Kodia - Kanche book and story is written by Manju Mahima in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kodia - Kanche is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कोड़ियाँ - कंचे - Novels
by Manju Mahima
in
Hindi Moral Stories
राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में बूंदी से कुछ ही (41) किलोमीटर दूर जहाजपुर गाँव की हवेली में बना पोलिटेक्निक कॉलेज के सभी छात्र मुख्य द्वार बनाने की तैयारी में लगे थे, दोनों ओर स्तम्भ खड़े कर उन्हें एक सुन्दर नक़्क़ाशी वाले पट्टे से जोड़ा गया और उसके नीचे एक बड़ा सा बैनर टाँगने की तैयारी चल रही थी, तभी एक कार आकर रुकी. सभी का ध्यान उस ओर गया ...छात्रों में हलचल हुई ... ‘सर’ आ गए, ‘सर’ आ गए. सब अपना कार्य छोड़ खड़े हो गए और प्रणाम की मुद्रा में सबके हाथ जुड़ गए.
Part-1 राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में बूंदी से कुछ ही (41) किलोमीटर दूर जहाजपुर गाँव की हवेली में बना पोलिटेक्निक कॉलेज के सभी छात्र मुख्य द्वार बनाने की तैयारी में लगे थे, दोनों ओर स्तम्भ खड़े कर उन्हें एक ...Read Moreनक़्क़ाशी वाले पट्टे से जोड़ा गया और उसके नीचे एक बड़ा सा बैनर टाँगने की तैयारी चल रही थी, तभी एक कार आकर रुकी. सभी का ध्यान उस ओर गया ...छात्रों में हलचल हुई ... ‘सर’ आ गए, ‘सर’ आ गए. सब अपना कार्य छोड़ खड़े हो गए और प्रणाम की मुद्रा में सबके हाथ जुड़ गए. प्रो. बलदेव सिंह
Part-2 अब वे जिस चित्र के सम्मुख खड़े थे, वह उनके जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण चित्र था.... इस चित्र में एक घने पेड़ के नीचे बनी सफ़ेद पत्थर की बेंच पर कोयले से बनाया बच्चों द्वारा खेला जाने ...Read Moreखेल ‘चंगा पो’ बना हुआ था. [इसे आधुनिक लूडो या चौपड़ से मिलता-जुलता माना जा सकता है.] वही दोनों लड़कियाँ इस तरह बैठी हुईं थीं कि उनकी शक्लें भी इस चित्र में दिखाई नहीं दें रहीं थीं और पास में रखीं हुईं थीं, चार खूबसूरत चमकती हुईं कौड़ियाँ जो इस चित्र की जान थीं....इन्हें इतनी खूबसूरती से उभारा गया था
Part-3 प्रोफेसर सा. पुष्प गुच्छ के साथ खड़े थे. अभिवादन के साथ उन्होंने सुन्दर लाल, पीले, गुलाबी रंग के गुलाब से बना पुष्प गुच्छ भेंट किया. एक स्निग्ध सी मुस्कान के साथ गायत्री जी ने उसे स्वीकार किया और ...Read Moreमोहक नज़र उन गुलाबों पर डाली. वे उन्हें अन्दर ले आए, अन्दर आते ही उनका स्वागत, स्वागत गीत ‘पधारो म्हारे देश’, कलश बंधवाई जैसे पारंपरिक पद्धति के साथ पुष्प वर्षा करते हुए छात्राओं ने किया. मल्लिका (मोगरे/बेला) के सुन्दर पुष्पों का हार भी प्रोफेसर सा. की पत्नी गौरी द्वारा पहनाया गया. प्रोफेसर ने परिचय करवाया, ‘यह मेरी पत्नी गौरी हैं.’
Part-4 डॉक्टर ने सबको बताया, ‘उन्हें माइल्ड अटैक आया है, सो हमने प्रारम्भिक इलाज तो कर दिया है, अब इनको थोड़े आराम के बाद शहर ले जा कर जाँच करवानी होगी. वहाँ एन्ज्योग्राफी करने के बाद ही पता लगेगा ...Read Moreइनकी शिराओं में कहाँ और कितने प्रतिशत ब्लाक है?’ डॉक्टर के इस कथन ने सभी को चिंता में डाल दिया... गायत्री देवी को इस तरह हड़बड़ी में निकलना अच्छा नहीं लग रहा था, वे हवेली में और अधिक घूमना चाहती थीं, पर मजबूरी थी. गाड़ी में बैठते ही उन्होंने सचिव से सारी जानकारी ली, क्यों उन्हें जयपुर इस तरह आकस्मिक
Part-5 कार में एक लम्बी चुप्पी छाई हुई देख गायत्री जी ने सोचा कि क्यों नहीं अपनी कुछ यादें इन लोगों से ही शेयर की जाएं, बिचारे बोर हो रहे हैं, सो कहने लगीं, ‘आप लोगों को पता है? ...Read Moreयहीं इसी हवेली में जन्मी हूँ और मेरा पहला स्कूल इसी गाँव में था. मैं दस वर्ष की उम्र तक यहीं रही थी.’ यह सुनकर दोनों ही चौंक गए ..फिर उन्होंने हँसते हुए सुनाना शुरू किया.. जब मम्मी पापा वहाँ आकर रहने लगे तो मम्मी ने मामाजी से बात कर पिछली ड्योढ़ी में स्कूल चलाने की बात कही तो उन्होंने