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Khaali Kamra by Ratna Pandey | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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खाली कमरा by Ratna Pandey in Hindi
Novels

खाली कमरा - Novels

by Ratna Pandey Matrubharti Verified in Hindi Fiction Stories

(51)
  • 10.9k

  • 21k

  • 1

मुरली संघर्ष की उस राह पर चल रहा था, जिस राह पर हर रोज़ उसके सामने यह चुनौती होती कि आज कितना सामान वह बेच पाया। इस राह पर मेहनत के साथ ही बहुत धैर्य की भी ज़रूरत थी ...Read Moreयहाँ कभी-कभी अपमान का कड़वा घूंट भी पीना पड़ता था। कहीं हाँ तो कहीं ना थी। कोई दरवाज़ा खोल कर मुस्कुरा कर उसे मना कर देता। कोई उसे और उसके कंधे पर टंगे बैग को देखते ही मुँह बनाते हुए उसके मुँह पर बिना कुछ बोले ही दरवाज़ा बंद कर देता। पूरे दिन में दो चार जगह यदि उसे ख़ुशी मिलती तो उससे कहीं ज़्यादा उसे अपमान का सामना करना पड़ता। मुरली एक सेल्समैन था, घर-घर जाकर, द्वार खटखटा कर अपना सामान बेचना उसका पेशा था। अपने सामान की प्रशंसा करना, ले लीजिए ना मैडम कहकर गिड़गिड़ाना, यह सब आसान नहीं होता लेकिन करना पड़ता है, जब जवाबदारियाँ सर पर आती हैं तो सब करना पड़ता है। ठंडी, गर्मी, बरसात चाहे जैसा भी मौसम हो मुरली के क़दम रुकते नहीं थे, सुबह से शाम हो जाती। शाम को घर आने के बाद वह फिर निकल पड़ता, लोगों के घर खाना डिलीवर करने। यहाँ जब भी किसी दरवाजे पर वह दस्तक देता, हमेशा ख़ुश होकर, हँस कर दरवाज़ा खोला जाता क्योंकि वह उनका मन पसंद खाना जो लेकर आया होता। लोग उसे थैंक यू कहते और वह ख़ुश हो जाता। यूं तो मुरली स्नातक था, पर नौकरी के नाम पर जो कुछ भी था बस यही था। घर पर पत्नी राधा के अलावा बूढ़े माता-पिता भी थे। एक बेटा था राहुल, जो अभी बहुत छोटा था। उसका लालन-पालन, माता-पिता की जवाबदारियाँ अकेले मुरली पर ही आन पड़ी थीं। मुरली के पिता का एक पाँव बचपन से ही पोलियो का शिकार हो चुका था। अब मुरली उन्हें और संघर्ष नहीं करने देना चाहता था। वह अकेला ही घर की सारी जवाबदारियों का बोझा ढो रहा था।

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खाली कमरा - Novels

खाली कमरा - भाग १
मुरली संघर्ष की उस राह पर चल रहा था, जिस राह पर हर रोज़ उसके सामने यह चुनौती होती कि आज कितना सामान वह बेच पाया। इस राह पर मेहनत के साथ ही बहुत धैर्य की भी ज़रूरत थी ...Read Moreयहाँ कभी-कभी अपमान का कड़वा घूंट भी पीना पड़ता था। कहीं हाँ तो कहीं ना थी। कोई दरवाज़ा खोल कर मुस्कुरा कर उसे मना कर देता। कोई उसे और उसके कंधे पर टंगे बैग को देखते ही मुँह बनाते हुए उसके मुँह पर बिना कुछ बोले ही दरवाज़ा बंद कर देता। पूरे दिन में दो चार जगह यदि उसे ख़ुशी
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खाली कमरा - भाग २
राधा और मुरली का बेटा राहुल बचपन से ही बहुत जिद्दी था। हमेशा कुछ ना कुछ मांग करता ही रहता। पापा ये चाहिए, पापा वो चाहिए। जब भी मुरली उसकी मांगी हुई चीज ले आता, तब तो वह ख़ुश ...Read Moreमुरली को चूम लेता लेकिन यदि मांग पूरी ना हो पाए तो गुस्सा होकर एक कोने में बैठ जाता। यह उसके स्वभाव का अहम हिस्सा था, जो बचपन से उसके अंदर अपने पैर जमाया हुआ था। यह स्वभाव बड़े होकर भी उसके साथ ही रहा। जब तक वह नादान था, तब तक सब ठीक लगता था। लेकिन बड़े होने पर
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खाली कमरा - भाग ४  
अपनी माँ के मना करने पर खुशबू ने कहा, “पर मम्मा मैं प्यार करती हूँ राहुल से।” खुशबू के बड़े भाई और भाभी ने भी उसे बहुत समझाया कि वह ग़लत कर रही है। किंतु प्यार की राह पर ...Read Moreबढ़ा चुकी खुशबू अब किसी की बात मानने के लिए तैयार नहीं थी। इसी बीच राहुल की ज़िद के कारण एक दिन मुरली और राधा खुशबू के माता-पिता से मिलने उनके घर पहुँचे। खुशबू के पापा अमित ने बड़े ही मान सम्मान के साथ उन्हें बुलाया और बिठाया। तब मुरली ने बात को शुरू करते हुए कहा, “अमित जी बच्चे
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खाली कमरा - भाग ३
अपने प्यार का इज़हार करने के लिए एक दिन राहुल ने पार्टी के बाद खुशबू को घर छोड़ने के लिए जाते समय उससे कहा, “खुशबू हमारी दोस्ती, अब दोस्ती तक ही सीमित नहीं रह गई है।” “क्या मतलब है ...Read Moreतुम्हारा?” “मतलब साफ़ है खुशबू, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ और तुम्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूँ।” “ये क्या कह रहे हो राहुल? तुम भी मुझे अच्छे लगते हो लेकिन जीवन साथी बन जाना… ये संभव नहीं है राहुल।” “क्यों संभव नहीं है खुशबू? तुम बहुत अमीर हो, मैं नहीं इसीलिए?” “यदि सच कहूँ राहुल तो हाँ। मेरे घर
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खाली कमरा - भाग ५  
ऐशो आराम से पली हुई खुशबू अपनी ससुराल में कभी किसी काम को हाथ नहीं लगाती। परंतु राधा ख़ुशी-ख़ुशी जैसे पहले काम करती थी वैसे ही अभी भी करती रही। राधा मन ही मन सोचती कि बड़े घर की ...Read Moreहै, धीरे-धीरे घुल मिल जाएगी, समय तो लगेगा ही। राधा नहीं जानती थी कि खुशबू को तो उससे बात करना ही पसंद नहीं है इसीलिए वह अपने स्वयं के कमरे से ज़्यादा बाहर आती ही नहीं थी। राहुल यह सब देखता किन्तु कभी खुशबू को कुछ नहीं कहता। उसे लगता था माता-पिता तो होते ही हैं काम करने के लिए।
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खाली कमरा - भाग ६  
आज वक़्त उन्हें यह बता रहा था कि उनका बुढ़ापा सुरक्षित नहीं है। वह सोच रहा था जिस बेटे के लिए अपना तन-मन-धन सब कुछ उस पर न्यौछावर कर दिया, वही बेटा आज अकेले रहना चाहता है। उनके बिना? ...Read Moreउसकी पत्नी के साथ? आख़िर क्यों? उन्होंने बिगाड़ा ही क्या है। वो तो शांति से रहते हैं, कभी कोई कलह नहीं करते। किसी पर कोई नियंत्रण नहीं करते। वाह रे भाग्य कैसी तेरी माया, कोई समझ ना पाया। रात को राधा ने मुरली से कहा, “मुरली अब मुझे यहाँ नहीं रहना।” “यहाँ नहीं रहना मतलब?” “बस मुरली चलो यहाँ से,
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खाली कमरा - भाग ९     
उधर सुबह उठकर खुशबू ने देखा राधा और मुरली उनके कमरे में नहीं हैं। उसने राहुल को आवाज़ लगाई, “राहुल देखो तो तुम्हारे माँ बाप घर में नहीं हैं।” “क्या …? ये क्या बोल रही हो खुशबू?” “हाँ मैं ...Read Moreकह रही हूँ तुम ख़ुद आकर देख लो?” राहुल भी उठा और खाली कमरा देख सर पर हाथ रखकर निढाल होकर बैठ गया। “कहाँ चले गए यह दोनों, अब उन्हें ढूँढना पड़ेगा। यहाँ क्या तकलीफ़ थी। इन बुड्ढ़े लोगों के साथ यही परेशानी है। ज़रा-ज़रा में मुँह चढ़ा लेते हैं, फिर उन्हें मनाओ,” वह धीरे से बुदबुदाया। “हाँ तुम बिल्कुल
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खाली कमरा - भाग १२ 
राहुल ने कहा, “खुशबू आज तुम्हारे गर्भ में हमारा बच्चा है, शायद अभी तो उसमें जान भी नहीं आई होगी; फिर भी हम दोनों उसे बचाने के लिए कितने बेचैन हो रहे हैं, कितनी कोशिश कर रहे हैं। हमारी ...Read Moreतो हमारे माता-पिता को इतनी ही, ऐसे ही चिंता होती होगी ना। हमारी ख़ुशी के लिए हमारे माता-पिता ने भी उनका खून पसीना बहाया है। उनके त्याग का, उनके प्यार का, क्या सिला दिया है हमने।” “तुम ठीक कह रहे हो राहुल। हम दोनों सिर्फ़ मेरा-मेरा ही सोच रहे थे। अपना शब्द तो शायद हमारे शब्दकोश में था ही नहीं।
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खाली कमरा - भाग ११ 
खुशबू ने अपनी मम्मी को फ़ोन लगाया। उधर फ़ोन की घंटी बजते ही खुशबू की मम्मी ने फ़ोन उठाया, “हेलो …” “हेलो मम्मा मैं खुशबू।” “हाँ वह तो मुझे पता है खुशबू, काम बोलो?” “मम्मा आपको बहुत बड़ी ख़ुश ...Read Moreदेनी है।” “तुम माँ बनने वाली हो, यही ना?” “अरे मम्मा, आपको कैसे पता?” “इस समय ख़ुश खबरी तो केवल यही हो सकती है। कोई तुम्हारे सास ससुर का जन्मदिन तो तुम मनाओगी नहीं जो …!” “मम्मा आप यह क्या कह रही हैं? मुझे आपकी ज़रूरत है, डॉक्टर ने मुझे बेड रेस्ट करने के लिए कहा है।” “तो करो ना,
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खाली कमरा - भाग १०
घर पहुँच कर राहुल ने खुशबू से कहा, “खुशबू वे तो 'स्वागत' वृद्धाश्रम में रहने चले गए यार।” “चलो ये तो अच्छी बात है। वहाँ वे भी ख़ुश और यहाँ हम भी।” “नहीं खुशबू यह ग़लत हुआ है।” “अरे ...Read Moreग़लत है राहुल? यदि आपस में ना बनती हो तो अलग रहना, सबसे अच्छा निर्णय होता है।” “लेकिन खुशबू …?” “लेकिन-वेकिन कुछ नहीं राहुल, रोज-रोज की किट-किट से पीछा छूटा। घर में जब देखो माँ के पास कोई ना कोई आता ही रहता था। कितनी भीड़ रहती थी घर में।” खुशबू की बातें सुनकर राहुल आगे कुछ भी ना बोल
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खाली कमरा - भाग ८   
रिक्शे वाला प्रश्न पूछता रहा पर मुरली अब भी शांत था किंतु राधा बोल पड़ी, “नहीं-नहीं तुम ग़लत समझ रहे हो भैया। हमें किसी ने घर से नहीं निकाला है। घर भी हमारा ही है हम तो बस ऐसे ...Read Moreवृद्धाश्रम जा रहे हैं, यह देखने कि वहाँ क्या व्यवस्था होती है।” रिक्शे वाला समझदार था, वह राधा की बातों को नज़रअंदाज करके शांत हो गया। वह जानता था कि एक माँ का दिल कभी अपने बच्चों की बुराई नहीं सुन सकता। वृद्धाश्रम पहुँच कर मुरली और राधा रिक्शे से उतर गए। मुरली ने जेब से अपना वॉलेट निकाला तो
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खाली कमरा - भाग ७   
खुशबू की कड़वी ज़ुबान से इतने तीखे शब्द सुनते ही राधा ने राहुल की तरफ़ देखा तो राहुल ने नज़रें फेर ली और खुशबू से कहा, “चिंता मत करो कुछ ही दिनों की बात है।” खुशबू ने चिल्लाते हुए ...Read More“कुछ दिनों में क्या कर लोगे राहुल तुम? मुझे केवल तुम्हारा साथ चाहिए था घर में भीड़ नहीं।” राधा रोते हुए वहाँ से चली गई। मुरली ने भी सब कुछ सुन लिया था। वह गुस्से में तमतमाता चेहरा लेकर कमरे में आया। लेकिन वह कुछ बोले उससे पहले ही राधा ने आँखों ही आँखों में उसे इशारा कर दिया और
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खाली कमरा - भाग १३ 
मोहिनी ने राहुल की तरफ़ देखते हुए कहा, “मुरली अंकल ने हमसे कहा था उनके बारे में अब किसी को भी कुछ भी नहीं बताना, कुछ भी नहीं …” "यह क्या कह रही हैं आप," कहते हुए राहुल की ...Read Moreथोड़ी ऊँची हो गई। "इसका मतलब वे यहाँ ख़ुश नहीं थे।" “देखिये मिस्टर राहुल आवाज़ ऊँची करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ख़ुश तो वे आपके घर पर भी नहीं थे। इसीलिए तो रात के दो बजे यहाँ हमारे वृद्धाश्रम में चले आए थे। यदि आपने उन्हें प्यार और सम्मान दिया होता तो वे यहाँ आते ही क्यों? और आपको
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खाली कमरा - भाग १४ - अंतिम भाग
मोहिनी मैडम की बातें सुनकर राहुल का गुस्सा पिघल कर अब दर्द और पश्चाताप में बदल चुका था। उसकी आँखें रो रही थीं। यह सुनकर खुशबू की आँखें ज़मीन में गड़ी जा रही थीं। उसमें हिम्मत ही नहीं थी ...Read Moreआँखों को किसी से मिलाने की। मोहिनी ने कहा, “राहुल जी हम इस समय आपकी कोई मदद नहीं कर सकते और हाँ हम ऐसे ही किसी को किसी के भी हवाले नहीं करते। सब जांचने परखने के बाद ही निर्णय लेते हैं। फिर यह तो आप ही सोचिए कि आपके माता-पिता इस तरह क्यों चले गए और वह भी आप
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