है?’ डॉक्टर के इस कथन ने सभी को चिंता में डाल दिया... गायत्री देवी को इस तरह हड़बड़ी में निकलना अच्छा नहीं लग रहा था, वे हवेली में और अधिक घूमना चाहती थीं, पर मजबूरी थी. गाड़ी में बैठते ही उन्होंने सचिव से सारी जानकारी ली, क्यों उन्हें जयपुर इस तरह आकस्मिक Read कोड़ियाँ - कंचे - 5 (12) 276 1.1k Part-5 कार में एक लम्बी चुप्पी छाई हुई देख गायत्री जी ने सोचा कि क्यों नहीं अपनी कुछ यादें इन लोगों से ही शेयर की जाएं, बिचारे बोर हो रहे हैं, सो कहने लगीं, ‘आप लोगों को पता है? ...Read Moreयहीं इसी हवेली में जन्मी हूँ और मेरा पहला स्कूल इसी गाँव में था. मैं दस वर्ष की उम्र तक यहीं रही थी.’ यह सुनकर दोनों ही चौंक गए ..फिर उन्होंने हँसते हुए सुनाना शुरू किया.. जब मम्मी पापा वहाँ आकर रहने लगे तो मम्मी ने मामाजी से बात कर पिछली ड्योढ़ी में स्कूल चलाने की बात कही तो उन्होंने Read कोड़ियाँ - कंचे - 6 (13) 336 1.4k Part- 6 आज बलदेव की परीक्षा थी, ऐसा लग रहा था. बलदेव क्या बताए क्या न बताए...बिचारी गौरी ने यह सवाल इतने सालों में एक बार भी नहीं पूछा. पर आजकल के बच्चे तर्क के आधार पर सोचते हैं, ...Read Moreयह अच्छी ही बात है..पर बलदेव कुछ सोच में पड़ गए..फिर बोले, ‘ऐसा है, क्या तुमने कभी साक्षात भगवान् को देखा है?’ ‘नहीं तो, पर हाँ मंदिर में तो हम जाते ही हैं ना दर्शन करने.’ पराग ने कहा ‘हूँ, क्या सभी मंदिरों में भगवान की मूर्ति एक जैसी ही होती है?’ बलदेव ने पूछा ‘नहीं पापा! वही तो हमारे Read कोड़ियाँ - कंचे - 7 (13) 216 936 Part- 7 बलदेव के मन में एक डर सा घर करने लगा, यदि मैं नहीं रहा तो? और सबके चेहरे घूमने लगे आँख के सामने, गौरी तो बारहवीं पास है, इन दोनों बच्चों की पढ़ाई अभी तो सभी कुछ ...Read Moreहै, कैसे क्या होगा? सोचकर बलदेव को घबराहट सी होने लगी. पराग बाहर चौक में पढ़ाई का बहाना कर शायद फ़ोन पर अपनी दोस्त अंजना से बात कर रहा था. ऐसे में ‘नन्ही परी’ ही बलदेव के पास आ जाती है, ‘क्यों परेशान होते हो बल्लू, तुम्हारे लिए चिंता करना ठीक नहीं.’ ‘मैं इतनी जल्दी बिना अपने कर्तव्य पूरे किए Read कोड़ियाँ - कंचे - 8 222 780 Part- 8 गरम चाय साइड टेबल पर रख गौरी सोते हुए बलदेव के पास बैठ, बालों में उँगलियाँ फिराते हुए बोली, ‘ अजी उठो, म्हारा नंद जी का लाल ! चाय ठंड़ी हो री छै, बोत सो लिया, आज ...Read Moreहद ही कर दी, आठ बाज़ ग्या छै, चाय वालो भी दो बार आके ग्यो, म्हूँ भी सूती रे ग्यी।’ अचानक गौरी को लगा कि बलदेव ढीले से पड़े हुए हैं, वह घबरा गई, ज़ोर ज़ोर से आवाज़ देते हुए हिलाने लगी, पर जब कोई उत्तर नहीं मिला और साँस कुछ उखड़ी हुई सी लगी तो उसने कॉल बेल दबाई Read कोड़ियाँ - कंचे - 9 231 870 Part- 9 जयपुर और जहाजपुर दोनों ही स्थानों पर गहमागहमी का वातावरण था. एक ओर ख़ुशी एक ओर गम. यह कैसी विडम्बना थी ईश्वर की. काली रात की समाप्ति पर प्रोफेसर बलदेव उर्फ़ बलभद्र के यहाँ फिर से जमावड़ा ...Read Moreगया, पंडित वगैरह आगए, अंतिम यात्रा का सारा सामान लाया गया..हवेली का कॉलेज तो प्रदर्शनी के कारण सजा हुआ ही था, हाल को फूल मालाओं से सजाकर प्रोफेसर के पार्थिव शरीर को रखने की जगह बना दी गई थी. आसपास की जगह के भी उनके कई विद्यार्थी बसों से आगए. पूर्व निश्चित कार्यक्रम के अनुसार प्रोफेसर के पार्थिव शरीर को Read कोड़ियाँ - कंचे - 10 - अंतिम भाग (14) 147 687 Part- 10 अन्दर बहुत सारी महिलाएं घूँघट निकाले बैठी थीं, गायत्री जी थोड़ी चकित हुई, पराग ने आगे बढ़कर ‘मम्मी’ कहा और उनको लेकर गायत्री जी के साथ अलग कमरे में ले आया. गौरी ने घूँघट हटाया तो गौरी ...Read Moreसुन्दरता पर मोहित हुए बिना नहीं रह सकी..उनसे नमस्ते करते हुए उसकी आँखों में आँसू बस छलकने की तैयारी में थे कि गायत्री ने उन्हें पोंछते हुए गले लगाया और जो कुछ भी हुआ उसके प्रति अफसोस जताया. विधि के विधान के आगे किसी की नहीं चलती. आप हिम्मत रखिए. हम जल्दी से जल्दी प्रोफेसर सा. के पेपर्स तैयार करवा Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Manju Mahima Follow