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प्रकृति मैम - Novels
by Prabodh Kumar Govil
in
Hindi Philosophy
अरे सर, रुटना रुटना ...अविनाश दौड़ता-चिल्लाता आया।
-क्या हुआ? मैं पीछे देख कर चौंका।
-सर, टन्सेसन मिलेडा।
-अरे कन्सेशन ऐसे नहीं मिलता। मैंने लापरवाही से कहा।
-तो टेसे मिलटा है?
-उसके लिए प्रिंसिपल को सिगनेचर करने पड़ते हैं। मैंने समझाया।
-तो टर दो, आप ही तो हो।
-अरे बेटा, उस पर स्कूल की सील लगानी पड़ती है। मैं बोला।
-तो लडाडो न सर।
-सील यहाँ नहीं लाये। मैंने बताया।
-ट्यों नहीं लाये?
-चुप ! अब मुझे गुस्सा आ गया था।
अरे सर, रुटना रुटना ...अविनाश दौड़ता-चिल्लाता आया।
-क्या हुआ? मैं पीछे देख कर चौंका।
-सर, टन्सेसन मिलेडा।
-अरे कन्सेशन ऐसे नहीं मिलता। मैंने लापरवाही से कहा।
-तो टेसे मिलटा है?
-उसके लिए प्रिंसिपल को सिगनेचर करने पड़ते हैं। मैंने समझाया।
-तो टर दो, आप ही ...Read Moreहो।
-अरे बेटा, उस पर स्कूल की सील लगानी पड़ती है। मैं बोला।
-तो लडाडो न सर।
-सील यहाँ नहीं लाये। मैंने बताया।
-ट्यों नहीं लाये?
-चुप ! अब मुझे गुस्सा आ गया था।
प्रकृति मैम [ कहानी ] -प्रबोध कुमार गोविलअरे ...Read Moreरुटना रुटना ...अविनाश दौड़ता-चिल्लाता आया। -क्या हुआ? मैं पीछे देख कर चौंका। -सर, टन्सेसन मिलेडा।-अरे कन्सेशन ऐसे नहीं मिलता। मैंने लापरवाही से कहा। -तो टेसे मिलटा है?-उसके लिए प्रिंसिपल को सिगनेचर करने पड़ते हैं। मैंने समझाया।-तो टर दो, आप ही तो हो। -अरे बेटा, उस पर स्कूल की सील लगानी
आलापइसी गांव में एक वैद्य जी थे। छोटी जगह होने से उनसे जल्दी ही परिचय मित्रता में बदल गया। कई बार शाम के समय पोस्टमास्टर साहब के आवास के बाहर जमी बैठक में उनसे मुलाक़ात भी होती और बात ...Read Moreवे कहते थे कि उन्नीस- बीस साल का होते- होते लड़कों की शादी हो जानी चाहिए नहीं तो उन्हें चरित्र हनन या राजरोग के लिए तैयार रहना चाहिए।वह गांव के प्रायः हर अविवाहित लड़के या पुरुष पर कोई न कोई कटाक्ष करते हुए चटपटे किस्से सुनाते रहते थे। गांव का एकमात्र चिकित्सक होने के नाते उनकी अंदरुनी जानकारी पर किसी
बदन रागमैं जो परीक्षा जयपुर में देकर आया था, उसका परिणाम आ गया। लिखित परीक्षा में मेरा चयन हो गया था। अब दिल्ली में साक्षात्कार देना था।छोटे से गांव के सिकुड़े माहौल में इसी सफ़लता को ऊंचे स्वर में ...Read Moreगया। गांव में आसानी से पहले कोई ऐसा देखा नहीं गया था जो किसी बड़े ओहदे की सरकारी परीक्षा में बैठे और पास हो जाए।बैंक में होने वाली सी ए आई आई बी परीक्षा का परिणाम भी आ गया। इसमें कुल ग्यारह पेपर्स होते थे, जिनमें पांच पहले भाग में और छह दूसरे भाग में। उन दिनों मैं इस परीक्षा का
1.गाकर देेेे...मेरी नई - नई नौकरी वाला ये शहर भी सुन्दर था और वक़्त भी।ज्वाइन करने के लिए थोड़े से सामान के साथ यहां आया तो मैं पहले दो सप्ताह दूर के रिश्ते के एक भाई के घर में ...Read Moreवे विवाहित थे, लेकिन उनकी पत्नी डिलीवरी के लिए ही अपने पीहर गई हुई थीं। वे एक सरकारी विभाग में कार्यरत थे।मुझसे बोले- अभी मैं भी अकेला हूं, घर ख़ाली पड़ा है, आराम से यहीं रहो। धीरे- धीरे तुम्हारे लिए कमरा ढूंढ़ देंगे।एक बार फिर छात्रावास जैसी ज़िन्दगी शुरू हो गई।वे सुबह जल्दी घर से निकल जाते,और रात को बहुत